सुजीत सुमेर, पी.एचडी. स्कॉलर
कृषि मौसम विज्ञान विभाग,
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)
- रबी फसलों के लिये खेत की तैयारी करें। इस हेतु ट्रैक्टर चालित रोटावेटर अथवा कल्टीवेटर या देशी हल का प्रयोग कर खाली खेतों में उथली जुताई करें। इस हेतु मूंग, उड़द, चना, कुसुम, सूरजमुखी, खेसरी एवं चारे वाली फसलों की बुवाई करें।
- रबी मौसम की फसलों की बुवाई इस माह में पूर्ण कर लेवें। इस मौसम में बोयी जाने वाली दलहनी एवं तिलहनी फसलों की 15 नवंबर के आसपास बुवाई कर लेने से कीट व्याधियों का प्रकोप न्यूनतम होता हैं।
- चने में बीजोपचार अवश्य करें। इसके लिये बीजों को कार्बेन्डाजिम दवा 1.5 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज एवं राइजोबियम कल्चर 6-10 ग्राम तथा ट्राईकोडर्मा पाउडर 6-10 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
- जिन खेतों में चने की फसल में उकठा एवं कॉलर राट बीमारी का प्रकोप प्रति वर्ष होता है, वहां चने के स्थान पर गेहूँ, तिवड़ा, कुसुम उवं अलसी की बुवाई करें एवं फसल चक्र अपनाये।
- चना, मसूर, मटर, सरसों आदि फसलों में नींदा नियंत्रण हेतु बुवाई के 3 दिन तक पेन्डीमेथालिन दवा (30 ई.सी.) 750 मि.ली. से 1 लीटर सक्रिय तत्व (दवा की मात्रा 2.5-3 लीटर) प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। बुवाई के 15-20 दिन बाद सँकरी पत्ती वाले खरपतवार अधिक होने पर क्युजेलोफाप इथाइल नामक दवा का 40-50 मि.ली. सक्रिय तत्व (दवा की मात्रा 800 मि.ली. से 1 लीटर) प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें।
- गेहूँ के बीजों को कार्बाक्सिन + थायरम (2 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज) की दर से उपचारित कर बुवाई करें।
- दलहनी फसलों में उकठा एक प्रमुख रोग है। इसके नियंत्रण हेतु निरोधक प्रजातियों का उपयोग करें।
- धान कटाई के उपरान्त सिंचित नमी का उपयोग हेतु जीरो सीड ड्रिल द्वारा फसलों की बुवाई करें।
- गन्ने की कतारों के मध्य अन्तर्वर्ती फसलें जैसे- आलू, प्याज आदि फसलों को लगाया जा सकता हैं।
- टमाटर, बैगन, मिर्च, प्याज, लहसून आदि सब्जियों में नींदा नियंत्रण हेतु पेन्डीमिथालिन (30 ई.सी.) दवा 750 मि.ली. से 1 लीटर सक्रिय तत्व (दवा की मात्रा 2.5-3 लीटर) प्रति हेक्टेयर की दर से बुवाई के 3 दिन तक छिड़काव करें।
- श्वेत बटन मशरूम के उत्पादन हेतु स्पान एवं कम्पोस्ट तैयार कर लें।
- आलू में अगेती अंगमारी रोग की रोकथाम हेतु मेन्कोजेब/ताम्रयुक्त दवा (3 ग्राम/ली.) दवा के घोल का छिड़काव करें।
- शीतकालीन गोभीवर्गीय सब्जियों जैसे- फूलगोभी, पत्तागोभी व गाठगोभी की अगेती किस्मों का चयन कर नर्सरी डालें। टमाटर, बैंगन, मिर्च एवं शिमला मिर्च लगाने की तैयारी करें व थायरम 1 ग्राम प्रति किलोग्राम बीज की दर से उपचारित करें।
- शीतकालीन मौसमी पुष्पों में निदांई, गुड़ाई, सिंचाई एवं पोषण का प्रबंध करें।
- शीतकालीन सब्जियों की पौधशाला तैयार करें एवं तैयार पौध को खेतों में रोपित करें।
- किसान भाई केला के फसल में मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें।
- पपीता की फसल में हर 15 दिन के अंतराल में कॉपर आक्सीक्लोराइड का स्प्रे करें।
- आम में सिंचाई रोक दें एवं कीटनाशक दवाओं का छिड़काव करें।
- मध्य नवंबर तक आलू लगाने का कार्य आवश्यक रूप से करें।
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