सिंधु श्योराण, प्रीतम कुमारी, कीट विज्ञान विभाग
चौधरी चरण सिंह हरियाणा कृषि विश्वविद्यालय, हिसार
शीतल छाया,  कृषि मौसम विज्ञान
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

हमारे देश में साल भर सार्वजनिक वितरण व उपयोग के लिए अनाज का भंडारण किया जाता है। इस दौरान कीट काफी नुकसान पहुंचाते हैं। वे अनाज व दालों की गुणवत्ता को तो कम करते ही हैं साथ ही उनकी मात्रा को भी कम कर देते हैं। अक्सर गोदामों में कीट-पतंगों की उपस्थिति का तभी पता चल पाता है; जब वो इधर-उधर उड़ते हुए नजर आते हैं। किन्तु तब तक अनाज को काफी नुकसान पहुंच चुका होता है। इस समस्या को दूर करने के लिए कीड़ों की सही समय पर पहचान कर उनका दूर किया जाना अति आवश्यक है। टीएनएयू ने ऐसे यंत्र बनाए हैं जो कीड़ों के हवा में इधर-उधर उड़ने के व्यवहार का फायदा उठा कर उन्हें खत्म कर देते हैं। इनमें टीएनएयू पिट फॉल ट्रैप, टीएनएयू प्रोब ट्रैप, इंडिकेटर मॉडल डिवाइस, टू इन वन मॉडल ट्रैप, यूवी-लाइट ट्रैप टेक्नोलॉजी, ऑटोमैटिक इंसेक्ट रिमूवल बिन, एग रिमूवल डिवाइस आदि शामिल हैं। इन यंत्रों को कई स्थानों पर प्रयोग किया जा रहा है और इन्हें राष्ट्रीय और राज्य स्तर पर काफी सराहना मिली है। टीएनएयू-स्टोर्ड ग्रेन इंसेक्ट पेस्ट मैनेजमेंट किट नाम से एक किट भी बनाई गयी है, जिसमें सभी यंत्रों के प्रोटोटाइप और एक सीडी रोम भी शामिल किया गया है जिससे यह पता लगाया जा सकता है कि इन यंत्रों का प्रयोग कैसे किया जाता है। इस किट से इन यंत्रों को भारत भर में पहचान दिलाई जा सकती है। यह किट इन यंत्रों को प्रयोग करना सिखाने केलिए आदर्श साबित होगी। इन यंत्रों का संक्षिप्त विवरण कुछ इस प्रकार है-

1. भंडारित अनाज में से कीटों के अंडे निकालने का यंत्र
अनाज के मुकाबले दालों का भंडारण करना अधिक मुश्किल होता है। इनमें मुख्यतः कैलोसोब्रुचस नामक कीड़े के प्रकोप का डर रहता है। यह कीट खेतों से भंडार तक दालों को लाने की प्रक्रिया में ही दालों में घुस जाता है। इस यंत्र में एक बाहरी कंटेनर होता है, और एक इनर पर्फोरेटेड कंटेनर भी होता है। इसके अंदर एक रॉड होती है, जिसके दोनों सिरों पर प्लास्टिक के ब्रश लगे रहते हैं।

उपयोग
अंडे वाले बीजों को पर्फोरेटेड कंटेनर में रख दिया जाता है, और फिर उस रॉड को पूरी परिधि में दिन में तीन बार (सुबह, दोपहर, शाम) 10 मिनट के लिए घड़ी की दिशा में और उसके विपरीत घुमाया जाता है। इस घूमती हुई रॉड के कारण अंडे नष्ट हो जाते हैं। इस प्रकार दालों को होने वाला नुकसान बच जाता है। साथ ही इस प्रक्रिया से बीजों के अंकुरण को कोई नुकसान भी नहीं होता है। एक बार अंडे नष्ट हो जाने के बाद बीजों के भंडारण के दौरान कीट दोबारा पैदा नहीं होते। आमतौर पर किसान दालों के बीजों का भंडारण करने से घबराते हैं क्योंकि इनके भंडारण से उनमें कीड़े लग सकते हैं। इस यंत्र से किसानों का यह डर कम हो सकता है। इस प्रकार किसानों को 'उनके खुद के बीज' रखने के लिए प्रोत्साहित भी किया जा सकता है।

