डॉ. सरिता अग्रवाल
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, रायगढ़ (छ.ग.)

आयुर्वेद में आंवला को महत्वूपर्ण स्थान देते हुए अमृत फल कहा गया है। विटामिन-सी की प्रचुर मात्रा के कारण इसमें प्रति आक्सीकारक तत्व भी मौजूद होते है। यह शक्तिप्रद, पाचन तंत्र, श्वसन तंत्र, ह्दय, मस्तिष्क, रक्त वाहिनयों, वातवाहिनी और प्रजनन तंत्र आदि को शक्ति प्रदान करता है।

आंवला फल चूंकि तुरंत खराब होने वाला है। इसका मूल्यवर्धक उत्पादों में बदलने से न सिर्फ तुड़ाई उपरांत क्षति कम होती है। अपितु उत्पादकों को भी विक्रय और मौसम के दौरान संकट पर नियंत्रण करके कम क्षति होती है। आंवले फल में मौजूद गुणकारी पोषक और औषधीय गुणों के कारण इसके कई अच्छे पौष्टिक एवं मूल्यवर्धित उत्पाद बनाए जा सकते है। जैसे कि आंवले की चटनी, आंवला मुरब्बा, अचार इत्यादि।

आंवला की चटनी

सामग्री

आंवला -1 कि.ग्रा.

शक्कर -1 कि.ग्रा.

नमक -50 ग्रा.

प्याज -50 ग्रा.

लहसुन -15 ग्रा.

अदरक -15 ग्रा.

लाल मिर्च, दाल चीनी -10 ग्रा. प्रत्येक

बड़ी इलायची, सौफ, जीरा, सिरका -5 मि.ली.

विधिः-
  • आंवले के तीन चौथाई पके हुए फलों का चुनाव करें।
  • इन्हे ताजे ठंडे पानी से धो ले।
  • फलों को उबलते पानी में 3-5 मिनट तक डूबोएं। पानी निथार ले और फलों को ठंडा कर ले ।
  • बीज निकालकर फांके अलग करें। एक चौथाई भाग पानी मिलाकर पीस ले।
  • पेस्ट में चीनी और नमक मिलाकर धीमी आंच पर पकाए। मसालों को कपडे़ की पोटली में बांधकर मिश्रण के साथ ही गाढ़ा होने तक पकाएं।
  • गाढ़ा होने पर मसालों की पोटली को निचोड़ कर अलग करें।
  • सिरका मिलाकर 4 से 5 मिनट तक पकाएं। साफ जार में भरें और सील कर दें।
  • तैयार उत्पाद का साफ एवं ठंडी जगह पर भंडारण करें।

आंवला का आचार :-

सामाग्री:-

आंवला - 1 कि.ग्रा.

नमक - 200 ग्रा.

हल्दी - 25 ग्रा.

मेथी - 15 ग्रा.

लाल मिर्च - 25 ग्रा..

राई - 50 ग्रा.

काली मिर्च - 10 ग्रा.

जीरा - 10 ग्रा.

सरसों का तेल - 250 मि.ली. या आवश्यकतानुसार।

विधि:-

1. पूर्णतया परिपक्व बडे किस्म के आंवलें लीजिये।

2. इसे धोकर एक मिनट तक उबालकर टुकडे कर लीजिए तथा गुठली निकाल दें।

3. अब इन टुकड़ों में नमक मिलाकर तीन दिन धूप में रखिए।

4. सभी मसालों को पीसकर इन टुकड़ों में अच्छी तरह मिला दीजिए।

5. इसके बाद जार में भर दीजिए तथा तेल डालियें।

ऑवला का मुरब्बा
मुरब्बा साबूत फलों या उनके टुकडो को शक्कर के साथ पकाकर तैयार किया जाने वाला पारदर्शक, मुलायम व मिठासयुक्त खाद्य पदार्थ है । मुरब्बा में 70 प्रतिशत शक्कर होता है।


सिध्दांतः- फलों की कोशिकाओ में 80-90 प्रतिशत तक जल होता है, जिसे बाहर कर उनमें शक्कर अवस्थित कर देना ही मुरब्बा को परिरक्षित करने का सिद्धांत हैं ।

आवश्यक साामाग्री:-
ऑवला - 1 कि.ग्रा.

