राजकुमारी, पी.एच.डी., कीट विज्ञान विभाग
डॉ. गजेन्द्र चन्द्राकर, वरिष्ठ वैज्ञानिक, कीट विज्ञान विभाग
डॉ. मनमोहन बिसेन, पी.एच.डी., कीट विज्ञान विभाग

भारत वर्ष में उगाई जाने वाली सब्जियों के उत्पादन में कद्दु वर्गीय सब्जियों की महत्वपूर्ण भुमिका हैं। कद्दु वर्गीय सब्जियो में मुख्य रूप से कद्दु, करेला, लौकी, ककडी, खीरा इत्यादि आते है। इन सब्जियो को वर्ष के दोनों मौसम क्रमशः खरीफ (मध्य जुन से मध्य अक्टूबर) एवं जायद (मध्य फरवरी से मध्य जुन) में सफलतापुर्वक उगाया जा सकता है। जैसा कि हम जानते है कद्दुवर्गीय सब्जियो को मानव आहार का एक अभिन्न भाग माना जाता है सब्जियाँ विटामिन व खनिज लवणो का समृद्व स्त्रोत होते हैं परन्तु कीट - व्याधियो के कारण इनके उत्पादन में काफी नुकसान पाया जाता हैं। कद्दुवर्गीय सब्जियो के उत्पादन को प्रभावित करने वाले कारको में कीटो की महत्वपूर्ण भुमिका रहती है।

प्रमुख कीटो का विवरण इस प्रकार है -

. क्र.

कीट

हानिकारक अवस्था

प्रभावित पौध भाग

1.

कद्दुवर्गीय फल मक्खी

व्यस्क शंकु

फल

2.

कद्दु का लाल कीड़ा

व्यस्क ग्रब (भृंग)

पत्ती एवं तना

3.

हड्डा बीटल(एपिलेकना भृंग)

भृंग ग्रब

पत्ती

4.

लीफ माइनर

मैगट (लार्वा अवस्था)

पत्ती

5.

कद्दुवर्गीय सफेद मक्खी

व्यस्क एवं निफ

पत्ती एवं चूसक

6.

माहु (एफिड)

शिशु एवं व्यस्क

पत्ती, तना, फल एवं फुल

7.

कद्दु कैटरपिलर

कैटरपिलर

पत्ती


कृषि रसायनो के घोल बनाने एवं छिड़काव में मुलभुत सावधानियाँ अपनायी जानी चाहिए -
  • घोल तैयार करने के पहले डिब्बे के लेबल पर लिखे निर्देश को सावधानी पुर्वक पढ़े।
  • पौधा में डालने के लिए जितनी आवश्यक मात्रा है उतने की ही घोल तैयार करें।
  • दानेदार या धुल वाले रसायनो को पानी मे न घोलें।
  • घोल बनाते समय या उसके पुर्व में रसायनों को न सुंघे।
  • स्प्रेयर में छिड़काव के लिए सही नोजल का छिड़काव करें।
  • एक ही छिड़काव मशीन से खरपतवारनाशी एवं कीटनाशी रसायनों का उपयोग करें।
  • नेजल में कभी भी मुॅह से हवा फूंककर साफ न करे इसके लिए खराण या टुटे हुए ब्रश का उपयोग कर सकते हैं।
  • तेज धुप या तेज हवा वाली स्थिति में छिड़काव न करें।
  • वर्ष के ठीक पहले एवं उसके तुरन्त बाद रसायनों के उपयोग न करें।
  • छिड़काव के बाद मशीन एवं बाल्टी को साबुन से साफ करें।
  • छिड़काव में उपयोग किए गए किसी बाल्टी या डिब्बे का उपयोग घरेलू उद्देश्य के लिए न करें।


प्रबन्धन क्रियाये पोषक तत्व हेतु - (बुवाई से पूर्व)
  • बुआई से 2-3 सप्ताह पहले 8-10 टन प्रति एकड़ FYM (फार्म यार्ड मेन्योर) का उपयोग करना चाहिए।
  • अन्तिम जुताई से पहले 20ः 32ः 24 कि. ग्रा./एकड़ की दर से N: P2O5: K2O  का उपयोग करना चाहिए।

वानस्पतिक वृद्वि की अवस्था में -
  • शेष 20 कि.ग्रा./एकड़ नाइट्रोजन का उपयोग बुआई के 25 दिनों बाद किया जाता है।
  • किसी सुक्ष्म पोषक तत्व की कमी का लक्षण प्रतीत होने की स्थिति में उस पोषक तत्व का पर्णीय छिड़काव करना चाहिए।
  • अधिकतम मादा पुष्प प्राप्त करने के लिए 1.0 ग्रा./ली. की दर से बोरेक्स का छिड़काव पत्ती अवस्था पर करें।

कीट व्याधियो का प्रबन्धन फसल के विभिन्न अवस्था में -
(बुवाई से पूर्व)
  • गर्मियों में प्रक्षेत्र की गहरी जुताई की जानाी चाहिए।
  • मृदा के निजर्यीकरण हेतु मृदा मे रहने वाले हानिकारक कीट - व्याधियो को नष्ट करने के उद्देश्य से तैयार क्यारी को 0.45 किलो.मी. पॉलिथीन शीट से ढककर तीन सप्ताह तक छोड देते हैं।
  • खेत में 100 कि.ग्रा./एकड़ की दर से नीम की खली का उपयोग करके मृदा में रहने वाले कीटो एवं सुत्रकृमियो के प्रकोेप को कम किया जा सकता है।
  • मृदाजनित व्याधिकारको के प्रबन्धन हेतु 2.5 कि.ग्रा./एकड़ की दर से ट्राइकोडर्मा का उपयोेग थ्ल्ड के साथ करें।

वानस्पतिक वृद्वि की अवस्था -
(क) सरपेंटाइन लीफ माइनर का प्रबंधन -
  • बुआई की तिथि में कुछ परिवर्तन किया जाना चाहिए।
  • अलसी, टमाटर या गेंदा के फुल को ट्रैप क्रॉप के रूप में लगाना चाहिए।
  • इस कीट के प्राकृतिक शत्रुओ का संरक्षण करें।
  • 5%  नीम के बीज का सत (छैज्ञम्) का पर्णीय छिड़काव करना चाहिए।
  • 5 प्रति एकड़ की दर से पीला चिपचिपा प्रपंच लगाकर निगरानी करें तथा आवश्यकतानुसार इसकी संख्या बढ़ाकर 10 तक कर सकते है।

(ख) माहु (चेंपा) का प्रबंधन -
  • लोबिंया को अन्तरवर्गीय फसल के रूप में लगाने से इस कीट के प्राकृतिक शत्रु या अन्य लाभदायक कीट प्रक्षेत्र में आकर्षित होते हैं।
  • उपलब्धता के आधार पर 10,000 प्रति एकड़ की दर से ग्रीन लेसविंग छोड़ना चाहिए।
  • उपरोक्त विधियों से नियंत्रित नही होने की स्थिति में 14g imidachloprid 70 wcc को 20 ली. पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिड़काव करें।

पुष्पन एवं फलन की अवस्था में -
(क) फल मक्खी का प्रबंधन -
  • जल्दी पकने वाली प्रजातियों का चुनाव करें।
  • ग्रसित फलो को इकट्ठा करके नष्ट कर देना चाहिए।
  • फलन के समय प्रक्षेत्र में हल्की गुड़ाई करने से इस कीट के प्युपा नष्ट हो जाते हैं।
  • इस कीट की निगरानी के लिए 2 प्रति एकड़ की दर से सेक्स ल्योर ट्रैप का उपयोग करें।