2. गोदामों के लिए यूवी लाइट ट्रैप
यूवी लाइट ट्रैप में एक अल्ट्रा-वॉयलेट (यूवी) स्रोत होता है, जिससे 250 नैनो मीटर तक यूवी किरणें निकलती हैं। यह लाइट एक फनल पर लगी होती है जिसका ऊपर से 310 मिमी व्यास, और नीचे से 35 मिमी व्यास होता है। फनल के नीचे का अंतिम कोना एक पारदर्शी प्लास्टिक कंटेनर से जुड़ा हुआ होता है। यह पकड़े गए कीटों को जमा करने के लिए काम आता है। इसे उचित स्थान पर टांगने के लिए फनल के बाहरी हिस्से पर तीन हुक भी रहते हैं। यूवी लाइट ट्रैप को अनाज भंडारण के गोदमों में जमीन से लगभग 1.5 मीटर ऊंचाई पर लगाया जा सकता है। इसे लगाने के लिए गोदाम के कोने उचित रहते हैं, क्योंकि कीट इन जगहों पर शाम के वक्त काफी आते हैं।

उपयोग
इस जाल को रात के समय प्रयोग में लिया जा सकता है। यह लाइट ट्रैप सॉ टूथेड बीटल, रेड फ्लोर बीटल, लैसर ग्रेन बोरर, ओर्जाफिलस सर्नामेंसिस आदि कीटों को बड़ी संख्या में खत्म करता है। साधारण तौर पर 5 मीटर की ऊंचाई वाली 2 यूवी लाइट ट्रैप प्रति 60 x20 मीटर गोदाम में रखी जानी चाहिए। इस ट्रैप को गोदाम में अधिक समय तक भंडारित अनाज के लिए काफी उपयोगी माना जाता है। जब गोदाम में अनाज आता है तो ट्रैप उसमें से कीटों को निकालता है और उसमें अधिक कीटों की संख्या बढ़ने से भी रोकता है। केवल एक धान के गोदाम में रखे गए ट्रैप से 3000 तक रायजापर्था डोमनिका पकड़े जा सकते हैं, जिससे इसके प्रभाव का पता चलता है।

3. टीएनएयू का पिट फॉल ट्रैप (मॉनिटरिंग एंड मास ट्रैंपिंग टूल)
पिटफॉल ट्रैप्स का प्रयोग अनाज के ऊपर उड़ने वाले कीटों को पकड़ने के लिए किया जाता है। टीएनएयू मॉडल में दो भाग होते हैं: एक पर्फोरेटड लिड होती है और एक कोन की आकृति का तल जो कि एक फनल आकृति वाली ट्रैपिंग ट्यूब में लिपटा रहता है। कमर्शियल मॉडल प्लास्टिक का बना हुआ होता है। यह साधारण और सस्ता होता है (प्रति जाल मात्र 25 रुपए), तथा संभालने में भी आसान होता है।

4. टीएनएयू टू इन वन मॉडल ट्रैप
इस ट्रैप में पर्फोरेटेड ट्यूब, पिटफ़ॉल मेकैनिज्म, ट्यूब्स का कलेक्शन और एक भाग के रूप में पर्फोरेटेड लिड व बॉटम टेपरिंग कोन के साथ कोन के आकार का पिटफाल ट्रैप इकाई बनाई गयी हैं | प्रोब और पिटफाल के मिलान से कीटों को पकड़ने की क्षमता बढ़ती है। यह दालों के ऊपर मंडराने वाले कीट-पतंगों को पकड़ने के लिए सबसे अधिक प्रभावशाली पाया गया है। इसमें कीटों को पकड़ने से पहले कोन के भीतरी भाग में कोई भी चिपकाने वाला पदार्थ लगाने की आवश्यकता नहीं पड़ती है। इस जाल में भृंगों को जिंदा पकड़ा जाता है। इस प्रकार उनके द्वारा छोड़े जाने वाले फेरोमोन से दूसरे कीटों को आकर्षित कर उन्हें भी पकड़न आसान हो जाता है।

5. टीएनएयू एनएसईसीटी जांच जाल
इस ट्रैप का इस्तेमाल भंडारित अनाज में शिकार कीड़ों की मोनिटरिंग करने का एक आधुनिक तरीका है। टीएनएयू जांच जाल के तीन महत्वपूर्ण भाग हैं एक मुख्य ट्यूब, कीट फंसाने वाली ट्यूब और तल में एक अलग हो सकने वाला शंकु। मुख्य ट्यूब में 2 मिमी व्यास के छिद्र सामान दूरी पर होते हैं। कीट प्रायः 'हवा' को पसंद करते हैं और हवा की तरफ घूम जाते हैं। कीटों के इसी व्यवहार का फायदा इस तकनीक में उठाया जाता है। चूँकि यह तकनीक रसायन रहित है, इसलिए इसके कोई दुष्प्रभाव नहीं हैं और रखरखाव का भी कोई खर्चा नहीं है।

