डॉ. ओ.पी. डहरिया

छत्तीसगढ़ में बीते चार सालों में खेती-किसानी में नया उत्साह देखने को मिल रहा है। इन वर्षाें में जहां खेती का रकबा बढ़ा है, वहीं कृषि उत्पादन में भी बढ़ोत्तरी हुई है। राज्य में लगभग 30 लाख हेक्टेयर में खरीफ की फसल ली जा रही है। खरीफ में सर्वाधिक धान की फसल ली जाती है। धान की फसलों की व्यवस्थित खरीदी व्यवस्था राज्य सरकार द्वारा की जाती है। इस वर्ष समर्थन मूल्य पर धान की खरीदी एक नवम्बर से प्रारंभ होने जा रही है। लगभग 01 करोड़ 10 लाख मेट्रिक टन धान खरीदी का लक्ष्य रखा गया है।

छत्तीसगढ़ में खेती-किसानी में आया बदलाव मुख्यमंत्री श्री भूपेश बघेल की किसान हितैषी नीतियों का परिणाम है। किसानों को समर्थन मूल्य का उचित मूल्य दिलाने के साथ ही उन्हें इनपुट सब्सिडी के रूप में राजीव गांधी किसान न्याय योजना का लाभ भी दिया जा रहा है। इस योजना के तहत धान की फसल लेने वाले किसानों को 9000 रूपए और धान के अलावा खरीफ की अन्य फसल लेने वाले किसानों को 10,000 रूपए की इनपुट सब्सिडी दी जा रही है। इसके अलावा किसानों को खेती-किसानी के लिए ब्याज मुफ्त ऋण की भी व्यवस्था की गई है। इन सबका परिणाम यह निकला कि जो किसान खेती-किसानी छोड़ चुके थे, वे भी अब खेती-किसानी से जुड़ रहे है। वर्ष 2018 में पंजीकृत किसानों की संख्या 16.92 लाख जो बढ़कर अब 25.12 लाख हो चुकी है। 

पिछले चार वर्षाें मेें ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत बनाने के लिए राज्य सरकार ने लगभग एक लाख करोड़ की मदद किसानों, मजदूरों और गरीब वर्ग के लोगों को दी गई है। इसके अलावा गांवों में रोजगार के नये अवसर के लिए भी पहल की गई है। गौठानों में महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क (रीपा) विकसित किए जा रहे है। राज्य में प्रथम चरण में लगभग 300 नये रीपा प्रारंभ किए गए हैं। इनमें से ग्रामीण युवाओं को रोजगार के नये-नये अवसर दिए जा रहे है। यहीं कारण है कि छत्तीसगढ़ में बेरोजगार देश में सबसे कम है। 

किसानों के धान एवं अन्य फसलों के रकबे के सही निर्धारण के लिए गिरदावरी व्यवस्था को मजबूत बनाया गया। वहीं उन्हें धान खरीदी का समय पर कीमत दिलाने की पहल की गई है। धान खरीदी की पूरी व्यवस्था कम्प्यूटरिकृत की गई है। इससे किसानों को धान बेचने के 24 घंटे के भीतर उपलब्ध कराया जा रहा है। किसानों की आर्थिक व्यवस्था में आए बदलाव का असर इस बात से देखा जा सकता है कि इन चार वर्षाें में बड़ी संख्या में किसानों ने ट्रेैक्टर सहित अन्य कृषि उपकरण यंत्रों की खरीदी की है। 
   

राज्य सरकार द्वारा खेती-किसानी को लगातार प्रोत्साहन दिया जा रहा है। किसानों को अत्याधुनिक सिंचाई उपकरण अनुदान पर दिए जा रहे है। वहीं पिछड़े और दुर्गम क्षेत्रों में सिंचाई व्यवस्था के लिए सोलर सिंचाई पम्प भी उपलब्ध कराए जा रहे है। राज्य में इन वर्षाें में किसानों को प्रमाणित बीज उपलब्ध कराने के लिए भी पहल की गई है। किसानों को प्रमाणित बीज के उत्पादन के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। प्रमाणित बीज समर्थन मूल्य पर  खरीदी की भी व्यवस्था की गई है। अनुसूचित जाति एवं जनजाति वर्ग के किसानों को उनके सिंचाई पम्पों के लिए निःशुल्क विद्युत उपलब्ध कराया जा रहा है। वहीं अन्य वर्ग के किसानों के लिए रियायती दर पर विद्युत उपलब्ध कराया जा रहा है। 
    
एक नवम्बर से प्रारंभ हो रही समर्थन मूल्य पर धान खरीदी के लिए इस वर्ष किसानों को ग्रेड-ए धान के लिए 2060 रूपए और कॉमन धान के लिए 2040 रूपए प्रति क्विंटल की मान से राशि भुगतान किया जाएगा। किसानों की सुविधा के लिए धान खरीदी केन्द्रों की संख्या में भी वृद्धि की गई है। राज्य में इस वर्ष 2 हजार 497 धान उपार्जन केन्द्रों में खरीदी होगी। धान खरीदी के लिए राज्य में सभी तैयारियां पूर्ण कर ली गई है। सभी कलेक्टरों को यह हिदायत दी गई है कि धान खरीदी व्यवस्था में किसानों को किसी भी प्रकार की दिक्कत नहीं होनी चाहिए।