सुजीत सुमेर, पी.एचडी स्कॉलर
कृषि मौसम विज्ञान विभाग,
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

कृषि कार्ययोजना
  • सोयाबीन, अरहर एवं धान के लिए जमीन तैयार कर बोवाई करें।
  • धान का थरहा डालने या बोवाई से पूर्व स्वयं उत्पादित बीजों को 17 प्रतिशत नमक के घोल से उपचारित करें। प्रमाणित या आधार श्रेणी के बीजों को पैकेट में प्रदाय किये गये फफूंद नाशक से अवश्य उपचारित करें।
  • धान की कतार बोनी तथा खुर्रा बोनी करें। कतार बोनी धान में बोआई के 3 दिन के अंदर अंकुरण पूर्व प्रस्तावित नींदानाशक का छिड़काव करें।
  • धान के नींदा नियंत्रण हेतु बोता धान में ऑक्साडायर्जिल (रस्ट, टॉप स्टार 90 ग्राम सक्रिय तत्व) दवा की मात्रा 3 लीटर प्रति हेक्टेयर बुवाई के 3 दिन के अन्दर डालें 1 छिड़काव के समय भूमि में नमी अवश्य हो।
  • ग्रीष्मकालीन जुताई, जल निकास नालियों का सुधार एवं वर्षा हो जाने पर सिंचाई हेतु बने थालों को समतल करें।
  • खरीफ की लता वाली सब्जी जैसे- लौकी, कुम्हड़ा को पॉलीबैग में पौधा तैयार करें व करेला, बरबटट्ी लगाने हेतु अच्छी किस्म का चयन कर मेड़ नाली पद्धति से फसल लगाना सुनिश्चित करें, कुंदरू व परवल लगाने हेतु खेत तैयार करें।
  • खरीफ फसल में सहारा वाली फसलों हेतु सहारा देने के लिए पर्याप्त व्यवस्था करें एवं मचान की मरम्मत करें।
  • जो किसान भाई फलदार पौधे लगाना चाहते हैं वे वर्तमान में खेतों की तैयारी करें तथा साथ ही साथ खेतों में वर्षा ऋतु में पौधे लगाने हेतु गड्डे खोदने का कार्य प्रारंभ करें।
  • खेत की साफ-सफाई एवं मेड़ों की मरम्मत आवश्यक रूप से इस माह में करना चाहिए।
  • खेत की मिट्टी पलटने वाले हल से गहरी जुताई करें। एक सप्ताह तक खुला रहने देने से रोग पैदा करने वाले सूक्ष्म जीव, कीड़ों के अण्डे, प्यूपा तथा खरपतवारों के बीज नष्ट हो जाते हैं।
  • शीघ्र एवं मध्यम अवधि की धान किस्मों की कतार बोनी करें जिसमें बियासी की आवश्यकता नहीं होती एवं धान 10-15 दिन पहले पक जाता हैं।
  • सब्जियों की पौधशाला हेतु क्यारी निर्माण, भूमि उपचार एवं क्यारी में बीजों की बुवाई करें।
  • अदरक एवं हल्दी की रोपित फसल में पलवार (मल्चिंग) करें और जल निकास को वर्षा पूर्व ठीक करें।
  • बरसात क फसल हेतु कद्दुवर्गीय सब्जियों के बीजों की बुवाई करें।
  • गन्ने में मिट्टी चढ़ाने का कार्य सम्पन्न करें।
  • फलों जैसे- अमरूद, आम, नींबू व अनार में छंटाई करें साथ ही छंटाई किये हुए शाखा के शीर्ष पर बोर्डो पेस्ट का लेपन करें।
  • आम के विभिन्न उत्पाद जैसे- नेक्टर, आर.टी.एस., स्क्वैश, अचार, चटनी, अमावट आदि तैयार करें।
  • विभिन्न फल जैसे- अनन्नास, खिरनी, फालसा, खरबूज, तरबूज, लीची, शहतूत, जामुन, बेल आदि का स्क्वैश तैयार करें।
  • मशरूम का नया बीज (स्पान) तैयार करके रख लें। आयस्टर मशरूम तथा पैरा मशरूम दोनों का स्पान बना सकते हैं। इसके लिये गेहूँ या ज्वार के दानों का उपयोग करें।
  • गेंदा एवं वर्षाकालीन एकवर्षीय पौधों के लिए नर्सरी तैयार करें।
  • मौसमी फूलों की पौधशाला हेतु क्यारी निर्माण एवं बीज की बुवाई करें। शोभायमान उद्यान में जल निकास का प्रबंध करें।
  • मेड़ों पर उगे हुए पौधों को जलाकर नष्ट कर दें, जिससे कीड़े तथा रोग पैदा करने वाले सूक्ष्म जीव तथा खरपतवार बीज सहित नष्ट हो जाते हैं।
  • पौधशाला में क्यारियों की जुताई कर उसे फार्मलिन से उपचारित करें तथा क्यारियों को 100 गेज की रंगहीन पॉलीथीन की चादर से ढ़ँक दें। ऐसा करने के 15 दिन पश्चात् पॉलीथीन की चादर हटा दें तथा एक सप्ताह बीज की बुवाई करें। ऐसा करने से भूमिजनित रोग उत्पन्न करने वाले सूक्ष्म जीव विशेषकर सूत्रकृमि (नेमाटोड) नष्ट हो जाते हैं।

पशुपालन कार्ययोजना
  • पालतू पशुओं में गलघोंटू एवं एक टैंगिया रोग प्रतिरोधी टीकाकरण करें।
  • पशुओं को कृमिनाशक दवा की खुराक दें।
  • खरीफ फसल के लिये चारा फसलों की बुवाई करें।
  • पशु शालाओं एवं पशु आहार गोदामों की छतों की मरम्मत करें, जिससे भीतर आर्द्रता में वृद्धि न हों।
  • पशु शालाओं की गलियों की मरम्मत करें। अच्छा होगा कि प्रति 10 फीट लम्बाई पर 1 इंच का ढ़लान रखा जावें।
  • पशु शाला के आसपास गड्ढ़ों को पाटें। वर्षा के पानी के बहाव की उचित व्यवस्था करें।
  • मुर्गियों के बिछावन की बदली करें।
  • भेड़-बकरियों के कोठे की मिट्टी बदल देवें।