ग्लोरिया स्मिता किस्पोट्टा और खिरोमणी नाग
ई.गा.कृ.वि. रायपुर (छ.ग.)

वर्तमान में उद्यानों को योजना और विन्यास के अनुसार विभिन्न प्रकार के अलंकृत और सदाबहार झाडीय पौधे के उपयोग से उद्यान के किनारे बाउंड्री में तथा बीच की पंक्तियों में शंकु आकार के सुंदर पशु- पक्षी जैसे-हाथी, घोड़ा, बिल्ली एंव हंस आकृतियों को रूप दिया जाता है जिसे टॉपयरी कहते है। यह झुरमुट पौधे से आसानी से तैयार किया जा सकता है जिसके बनाने से गार्डन की सुंदरता में चार चांद लग जाती है। इसलिये उद्यान को अलंकृत करने के लिये इनका उपयोग किया जाता है येें टॉपयरी उद्यानों को अलंकृत कर कुदरत को अपनी अलग ही रंग रूप देने में महत्वपर्ण भूमिका निभाते हैं। ये टॉपयरी हेज पौधे को सघन पंक्ति के रुप में बागों के उचित स्थानों में लगाकर उनकोहेज-शियर की सहायता से कृतन कर या तार से सधाई करके बनाया जाता है। पौधे जिनको अलंकृत उद्यान में टॉपयरी बनाया जाता है जो निम्नानुसार हैं जैसे- डुरंटा, क्लेरोडेंड्रम, चांदनी, बे-लॉरेल, आर्बरविटे, मर्टल, र्पिवेट, हेमेलिया, बॉक्सवुड, थूजा, फॉइकस, बेंजामिना, सरू, पॉली एल्थियस और जुनि पर इत्यादि आते हैं।

टॉपयरी की प्रमुख विशेषाताएं
1. टॉपयरी से पर्यावरण के अनुकूल वातावरण निर्माण कर उद्यानों में एक हिस्सा बनाया जा सकता है।

2. सौंदर्य वातावरण निर्माण करने के लिये भी टॉपयरी का उपयोग किया जाता है।

3. सघन वृद्धि करने वाले हेज पौधे को भी सुंदर आकृतियों का रूप दिया जा सकता है।

4. वायु शोधक के रूप में पौधे को लगाकर उसे उद्यान में विभिन्न प्रकार में आकार दिया जाता है।

5. टॉपयरी से आगंतुकों के लिये एकांत एवं विश्राम के रुप में स्थान की प्राप्ति हो सकती हैं।

6. उद्यान में टॉपयरी के उपयोग से वन्य जीवों को आवास की प्राप्ति होती है।

7. टॉपयरी गार्डन से मनोरंजन के साथ-साथ आर्थिक आय की प्राप्ति भी हो सकती है।

8. आकर्षक टॉपयरी बनाकर मानव अभिव्यक्ति को प्रदर्शित करने के लिये भी किया जाता है।

9. उद्यान के प्रवेश द्वारको सुसज्जित करने के लिये के टॉपयरी का उपयोग किया जाता है।

पौधे लगाना तथा ट्रिमिंग करना
टॉपयरी बनाने वाले पौधे की अच्छी वृद्धि एवं विकास को ध्यान में रखते हुए इसको समय जुलाई-अगस्त में इसे बीजों एवं कलमों से तैयार है वैसे इसे सभी प्रकार की सूखी मिट्टी तथा मध्यम धूप और तेज सूर्य प्रकाश में अच्छी वृद्धि एवं विकास करती है में लगाया जाता है। समान्यतः इसे उचित आकार प्राप्त करने में तीन से चार साल लग जाते है इसी वर्ष में इसे अच्छें से कृतन करतार की सहायता से जो आकार दिया जाना चाहिये उस रूप में सधाई कर दिया जाता है। जब पौधा अच्छे से वृद्धि एवं विकास कर लेता है तब इसे कृतनस ाव, लूपर, सिकेटियरकी सहायता से उनको विभिन्न रूप दिया जाता है।

टॉपयरी की देखभाल
पौधे को लगाने के बाद उसे उचित वृद्धि एंव विकास के लिये समय-समय में देखभाल के साथ रख-रखाव करने की आवश्यकता होती है। पौधे को सालभर सुंदर बना रहें इसलिये इसे कृतन तथा सधाई करने के उपरांत गर्मियों में या अन्य समय में जरूरत पडने पर सिंचाई करते रहना चाहिये। इनके सधाई का ध्यान रखते हुये इसे उचित समय में विभिन्न रूप देकर हर संभव अच्छा तथा स्वस्थ रखना चाहिये।