सृष्टि सिंह परिहार, पीएच.डी. विद्वान, सब्जी विज्ञान विभाग, 
डॉ. अनिल पटेल, पीएच.डी. विद्वान,कृषि मौसम विज्ञान विभाग
करुणा साहू, पीएच.डी. विद्वान, सब्जी विज्ञान विभाग, 
कृषि महाविद्यालय,आईजीकेवी, रायपुर (छ.ग.)

फूलगोभी की सफल खेती के लिए ठंडी और आर्द्र जलवायु सर्वोत्तम होता है। इसे ठंडी और नम जलवायु में आसानी से उगाया जा सकता है। अधिक ठंडा और पाला का प्रकोप होने से फूलों को अधिक नुकसान होता है। शाकीय वृद्धि के समय तापमान अनुकूल से कम रहने पर फूलों का आकार छोटा हो जाता है। अच्छी फसल के लिए 15 से 20 डिग्री तापमान सर्वोत्तम होता है। अधिक गर्म जलवायु इसकी खेती के लिए उपयुक्त नहीं होती है, क्योंकि अधिक गर्म जलवायु में इसके फूलों की गुणवत्ता अच्छी नहीं होती है। फूल गोभी के फूलो और पौधों को अच्छे से विकास करने के लिए 15 से 18 डिग्री तापमान की आवश्यकता होती है, किन्तु अधिक तापमान में वृद्धि होने पर फूल अच्छे से वृद्धि नहीं कर पाते है । जिससे पैदावार भी प्रभावित होती है।

फूलगोभी की उन्नत और संकर किस्मों को उगाये जाने वाले समय के आधार पर विभिन्न वर्गो में बांटा गया है या यु कहें की अलग-अलग समय के लिए अलग-अलग अनुमोदित किस्में है। इसकी स्थानीय और उन्नत दोनों प्रकार की किस्में उगायी जाती है। इन किस्मों पर तापमान तथा प्रकाश अवधि का बहुत प्रभाव पड़ता है। इसलिए इसकी अपने क्षेत्र की प्रचलित और अधिकतम पैदावार देने वाली किस्मों का चुनाव तथा उपयुक्त समय पर बुआई करना अत्यंत आवश्यक है। यदि अगेती किस्म को देर से और पिछेती किस्म को जल्दी उगाया जाता है, तो दोनों में वनस्पतिक वृद्धि अधिक हो जाती है। परिणामस्वरूप फल छोटे रह जाते है, तथा फल विलम्ब से लगते हैं, जिससे इसके उत्पादन पर अत्यधिक प्रभाव पड़ता है। इस आधार पर फूलगोभी को तीन भागों में वर्गीकृत किया गया है, जैसे- अगेती, मध्यम और पछेती समय की किस्में। इस लेख में फूलगोभी की किस्मों एवं उनकी विशेषताएं और पैदावार की जानकारी का उल्लेख किया गया है। फूलगोभी की किस्मों को पांच (I-V) अलग-अलग परिपक्वता समूहों में विभाजित किया गया है।

फूलगोभी की किस्मों को पांच (I-V) अलग-अलग परिपक्वता समूहों में विभाजित किया गया है-

परिपक्वता समूह

नर्सरी बोने का समय

रोपाई

समय

कर्डिंग के लिए अनुकूल तापमान सीमा

किस्मों

अगेती: मई परिपक्वता

(मई जून)

फ़रवरी अंत

 

मार्च

24OC- 30OC

पूसा मेघना,  डीसी 23,

पूसा कार्तिक शंकर

अगेती I (A)

सितंबर परिपक्वता

(मध्य सितंबर - मध्य नवंबर)

मध्य मई

जुलाई की शुरुआत

20-27 OC

अर्ली कुंवारी,

पूसा अर्ली सिंथेटिक

 पंत गोभी-3

अगेती II (B)

अक्टूबर परिपक्वता

(मध्य अक्टूबर- मध्य नवंबर)

मई अंत- मध्य जून

मध्य जुलाई

20-25 OC

 

पूसा कतकी,

 पूसा दीपाली,

पंत गोभी -2

मध्यम अगेती (III)

नवंबर परिपक्वता

(मध्य नवंबर - मध्य दिसंबर)

जुलाई अंत

 

सितंबर की शुरुआत

16-20 OC

 

इम्प्रूवड जैपनीज,

 पूसा हाइब्रिड-2, पूसा शरद,

पंत गोभी -4

मध्यम पछेती (IV)

दिसंबर परिपक्वता

(मध्य दिसंबर - मध्य जनवरी)

 

अगस्त

अंत

सितंबर अंत

12-16 OC

 

पूसा सिंथेटिक, पूसा शुभ्रा,

पालम उपहार, पंत शुभ्रा

पूसा हिम ज्योति,

 पूसा पौषजा,

 पूसा शुक्ति

पछेती (V) स्नोबाल

(जनवरी - मार्च)

 

सितंबर अंत-

मध्यअक्टूबर

अक्टूबर अंत - मध्य नवंबर

 

10-16 OC

स्नोबाल-16.

