डॉ. कुशल कुमार साण्डे, इंजी. सपना जैन, डॉ. प्रणाली निकम, 
डॉ. अशोक अग्रवाल, डॉ. चन्द्रहास साहू एवं डॉ. द्रोनक साहू
दुग्ध विज्ञान एवं खाद्य प्रौद्योगिकी महाविद्यालय, रायपुर, (छ.ग.)

हमारे देश भारतवर्ष में दुधारू पशुओं जैसे गाय, भैंस, बकरीयों इत्यादि से दूध निकालने के लिए हाथों के उपयोग की हजारों वर्ष पुरानी परम्परा रही है। ये हमारा पारंपरिक तरीका माना जाता है, लेकिन अब डेयरी फार्मिंग की नई तकनीक आ गई है। इसी कड़ी में डेयरी फार्मिंग और पशुपालन में एक मशीन ने क्रांति लाई है, जिसको मिल्किंग मशीन यानी दूध दुहने वाली मशीन के नाम से जाना जाता है। मिल्किंग मशीन की शुरूआत डेनमार्क और नीदरलैंड से हुई, लेकिन आज यह तकनीक दुनियाभर में अपनाई जा रही है। संकर किस्म की गायें, भैंसे आज कल प्रतिदिन लगभग 10-20 लीटर दूध देती है। यदि इस प्रकार की 20-30 गाय या भैंसे हो तो दूध दुहने का कार्य अत्यंत दुष्कर हो जाता है। वर्तमान में दूध दुहने के लिए दुधिया या ग्वालों की उपलब्धता भी सुनिश्चित नहीं की जा सकती है।

कई डेयरी उद्योग और प्रगतिशील पशुपालक दूध निकालने के लिए मिल्किंग मशीन का उपयोग कर रहेे हैं। जिन डेयरी फार्म में मिल्किंग मशीन का प्रयोग नहीं किया जाता वे पूर्ण रूप से श्रमशक्ति पर ही निर्भर रहते हैैं। जिसका परिणाम श्रम पर अधिक खर्च के रुप में सामने आता है। मिल्किंग मशीन, डेयरी किसान कि कुशल कर्मचारी पर निर्भरता को भी सीमित करती है क्योंकि मिल्किंग मशीन का प्रयोग कोई भी अकुशल कर्मचारी आराम से कर सकता है। मिल्किंग मशीन से दूध निकालना काफी आसान व त्वरित होता है। इस मशीन के द्वारा लगभग 1.5 से 2.5 लीटर दूध प्रति मिनट तक दुहा जा सकता है। खास बात यह है कि मिल्किंग मशीन से दुधारू पशुओं के थनों को कोई नुकसान नहीं पहुंचता है, साथ ही दूध की गुणवत्ता और उत्पादन में बढ़ोतरी होती हैं। इस मशीन से थनों की मालिश भी होती है।

मिल्किंग मशीन
वर्तमान में मध्यम एवं बड़े डेयरी फार्मों में दूध दुहने की मशीन (मिल्किंग मशीन) का उपयोग किया जाता है। मिल्किंग मशीन कई तरह की आती हैं, छोटे डेयरी किसानों के लिए ट्रॉली बकेट मिल्किंग मशीन उपयुक्त होती है। ये दो तरह की होती हैं

(1) सिंगल बकेट मिल्किंग मशीनः इस मशीनकी सहायता से लगभग 10 से 15 दुधारू पशुओं से दूध आसानी से निकाला जा सकता है।

(2) डबल बकेट मिल्किंग मशीनः इस मशीन से लगभग 15 से 35 पशुओं से दूध निकाल सकते हैं। इसमें एक ट्रॉली लगी होती है, इसलिए इसको एक जगह से दूसरी जगह आसानी से ले जा सकते हैं। मध्यम एवं बड़े डेयरी फार्मों में अलग से एक स्थायी मिल्किंग पार्लर स्थापित की जाती है।

मिल्किंग मशीनों को कई कंपनियां बनाती हैं। पशुपालक आसानी से कम कीमत में इन्हें खरीद सकते हैं। मिल्किंग मशीन को डेयरी फार्म के एक हिस्से में लगा सकते हैं। इस मशीन के रख-रखाव में भी कम खर्चा आता है। इसमें एक-एक करके दुधारू पशुओं को मशीन के पास लाया जाता है। इसके बाद पशुओं का दूध दुहा जाता है।

मिल्किंग मशीन की कार्यप्रणाली
मिल्किंग मशीन व्दारा दूध, निर्वात (वैक्यूम) की सहायता से निकाला जाता है। मिल्किंग मशीन मुख्यतः निर्वात पंप, निर्वात पात्र (दूध एकत्रित करने के लिए पात्र), थन पात्र (पाइप व्दारा निर्वात पात्र से जुड़ा हुआ) एवं एक पलसेटर (जो क्रमशः थन पात्र में निर्वात एवं वायुदाब पैदा करता है) से मिलकर बना होता है। थन पात्र में रबर की एक नलिका होती है, जिसे थन पात्र लाइनर कहते है। इस नलिका का अंदरूनी भाग (जो थन से जुड़ा होता है) पर निर्वात का दबाव (खिंचाव अवस्था) बनाया जाता है जिससे कि दूध दुहने में आसानी हो सके। पलसेशन कक्ष (थन पात्र एवं लाइनर के बीच की जगह) में पलसेटर के व्दारा खिंचाव अवस्था में लगभग 0.5 बार का दबाव एवं मालिश अवस्था में सामान्य वायुदाब कायम किया जाता है। सामान्य वायुदाब की अवस्था में दूध का दुहान नहीं होता है व इस दौरान थनों में पुनः दूध भरने के लिए दुधारू पशुओं को समय भी मिल जाता है। इसके पश्चात् पुनः खिचॉव अवस्था आ जाती है। इस प्रकार खिचॉव एवं मालिश की क्रमशः अवस्थाओं से दूध, निर्वात पात्र में एकत्रित होता रहता है। पूरी तरह से दूध का दुहान होनेे के पश्चात् निर्वात पात्र को अलग करके दूध को संग्रहण टंकियों में डाल देना चाहिए, जिससे कि इसे तत्काल 4 डि.से. तक ठंड़ा किया जा सके। दूध दुहने के पश्चात् इसे तुरंत ही ठंडा करने से इसकी गुणवत्ता बढ़ जाती है।

