वो कहते है ना, कुछ लोग गांव में आकर नौकरी का टशन दिखाते है। 

तो आइए जानते एक दिलचस्प किस्सा, जो कि पिन्टु मीना पहाड़ी के साथ घटित हुआ, जब उनका सामना एक पशुपालक बाबा नाहर सिंह जी से हुआ। बाबा नाहर सिंह जी जितना कमाते है उतने रुपये का प्लाट लेकर कुछ लोग शहर में इतराते है,  उतनी प्रोपर्टी लेकर तो बाबा जंगल मे घुमनें जाते है।

कल पिन्टु मीना पहाड़ी अमरगढ़ चौकी से बामन बड़ोदा की तरफ किसान हनुमान शर्मा जी के तारबन्दी का वैरिफिकेशन करने जा रहे थे, तभी रास्ते मे बाबा नाहर सिंह जी गुर्जर अपने भेड़ो को लेकर जा रहे थे। उनकी 2-3 बाइक देखकर वो जल्दी जल्दी भेड़ो को रास्ते से हटाने लगे लेकिन भेड़ तो भेड़ ही होती है अपनी धुन में मस्त रहती है वो हटने का नाम ही नही ले रही थी।

अब बार बार हॉर्न मारकर परेशान होने से क्या फायदा इससे आपका का स्ट्रेश बढ़ता है और पशुपालक का भी स्ट्रेश बढ़ता है उन्होंने सोचा कि बाइक को साइड में खड़ा कर बाबा नाहर सिंह जी से भेड़पालन और उनके मुनाफे के बारे में ही बात कर ली जाये। 


बाबा की पर्सनैलिटी बढ़ी शानदार मस्त व्यवहार और हँसमुख स्वभाव ने हमें उनके साथ कुछ देर तक चलने को विवश कर दिया वह चलते रहे और उनसे बातें करते रहें। 

बाबा ने बताया कि उनके पास वर्तमान में 350 भेड़ है फिर मैंने पूछा सालभर में कितना कमा लेते हो तो बाबा ने अपने अंदाज में बताया की, भाया साहब कुछ सामान्य रहे यानी कि ज्यादा रोग बीमारी नही आये तो खर्चा काट पीटकर 8-9 लाख रु का जुगाड़ हो जाता है "पर सुन थारी नोकरी की तरह शनिवार, रविवार, होली, दिवाली की छुट्टी कुन मिले, रोज सूली की तरह टँग्यो रहनो पड़े डांग में" साथियो ना तो कोई धंधा छोटा बढा होता और ना ही कोई व्यक्ति छोटा बढा होती है छोटी बड़ी होती है इंसान की सोच और जिसकी जैसी सोच होती है वो आपके बारे में वैसा ही सोचेगा इसलिए मस्त रहो और अपने धंधे पर ध्यान दो।

पिन्टु मीना पहाड़ी ने कहा कि, साथियो कोई भी कार्य यदि हम करते है तो उसमे आपके सतत प्रयास और धैर्य बहुत जरूरी है मेहनत ज्यादा करनी पड़ती है सहनशीलता का होना जरूरी है भेड़ बकरी पालन का बिजनिस भी कोई बुरा नही है आमदनी का अच्छा स्त्रोत है।

आप पशुपालन एवं उधोग विभाग में बात कर इस मिलने वाली सब्सिडी की जानकारी ले सकते है मैं भी बता देता लेकिन मुझे इसकी पूरी जानकारी नही है।

वह आगे बताते है कि, बाबा नाहर सिंह जी कहने लगे मैं यहीं पास के गांव का ही कभी घर जरूर आना मस्त इंसान है आप देखिए ना फोटो में कितने सन्तुष्ट और खुश नजर आ रहे है "सड़क पर यदि बारात नाच रही हो तो हॉर्न मार मार कर परेशान होने से बेहतर है गाड़ी साइड में खड़ी करो और कुछ देर आप भी नाच लो इससे मन शांत होगा समय तो उतना ही लगना है" बस ये बात याद आ गई और बाबा से एक सुखद मुलाकत हो गई।

फोटो साभार :- महेंद्र चौधरी जी एवं लोकेश चौधरी जी, आइडिया :- अमित गुर्जर जी

स्रोत: खेती की अवधारणा पिन्टु मीना पहाड़ी