- भारी वर्षा की स्थिति में कम पानी चाहने वाली फसलो में जल निकासी की उचित व्यवस्था रखे।
- वर्षा की स्थिति को ध्यान में रखते हुए उर्वरको, बीज, सूखे चारे तथा अनाज से भरे बोरो को सुरक्षित सूखे स्थान पर रखे।
- जहां तक संभव हो बोर या सिंचाई स्त्रोत में जल संभरण संरचना का निर्माण करे या डबरी बनाये जिससे वर्षा जल का संचयन तथा उचित उपयोग हो सके ।
- तेज हवा से सुरक्षा हेतु सब्जी उत्पादक कृषक घने हेज या वायु अवरोधक ठोस संरचना की व्यवस्था करे केले तथा पपीता जैसे फसलो को सहारा प्रदान करें।
- तेज हवा या अत्यधिक बिजली चमकने की स्थिति में पशुओ को खुला ना छोड़े और नाही स्वयं बाहर निकले।
- वर्षा या बिजली चमकने के समय खेतों में रोपाई कार्य ना करें।
- सब्जियों की नर्सरी जमीं की सतह से 15 – 20 से.मी. ऊँची बनाये।
- बेल या लता वाली सब्जी वर्गीय फसलो हेतु बनाये गए मचान को अच्छी तरह से बांधे तथा पुरानी रस्सियों को बदल देवे।
- मौसम आधारित फसलों का बीमा अवश्य करवाएं।
- मौसम पूर्वानुमान की जानकारी हेतु भारत मौसम विज्ञान विभाग द्वारा विकसित "MEGHDOOT" मोबाइल एप प्ले स्टोर के माध्यम से इनस्टॉल करे https://p।ay.goog।e.com/store/apps/detai।s?id=com.aas.meghdoot&h।=en_IN&g।=US
- अपने क्षेत्र के आकाशीय बिजली की स्थिति के सम्बन्ध में जानकारी प्राप्त कर सकते है इस एप को आप अपने एंड्रायड मोबाइल में प्ले स्टोर के द्वारा इंस्टाल कर सकते है https://p।ay.goog।e.com/store/apps/detai।s?id=com.।ightening.।ive.damini
असिंचित मध्य भूमि हेतु अनुसंशित धान किस्म तथा उनके गुण |
|||||
भूमि के प्रकार |
किस्म |
अवधि दिनों में |
सामान्य उपज क्षमता (क्विं/हे ) |
विशेषता |
|
10 वर्ष तक के उम्र वाली किस्मे |
|||||
असिंचित मध्य भूमि |
डी.आर.आर धान |
115-120 |
40-45 |
बौना लम्बा पतला दाना, सुखा के प्रति मध्यम सहनशील |
|
आई आर - 64 ड्राउट |
115-120 |
40-45 |
बौना, लम्बा पतला दाना सुखा सहनशील |
||
चंद्रहासिनी |
120-125 |
40-45 |
अर्ध बौनी |
||
इंदिरा एरोबिक
- 1
|
115-120
|
40-45
|
एरोबिक अवस्था हेतु अनुसंशित (आवश्यकता पड़ने पर
सिंचाई )नेक ब्लास्ट तथा पर्ण सडन हेतु प्रतिरोधी |
||
आई.जी.के.व्ही .आर – 1 (इंदिरा राजेश्वरी ) |
120-125 |
45-50 |
अर्ध बौनी लम्बा - मोटा दाना पोहा केलिए उपयुक्त लीफ
ब्लास्ट हेतु अध्यम निरोधक |
||
आई.जी.के.व्ही.आर. – 2 (इंदिरा दुर्गेश्वरी ) |
125-130 |
44-50 |
लम्बा पतला दाना झुलसा रोग हेतु निरोधक , शीथ
ब्लाइट एवं शीथ रॉट हेतु मध्यम निरोधक |
||
आई.जी.के.व्ही.आर –1244 (इंदिरा महेश्वरी ) |
130-135 |
45-50 |
लम्बा पतला दाना शीथ ब्लाइट एवं गंगई हेतु निरोधक , भूरा महो तथा ताना छेदक हेतु सहनशील |
||
ट्राम्बे छ.ग.दुबराज म्युटेंट -1 |
125-130 |
45-50 |
मध्यम पतला दाना,मध्यम सुगन्धित |
||
छ.ग.मधुराज-55 |
130-135 |
40-45 |
दाना माध्यम पतला शर्करा रोग से ग्रसित लोगो हेतु
लाभदायक |
||
ट्राम्बे छ.ग.सोनागाठी म्युटेंट |
135-140 |
60-65 |
स्वर्णा के सामान माध्यम मोटा दाना,मध्यम अवधि अधिक
उपज |
||
10 वर्ष से अधिक उम्र वाली किस्मे |
|||||
असिंचित मध्य भूमि |
आई.आर. 36 |
115-120 |
40-45 |
बौना लम्बा
पतला दाना गंगई ब्लास्ट , ब्लाइट के लिए निरोधक |
|
आई.आर. 64 |
115-120 |
40-45 |
बौनी लम्बा पतला दाना झुलसान तथा खुलसा रोग हेतु
सहनशील |
||
क्रांति |
125-130 |
40-45 |
बौना मोटा दाना सुखा सहनशील पोहा हेतु उपयुक्त |
||
महामाया |
125-128 |
40-45 |
बौना मोटा दाना गंगई निरोधक पोहा हेतु उपयुक्त |
||
एम्.टी.यू. 1001 |
112-115 |
40-45 |
अर्ध बौना , लंबा पतला दाना
|
||
असिंचित उच्च भूमि हेतु उन्नत धान किस्म |