शक्कर - 1.5 कि.ग्रा.

नमक , फिटकरी आदि ।

मुरब्बा बनाने की विधि:-

1. फलों का चुनाव:- फल ताजा, बिना चोट खायंे, दाग रहित, समान आकार के आकर्षक होने चाहिए । फल गूदेदार, मोटे दल के, कम रेशे वाले तथा तीन चौथाई पके हुए, पर्याप्त कठोर होने चाहिए ।

2. फलों को धोना:- चुने हुये आँवला के फलोे को साफ पानी से धोना चाहिये, ताकि उनमें उपस्थित धूल के कण, रासायनिक पदार्थ के अवषेष आदि अच्छी तरह धूल के निकल जाये ।

3. फलो में छोटे-छोटे छिद्र करना या गोदना:- फलो में शक्कर अधिक से अधिक व्याप्त करने के लिये फलों मेें तेज, पतले नुकीले काँटे (जो लकड़ी, स्टेनलेस स्टील या एल्युमिनियम की बनी हो ) से छोटे - छोटे छिद्र करते है । इस क्रिया को गोदना कहते है । गोदते समय यह ध्यान रखना चाहिये की छिद्र समान रूप से हो ,फल कटे या फटे नहीं तथा गुठली तक गोदना चाहिये ।

4. फलों को उपचारित करना:- फलो को समुचित रूप से गोदने के पश्चात् आँवला का कसैलापन दूर करने के लिये फलों को उपचारित करना चाहिये । इसके लिये पहले दिन आँवला के फलो को 2 प्रतिशत नमक के घोल में 24 घण्टे के लिये डुबाते है । फिर दूसरेे दिन इन फलों को अच्छी तरह धोकर 2 प्रतिशत फिटकरी के घोल में 24 घण्टे के लिये डुबाते है। फिर तीसरे दिन फिटकरी के घोल से निकाल साफ पानी से अच्छी तरह धोते है ताकि फिटकरी का अंश न रहें। अब इन फलों को 3-5 मिनट के लिये उबलते पानी में रखते है, ताकि फल मुलायम हो जाये लेकिन ध्यान रहें फल कटे फटे नहीं , और न ही अधिक गलने चाहिये । (2% नमक व फिटकरी घोल बनाने के लिये 20 ग्राम /लीटर पानी में घोल बनाना है।)

5. शीरा तैयार करना तथा डुबोना:- पहले दिन ब्रिक्स का शक्कर का शीरा तैयार किया जाता है । इसके लिये 150 ग्राम शक्कर को 1.5 लीटर पानी में घोलकर शीरा बनाते है । इस शीरे में फल को 1 दिन के लिये रखते है । दूसरे दिन शीरे में से फल को निकालकर इसमें 375 ग्राम शक्कर मिलाकर थोड़े समय तक उबालते है ताकि शीरे का गाढ़ापन बढ़ जाये व कुल विलेय ठोस ब्रिक्स हो जाये । इस शीरे में फल को डुबाकर एक दिन के लिये रखते है फिर दूसरे दिन शीरे से फल को निकालकर शेष बचे शक्कर को मिलाकर कुल विलेय ठोस ब्रिक्स तक गाढ़ा करते है व इस शीरे में फल को 1 सप्ताह के लिये डुबाकर रखते है । अब फलोें को शीरे से अलग कर लें और शीरे को कपड़े से छान लीजिये । तत्पश्चात इसे उबालकर शहद के समान गाढ़ा कर लीजिए। (शक्कर के शीरे का कुल विलेय ठोस हैण्ड रिफ्रैक्टोमीटर द्वारा देखा जाता है।)

6. जार मेें भरनाः- तैयार मूरब्बे को ग्लास जार या टिन डिब्बों में भरा जाता है। पात्रों में मुरब्बा भरकर फल®ं के डुबने तक गर्म शहद के समान गाढ़ा शीरा भरना चाहिए। जो कि छानकर अलग किये थे।

7. सील बंद करना एवं भण्डारण:- जार का ढक्कन बंद कर देते है। उसके बाद उसका उचित स्थान पर भण्डारण कर देते है।