सिया राम (पी एच्.डी.स्कॉलर)
कृषि व्यवसाय एवं ग्रामीण प्रबंधन - विभाग
अलका मिंज (पी एच्.डी.स्कॉलर)
सब्जी विज्ञान - विभाग
इंदिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर, छत्तीसगढ़
आज खेती मेें रासायनिक उर्वरक और खाद का प्रयोग निरंतर बढ़ता ही जा रहा है। ऐसे में रासायनिक खाद से पैदा हुए फल, सब्जी और अनाज के सेवन से कई प्रकार के रोग उत्पन्न हो रहे हैं। इसे देखते हुए सरकार की ओर से जैविक खेती को बढ़ावा दिया जा रहा है। जैविक खेती की सबसे बड़ी खासियत ये है कि इसमें रासायनिक खाद और उर्वरक का प्रयोग बिलकुल नहीं किया जाता है। इसमें केवल प्राकृतिक रूप से तैयार खाद का उपयोग किया जाता है। इसे बनाने में भी खर्चा भी आता है और ये रासायनिक कीटनाशकों की तुलना में काफी प्रभावकारी होते हैं। आज हम इस आर्टिकल के माध्यम से आपको प्राकृतिक कीटनाशक जो नीम और गाय के मूत्र से तैयार होता है उसे बनाने की विधि बता रहे हैं ताकि आप इसे घर ही कम खर्च में इसे स्वयं तैयार करके इसका लाभ उठा सकें।
गोमूत्र और नीम से बना कीटनाशक सबसे अच्छा कीटनाशक माना गया है। इसे बनाने के लिए जो सामग्री चाहिए वे इस प्रकार से है-
- सामग्री- देसी गाय का मूत्र करीब 20 लीटर
- 2.5 किलो नीम की निम्बोली या पत्तियों का चूरा
- 2.5 किलो धतूरे के पत्तेें, 2.5 किलो अर्कमदार के पत्ते
- कद्दू या सीताफल के पौधे के 2.5 किलो पत्तें
- 750 ग्राम तक तम्बाकू का पाउडर
- 1 किलो के करीब लाल मिर्च का पाउडर
कीटनाशक बनाने की विधि
- देसी बैल या देशी गाय का मूत्र लगभग 20 लीटर किसी बर्तन में डालकर उसमें 2.5 किलो नीम की निम्बोली या पत्तियों को पीसकर मूत्र में मिलाएं।
- इस मिश्रण में करीब 2.5 किलो धतूरे के पत्तों को पीसकर उसकी चटनी बनाकर उसमें मिला दें।
- अब इस घोल में 2.5 किलो अर्कमदार के पत्ते की चटनी बनाकर उसी बर्तन में मिलाएं।
- अब इसमेें कद्दू या सीताफल के पौधे के 2.5 किलो पत्तों की चटनी पीसकर मिलाएं।
- इस मिश्रण में लगभग 750 ग्राम तक तम्बाकू का पाउडर मिलाएं।
- इसके साथ ही लाल मिर्च का पाउडर करीब 1 किलो मिश्रण में मिला दें।
- इस प्रकार इन सभी पेड़ों कि पत्तियों को पीसकर तैयार मिश्रण में मिलाने के बाद इसे अच्छी तरह से उबाल लें। इसके बाद इसे ठंडा कर छानकर इसे बोतलों में भर लें। इस तरह आपका जैविक कीटनाशक तैयार हो जाएगा।
कीटनाशक का इस्तेमाल कैसे करें
एक लीटर कीटनाशक में आपको करीब 20 लीटर पानी मिलाना है। इसी प्रकार यदि आपने कीटनाशक करीब 10 लीटर लिया है, तो आपको उसमें 200 लीटर पानी मिलाना होगा। पानी मिलाने के बाद तैयार मिश्रण को आप अपनी फसलों पर छिडक़ाव कर सकते हैं। इसके छिडक़ाव के बाद एक-दो दिन में ही इसका असर नजर आ जाएगा। आप देखेंगे कि फसलों पर कीटों का प्रकोप नहीं हो रहा है। कीट नष्ट हो गए हैं।
छिड़काव के लिए सामान्य सावधानियां
- छिड़काव सुबह या देर शाम को किया जाना चाहिए।
- गर्म मौसम के दौरान छिड़काव से बचें।
- बेहतर प्रभाव के लिए पत्तियों की दोनों सतहों पर छिड़काव्रे करें।
- पावर स्प्रेयर का उपयोग करते समय, उपयोग किए जाने वाले पानी की मात्रा आधी कर दें।
- बनाये गए अर्क का पतला घोल का उपयोग करना बेहतर होता है।
- एक एकड़ भूमि में छिड़काव करने के लिए लगभग 60 लीटर जैव कीटनाशक के मिश्रण की आवश्यकता होती है घोल की नहीं। हालांकि, कीट के हमले की तीव्रता को देखते हुए छिड़काव की मात्रा प्रचलित स्थितियों के आधार पर भिन्न हो सकती है।
लाभ
- खेतों में इसके छिड़काव से सभी प्रकार की कीटों पर नियंत्रण में मदद मिलती है।
- पत्ती खाने वाले, फल छेदन तथा तना छेदक जैसे अधिक हानि पहुंचाने वाले कीटों के प्रति इसका उपयोग अधिक लाभकारी है।
- गोमूत्र कीटनाशक, खाद्य पदार्थ की गुणवत्ता और उसके स्वाद को बनाए रखने, खेती की उर्वरा शक्ति के साथ-साथ कृषि पर्यावरण एवं स्वास्थ्य के लिए बेहतर है।
- जैविक कीटनाशक को बनाने में कम खर्चा आता है और जबकि रासायनिक कीटनाशक काफी महंगे होते हैं।
- जैविक कीटनाशक वनस्पतियों पर आधारित उत्पाद से निर्मित किए जाते हैं जो कीटनाशक महीने में ही मिट्टी में मिलकर अपघटित हो जाते हैं, जिनका कोई दुष्परिणाम भी नहीं होता है। जबकि रासायनिक कीटनाशक मिट्टी के लिए भी हानिकारक हो सकते हैं।
- जैविक कीटनाशक केवल लक्षित कीटों एवं बीमारियों को मारते है, जबकि रासायनिक कीटनाशकों से मित्र कीट भी नष्ट हो जाते हैं।
- रासायनिक कीटनाशकों के लगातार इस्तेमाल करने से कीटों की प्रतिरोधक क्षमता विकसित होती जा रही है, जो भविष्य के लिए एक बड़ा खतरा बनता जा रहा है।
- खेतों में जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करनें से कीटों के जैविक स्वभाव में किसी प्रकार का कोई परिवर्तन नहीं होता है।
- जैविक कीटनाशकों का इस्तेमाल करने के बाद तुरंत ही फलों और सब्जियों आदि की कटाई कर प्रयोग में ला सकता है जबकि रासायनिक कीटनाशक युक्त फल और सब्जियों को अच्छी प्रकार से धोने के बाद प्रयोग में लिया जा सकता है।
- जैविक कीटनाशक पर्यावरण संतुलन बनाने में सहायक है। जबकि रासायनिक कीटनाशक भविष्य में पर्यावरण के लिए भी एक खतरा बन सकते हैं।
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