|||||
10 वर्ष तक की उम्र वाली किस्मे |
|||||
असिंचित भूमि |
छत्तीसगढ़
जिंक राइस -1
|
110-115 |
40-45 |
छत्तीसगढ़ की प्रथम अधिक जिंक युक्त किस्म |
|
बस्तर धान – 1 |
105-110 |
45-48 |
झुलसा रोग एवं ताना छेदक के लिए मध्यम प्रतिरोधी |
||
इंदिरा बारानी धान – 1 |
111-115 |
30-40 |
मध्यम पतला दाना , सुखा के प्रति मध्यम सहनशील , तना
छेदक हेतु सहनशील |
||
सहभागी धान |
110-112 |
30-40 |
लीफ ब्लास्ट के लिए |
||
10 वर्ष से अधिक उम्र वाली किस्में |
|||||
असिंचित उच्च भूमि |
कलिंगा - 3 |
80-90 |
25-30 |
अति हरुना ,
मध्यम ऊँचा |
|
आदित्य |
85-95 |
25-30 |
अति हरुना , अर्ध बौना , ब्लास्ट प्रतिरोधी |
||
अनंदा |
100-110 |
30-35 |
हरुना ,अर्ध बौना , सुखा रोधी , मोटा दाना |
||
दंतेश्वरी |
100-105 |
30-35 |
हरुना ,अर्ध बौना , लंबा पतला दाना गंगई निरोधक |
||
पूर्णिमा |
100-105 |
30-35 |
हरुना , अर्ध बौना , लम्बा पतला दाना , सुखा सहनशील |
- रागी - इंदिरा रागी-1 छ.ग. रागी -2, छ.ग.रागी-3, जी.पी.यू. 28, व्ही.आर. 708
- कोदो - इंदिरा कोदो - 1,छ.ग.कोदो -1,2, जे.के. 48 , जे.के. 155
- कुटकी - छ.ग. कुटकी -1,2,3, जे.के. 8
फसल |
बीज दर (कि.ग्रा. / हे.) |
किस्म |
सोयाबीन |
80 – 100 |
इंदिरा सोया - 9 ,जे. एस. 335, जे. एस. - 93, जे.
एस.– 05 |
मूंगफली |
100 – 120 |
एस. बी.– 11 , आई. सी. जी.– 37, आई. सी. जी.– 44 , टी. ए. जी.– 24, टी. ए. जी. 28 |
तिल |
0.5 – 0.6 |
टी. के. जी. -21, टी. के. जी. -२२
टी. के. जी. -55, टी. के.
जी. -8 |
- टमाटर की उन्नत किस्मे– पूसा अर्ली ड्वार्फ , स्वीट 72, पूसा रूबी , पूसा गौरव , मंगला , डी वी आर ,टी – 2 , नवीन , लक्ष्मी 5005
- बैंगन की उन्नत किस्म - पंजाब सदाबहार , के एस 331,पी पी एल , आई व्ही बी एल – 9पी एच – 5 , पी एच – 6, के एस – 224
- सब्जियों की बोवाई से पूर्व कैप्टोन ,कॉपर ओक्सीक्लोराइड नामक दवा 1-1.5 ग्राम प्रति किलो बीज की दर से उपचारित कर बोवाई करे।
- बैंगन टमाटर की फसल में जीवाणु जनित उकठा रोग के निदान हेतु जो पेड़ मर गए हो उन्हें जड़ सहित उखाड़कर उचित प्रबंधन करे।
- सब्जियों में पत्तियां खाने वाली इल्लियों से बचाव हेतु डाईमेथोयेट 150 मिली प्रति हेक्टेयर का छिडकाव करे।
- लगातार बदली के मौसम को देखते हुए सब्जी वर्गीय फसलों में माहू (एफिड) प्रकोप की सम्भावना होती है प्रारम्भिक प्रकोप दिखने पर नीम आधारित जैविक कीटनाशक का छिडकाव बारिश रुकने के बाद करे एवं कीट प्रकोप की अधिकता होने पर मिथाईलऑक्सी डेमेटोन 1.5 मि.ली. प्रति ली पानी में घोलकर प्रति एकड़ की दर से छिडकाव करे।
- आगामी दिवसों में वर्षा की सम्भावना को देखते हुए पोल्ट्री एवं पशुबाड़े में साफ सफाई की व्यवस्था Ø रखे तथा चारे एवं आहार को सूखे स्थान पर रखे।
- बड़े पशुओ में खुरपका मुहपका बीमारी से बचाव हेतु पशु चिकित्सक के सलाह्नुसार एफ.एम्.डी.का टीका अवश्य लगवायें।
- रानीखेत बीमारी से बचाव हेतु मुर्गियों को 6-8सप्ताह में आर-2 बी का टीका पशु चिकित्सक के परामर्शनुसार अवश्य लगावें ।
- पशुओं में बाह्य कृमि के कारण दाद, खाज, खुजली हो तो सल्फरयुक्त साबुन से प्रभावित भाग को धोवें एवं पोछने के बाद हिमेक्स मलहमलगावे।
- मवेशियों को 25-30 ग्राम मिनरल मिक्सचर प्रतिदिन चारे के साथ मिलकर अवश्य खिलावे।
- पशुओं को लगातार गिले स्थान पर खड़े होने ना दे।
- अत्यधिक वर्षा गरज चमक के समय पशुओं को बाहर चरने ना छोड़े।
- खेती के साथ साथ पशुधन एवं मुर्गीपालन तथा मत्स्य पालन को भी प्राथमिकता देवे जिससे अतिरिक्त आय भी प्राप्त होगा एवं जोखिम में कमी आएगी।
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