पूसा स्नोबॉल - I,

पूसा स्नोबॉल के.-1


फूल गोभी की अगेती किस्में
पूसा अर्ली सिंथेटिक:- इस किस्म को लगाने का समय जायद में फरवरी-मार्च और खरीफ में जुन-जुलाई हैं। मटियार दोमट और बलुई दोमट इसके लिये उपयुक्त भूमि हैं। वानस्पतिक गुण पौधा सीधा, पत्तियॉं नीली-हरी, फूल क्रीमी सफेद तथा ठोस होता है। पौधों को लगाने के बाद फसल को तैयार होने में 70-75 दिन समय लगता है। प्रति हेक्टेयर 120 से 150 क्विंटल तक उपज होती है। लागत जायद में रू 70000/-प्रति हे. और खरीफ में रू 65000/- प्रति हे. लगता है। शुद्ध आमदनी जायद में रू 75000/-प्रति हे. और खरीफ में रू 70000/- प्रति हे. प्राप्त होता है। 

पूसा दीपाली:- इस किस्म के पौधे रोपाई के 60 से 70 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है। इस किस्म के पौधों में 24 से अधिक पत्तियां पाई जाती है । फूल गोभी की इस किस्म में फूल सफ़ेद और ठोस गुथे हुए पाए जाते है, जो प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 40 से 60 क्विंटल की पैदावार देती है।

पूसा मेघना:- इस किस्म के पौधे रोपाई के 95 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है। इसका पौधा मध्‍यम आकर एवं 30-40 सें.मी. ऊचॉई का कम फैलने वाला होता हैl विशिष्ट गुण फूल सफेद, लघु एवं मध्‍यम आकार के 350 से 400 ग्रा का होता हैl फूल गोभी की यह किस्म 125 क्विंटल की पैदावार देती है। 

पुसा कार्तिक संकर:- यह किस्म पौधे रोपाई के 95 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है। विशिष्ट गुण फूल सफेद एवं मघ्‍यम आकार के वजन लगभग 475 ग्राम होता है। इस किस्म में डाउनी मिल्‍डयू के लिए प्रतिरोधी क्षमता पाया जाता है। यह किस्म 149 क्विंटल की पैदावार देती है। 

फूल गोभी की मध्यम प्रजाति की किस्में
पूसा शुभ्रा:- इसकी खेती के लिए बलुई दोमट से दोमट मिटटी उपयुक्त है। वानस्पतिक गुण पौधा सीधा तथा तना लंबा, पत्तियॉं नीली-हरी तथा मोम आवरण से युक्त, फूल पुष्ट तथा सफेद होता है। यह पौधों की रोपाई के 90 दिन बार पैदावार देना आरम्भ कर देते है। फूल गोभी की यह किस्म 200 से 250 क्विंटल की पैदावार देती है। विशिष्ट गुण फूल का वजन 700-800 ग्राम होता है। लागत रु.70000/-प्रति हे. लगता है। शुद्ध आमदनी रू 80000/-प्रति हे. प्राप्त होता है।

पूसा हिम ज्योति:- यह किस्म पौधे रोपाई के 65 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाते है। इसमें निकलने वाले फल सफ़ेद रंग के होते है, जिनकी पत्तियों का रंग हरा तथा नीला होता है। यह प्रति हेक्टेयर के हिसाब से तक़रीबन 200 क्विंटल की पैदावार देने वाली किस्म है। विशिष्ट गुण फूल का वजन 500-600 ग्राम होता है। लागत रू 65000/-प्रति हे. लगता है। इसकी खेती से शुद्ध आमदनी रु. 75000/-प्रति हे. प्राप्त होता है।

पूसा कतकी:- वानस्पतिक गुण पौधा मध्यम आकार का, पत्तियॉं नीली-हरी तथा किनारा लहरदार होता है। फूल का रंग क्रीमी सफेद होता है। यह पौधों की रोपाई के 60-70 दिन बार पैदावार देना आरम्भ कर देते है। यह औसत उपज 120 क्वीं./हे. और संभव उपज 150 क्वीं./हे. पैदावार देने वाली किस्म है। विशिष्ट गुण अक्टूबर के अंत तक फूल उपलब्ध होने से मूल्य अधिक मिलता है। लागत रू 65000/-प्रति हे. लगता है। शुद्ध आमदनी रू 75000/-प्रति हे. प्राप्त होता है।

फूल गोभी की पछेती किस्में
स्नोबाल 16:- वानस्पतिक गुण बाहरी पत्तियॉं सीधी खड़ी होती है। फूल पुष्ट और सफेद होता है इस किस्म में पौधे रोपाई के 90 दिन पश्चात पैदावार देना आरम्भ करते है । इस किस्म में तकरीबन 220 से 250 क्विंटल की पैदावार प्राप्त हो जाती है । विशिष्ट गुण फूल का आकार बड़ा होता है। लागत रू. 80000/-प्रति हे. लगता है। शुद्ध आमदनी रू 90000/-प्रति हे. प्राप्त होता है।

पूसा स्नोबॉल-1:- इस किस्म के पौधे रोपाई के 90 दिन पश्चात पैदावार देना आरम्भ कर देते है । इसमें निकलने वाले फूल देखने में बड़े आकार के तथा ठोस होते है। यह प्रति हेक्टेयर के हिसाब से 200 से 250 क्विंटल की पैदावार देने वाली किस्म है ।

पूसा स्नोबॉल के.-1:- फूल गोभी की यह किस्म पौध रोपाई के 90 दिन बाद पैदावार देने के लिए तैयार हो जाती है। इसमें अत्यधिक सफ़ेद रंग के फूल पाए जाते है, जो आकार में काफी बड़े होते है। इसका फल 24-28 पत्तियों से ढका होता है, जिसमे पत्तियों का रंग हल्का हरा होता है। यह किस्म प्रति हेक्टेयर के हिसाब से तक़रीबन 250 क्विंटल की पैदावार देती है।