मिल्किंग मशीन के उपयोग से सम्बंधित मुख्य सावधानियांः
  • मिल्किंग मशीन को समय समय पर साफ करते रहना चाहिए।
  • पशुओं के पहले ब्यांत से ही दूध दुहने के लिए मिल्किंग मशीन का उपयोग करेंगे, तो दुधारू पशुओं को इसकी आदत हो जाएगी।
  • शुरूआत में मशीन से दूध दूहते वक्त पशुओं को पुचकारते रहना चाहिए, ताकि वह अपनापन महसूस करते रहें।
  • इस मशीन से दूध निकालते समय ध्यान देना चाहिए की जब दूध आना बंद हो जाए तो मशीन को बंद कर देना चाहिए।
  • दूध निकालने से पहले तथा दूध निकालने के बाद दुधारू पशुओं के थनों को अच्छी तरह से साफ कर लेना चाहिए।
  • मशीन को पशुओं के आसपास ही रखना चाहिए, ताकि पशु उन्हें देखकर उसके आदी हो जाएं। कई बार पशु मशीन की आवाज से वे घबरा जाते हैं।
  • दुधारू पशुओं के गौशाला को हमेशा साफ सुथरा रखना चाहिए जिससे की किसी प्रकार की बीमारी पशुओं को न हो।

मिल्किंग मशीन से लाभ
  • मिल्किंग मशीन के उपयोग से लागत एवं समय की बचत होती है।
  • इस मशीन के उपयोग से दूध में किसी प्रकार की गन्दगी नहीं होती।
  • इसके उपयोग से तिनके, बाल, गोबर और पेशाब के छींटे दूध में नहीं पड़ पाते जिससे की दूध पूरी तरह से शुद्ध होता है।
  • इस मशीन के उपयोग से पशुपालक के दूध निकालते समय उनके खांसने व छींकने से भी दूध का बचाव होता है।
  • मिल्किंग मशीन के उपयोग से दूध सीधा थनों से पाईप के माध्यम से बंद डिब्बों में इकट्ठा होता है।
  • इस मशीन के उपयोग से पूर्ण दुग्ध दोहान संभव है जबकि पारम्परिक तरीका में दूध की कुछ मात्रा अधिशेष रह जाती है।
  • इसके उपयोग से दूध की मात्रा में 10 से 15 प्रतिशत तक की वृद्धि हो जाती है।
  • इस मशीन के उपयोग से दुधारू पशुओं को दुहने के लिए ज्यादा मजदूरों की आवश्यकता नहीं पड़ती है।
  • इसके उपयोग से बिना किसी परेशानी के दुधारू पशुओं से दूध निकाला जा सकता है।

मिल्किंग मशीन का रख-रखाव
  • मिल्किंग मशीन का सही रखरखाव होना आवश्यक है, इसके अभाव में मशीन में निम्नलिखित खराबियाँ हो सकती है।
  • वैक्यूम पंप में निश्चित से कम मात्रा में तेल का होना मशीन के खराब होने के मुख्य कारणों में से एक है।
  • वैक्यूम लाइन के कनेक्शन में ढीलापन दूध निकालने के समय में वृद्धि करती है जबकि पशुओं के लिए यह एक असुविधाजनक स्थिति उत्पन्न करती है।
  • इस मशीन के कलपुर्जों की अनियमित या अनुउपलब्धता के कारण डेयरी फार्म को उत्पादन में कठिनाईयों का सामना करना पड़ता है।
  • चेसिंग के रंगाई का उतर जाना मिल्किंग मशीन में जंग का कारण बन जाता है जिसका सीधा असर मशीन की क्षमता व टिकाऊपन पर पड़ता है।
  • वैक्यूम गेज की खराब क्वालिटी गलत रीडिंग देती है जिससे कि दुधारू पशुओं के दुग्ध अंग में जख्म होने का खतरा रहता है।
  • मिल्किंग मशीन में प्रयुक्त ट्यूब में रिसाव, घटिया व खराब क्वालिटी के कच्चे माल के प्रयोग के कारण होता है।

मध्यम एवं बड़े डेयरी फार्म में जहाँ पर संकर नस्ल की दुधारू पशुओं की संख्या बहुतायत में होती हैं वहां पर दुग्ध दोहान हेतु मिल्किंग मशीन किसी वरदान से कम नहीं है। मिल्किंग मशीन ने दुग्ध व्यवसाय में क्रन्तिकारी परिवर्तन लाया है। अधिक आय अर्जन करने, गुणवत्तापूर्ण स्वच्छ दुग्ध उत्पादन के लिए मिल्किंग मशीन बहुत ही उपयोगी उपकरण है। मध्यम एवं बड़े डेयरी फार्मो में पाइपों की ऐसी व्यवस्था की जाती है जिससे कि दूध, दुहने के पश्चात् सीधे दुग्ध संग्रहण टंकियों में पहुंच जाता है। इस व्यवस्था से प्राप्त दूध में न्यूनतम सूक्ष्म जीवाणु होते हैं। मिल्किंग मशीन के उपयोग से दूध की उच्च गुणवत्ता सुनिश्चित की जा सकती है।