खिरोमणी नाग, अलका और शशिकिरण मिंज
पुष्प विज्ञान एवं भूदृश्य वास्तुकला विभाग, 
इं.गां.कृ.वि.वि. रायपुर (छ.ग.)

वर्तमान में हमारे बागों को उचित उद्यान योजना तथा स्थायित्व विन्यास देने के लिये विभिन्न प्रकार के खूबसूरत एवं रंगीन फूलों वाले वर्षा कालीन झाड़ीय पौधे को लगाया जाता है क्योंकि ये पौधे अपना स्थाई स्वभाव के कारण उद्यानों में अपनी चार-चाँद लगाने में कोई भी कशूर नहीं छोडते है। इसलिये इसे हमारे उद्यान को अलंकृत किनारा, सुदंर वातावरण, अभद्र जगहों को ढकने, एकांत तथा सुखमय वातावरण बनाने के लिये उपयोग किया जाता है येें पौधे उद्यानों को अलंकृत कर अपनी अलग ही पहचान बनाने में सक्षम हैं। वर्षाकालीन झाड़ीय पौधे के अंतर्गत आने वाले में से गुड़हल, मोगरा, बोगन विलिया, लैंटाना, रूकमणी, कामिनी, एकेलिफा, हेमेलिया, टेकोमा और बार लेरिया इत्यादि आते हैं।

वर्षाकालीन झाड़ीदार पौधों के उपयोग

1. इनको बडे़-बडे़ उद्यानों को किनारा करने के प्रयुक्त किया जाता है।

2. उद्यानों में सुदंर वातावरण निर्माण करने के लिये किया जाता है।

3. बागों में पौधे से विभिन्न प्रकार के आकृतियों को रूप दिया जा सकता है।

4. उद्यानों में अवांछनीय दृश्यों को ढकने के लिये भी झाड़ीय पौधे को लगाया जाता है।

5. उद्यानों को अलंकृत बनाने के लिये भी झुरमुट को लगाया जाता है।

6. झाड़ीय पौधे उद्यानों में लगाने से विजिटर के मन को शांति प्रदान करने में अहम भूमिका होते है।

गुड़हल
गुड़हल को चाइना रोज तथा जवा कुसुम के नामों से जाना जाता है। जिनका वैज्ञानिक नाम हिबिस्कसरोजा-सिनेंसिस, तथा मालवेसी कुल से सम्बधित है। गुड़हल एक फूल वाला पेड़ है। जिनमे बारिश के समय फनल के जैसे खूब लदे हुए अनेक प्रकार के रंग-बिरंगे पांच पंखुडियां वाले फूल दिखाई देते है। जिनके फूल लाल, पीला, गुलाबी और बैंगनी रंग के होते है। इनको वर्षा ऋतु में कलमों की सहायता से लगाया जाता है तथा इन्हें लगाने के 6-12 महीनेें बाद सुन्दर फूलों से अच्छादित हुए दिखाई देते हैं।

मोगरा
यह पुष्पीय पौधा जिनका वानस्पतिक नाम जैस्मीनम् सैम्बाक जोकि ओले एसी परिवार से संबंध रखता हैं एवं इसके सफेद फूल सुदंर एवं खुशबूदार होेते है जिनको वर्षा ऋतु में लेयरिंग के माध्यम से तैयार किया जाता है। क्योंकि इस मौसम में मोगरा पौध के वृध्दि और विकास के लिये उत्तम माना जाता है।

बोगनविलिया
बोगनविलिया लेब्रा सुदंऱ, कठोर फूलदार सजावटीय लता है जो रूटेसी परिवार में आती है। जिनको वर्षा ऋतु में कलम एवं बीज के द्वारा उगाया जाता है। यह इस समय ये काफी तेजी से बढ़ते और फूलते है जो कागज के समान पतले होते है जिनमेे वर्षा ऋतुमें सफेद, लाल तथा कई रंगों के लिये हुए सुदंर फूल देखने को मिलते है।

लैंटाना
झाड़ीनुमा लैंटाना जिनको गावों में घनारी आदि नामों से जाना जाता है और इन्हें अंग्रेजी में लैंटाना कैमरा एवं परिवार में वर्वेनेसी कहते है। जो तेजी से फैलता है तथा इनके छोटे-छोटे फूल गुच्छे में लगते है यह पौधा बीज या कलमों से एक बार लगजाने के बाद अच्छा अनूकूल मिलने पर साल भर सफेद, लाल, पीले, नारंगी तथा गुलाबी रंग के फूल खिलते रहते है।

रूकमणी
एक्जोरापेरवी फलोरा, रूबिएसी कुल की झाड़ीय पौधा है। यह उष्ण कटिबंधीय अफ्रीका का मूल निवासी है। यह अपने चमकीले सुदंर फूलों के लिये जाना जाता है। जिसकी वजह से यह बागों और भू सौन्दर्यीकरण के लिए एक अच्छा पौधा के रूप में इसका प्रयोग किया जाता है। इस झुरमुट पौधे से सफेद फूल वर्षभर खिलते रहते है। जिनके पौधे को कलमों से प्रवर्धन किया जाता है।

कामिनी
वर्षाऋतु वाले झाड़ीनुमा पौधा मे से कामिनी एक पुष्प है जिनको वानस्पतिक नाम से मुरायापेनीकुलेटा और रूटेसी कुल के अंतगर्त आती है। जिनके पौधे में सफेद फूल खिलते हैै और इनको बीजों, तनों तथा कलमों से पौधे को तैयार किया जाता है।

एकेलिफा
यह पर्णीय पौधा है जिनका जीनसएकेलिफा तथा प्रजातिट्राइकलर है जोकि यूफोर बिएसी परिवार का पौधा है। ये पौधा को लॉन के किनारे तथा किनारा बनाने के लिए उपयोग किया जाता है जिनको कलमों, तनों और बीजों की सहायता से प्रसारण वर्षा ऋतु में किया जाता है।

हेमेलिया
हेमेलिया पेटेन्स, रूबिएसी कुल का झाड़ीनुमा पौधा है इसे हिन्दी में फायर बश के नाम से जाना जाता है। इसे विशेषतः छोटा होने के कारण उद्यान किनारा बनाने के लिये प्रयुक्त किया जाता है तथा इन्हें बीजों के साथ-साथ कलम से भी प्रवर्धित कर लगाया जाता है। यह लाल गुच्छों में टयूबलर फूल का उत्पादन अपनी पूरी शाखाओं में करता है।

टेकोमा
यह अलंकृत पौधे को वानस्पतिक रूप से टेकोमाकापेंसिस आदि नामों से जाना जाता है। झाड़ीदार टेकोमाकोवर्वेनेसी परिवार से लिया गया है जोते जी से बढने वाला 2-3 मीटर ऊंचा, 2-2.5 मीटर चौडा फलता है एवं इनका उपयोग उद्यान में उचित विन्यास बनाने के लियेे, स्क्रीनिंग तथा हेजट्रिमिंग करके करते हैं और इसे बीजों के साथ-साथ कोमल कलम द्वारा भी प्रसारित किया जाता है।