उपयोग
कीटों के जाल को चावल, गेहूं जैसे अनाज में रखा जाता है एवं सफेद प्लास्टिक कोन को नीचे की ओर रखा जाता है| ऊपरी लाल कैप को अनाज के स्तर तक रखा जाना चाहिए। कीट हवा में मेन ट्यूब की ओर तैरेंगे और फिर छेद से अंदर आ जाएंगे। कीट के अंदर आने के बाद यह अलग हो सकने वाला सफेद कोन गिर जाता है। इससे कीट फंस जाते हैं और तब उनके पास बचने का कोई जरिया नहीं रहता है। सफेद कोन को एक हफ्ते में एक बार खोल कर साफ किया जा सकता है और साथ ही कीटों को नष्ट किया जा सकता है।

टीएनएयू कीट जाल अनाज में कीट पहचानने का एक बेहतरीन तरीका है। इससे भंडारित अनाज से विशेष प्रकार के कीटों, जैसे कि सीटोफिलस क्राइजा, राइजोपर्था डोमिनिका और ट्रीबोलियम कैस्टेनियम को पकड़ना काफी आसान हो जाता है। इस जाल की मदद से स्टैंडर्ड नॉर्मल सैंपलिंग प्रक्रिया की तुलना में अधिक संख्या में इन कीटों को पकड़ा जा सकता है। जब इन्हें 2-3 संख्या में या 25 किलो के डब्बे (28 सेमी व्यास और 39 सेमी लंबाई) में प्रयोग किया जाता है, तो ये एक बेहतरीन मास ट्रैपिंग यंत्र भी हैं । इन्हे अनाज के 6 इंच ऊपर रखना चाहिए, क्योंकि वहां अनाज के भंडारण के शुरुआती दिनों में कीटों की अधिक प्रतिक्रिया नजर आती है। ये 10 से 20 दिनों के अंदर 80 प्रतिशत कीटों को समाप्त कर सकते हैं।

6. इंडिकेटर यंत्र
इस यन्त्र में एक 3 मिमी के छेद वाला, कोन के आकार का पर्फोरेटेड कप होता है । इसके ऊपर एक ढक्कन लगा होता है। यह कप तली पर एक कंटेनर और गोल तश्तरी के साथ चिपका हुआ रहता है, इन्हें किसी चिपचिपे पदार्थ से चिपचिपा बनाया जाता है। दालों के भंडारण से पहले किसानों को 200 ग्राम दाल को कप में डालना चाहिए। जब अपने उड़ने के व्यवहार के कारण कीट दालों की सतह पर उड़ना शुरू कर देंगे, तो वे छेद में घुसेंगे और फिसल जाएंगे, और फिर जाल वाले हिस्से में फंस जाएंगे। जब वे चिपचिपी सतह पर चिपक जाएं, तो किसान उन्हें आसानी से खोल सकते हैं तथा दालों को धूप में सुखा सकते हैं। इसके अतिरिक्त 2 मीमी छेद वाले यंत्र को अनाज के लिए प्रयोग किया जा सकता है।

उपयोग
यह यन्त्र कीटों की शुरुआती संख्या को घटाने में सहायता करता है और आगे भी फायदा देता है। इस प्रकार, समय-समय पर इस प्रकार कीटों को निकालने की प्रक्रिया से किसानों को अपनी दालों को भंडारण के समय बचाने में मदद मिलती है।

7. टीएनएयू ऑटोमैटिक इंसेक्ट रिमूवल बिन
यह बिन कीटों को खुद ही हटा देता है। इस यंत्र में 4 मुख्य भाग होते हैं बाहरी कंटेनर, इनर पर्फोरेटेड कंटेनर, कलेक्शन वेसल और लिड। यह भंडार किए गए अनाज के ऊपर उड़ते हुए कीटों के उड़ने के व्यवहार का फायदा उठाकर उन्हें पकड़ लेता है। इनर और बाहरी कंटेनर के बीच की जगह कीटों के हवा में उड़ने के लिए उचित रहती है। उड़ते हुए कीट उस जगह में जाने के लिए छेद से अंदर घुसते हैं। ऐसा करने से वे फिसल कर पिटफॉल मेकैनिज्म के माध्यम से क्लेक्शन वेसल में गिर जाते हैं। जैसे ही कीटों को पकड़ा जाता है, तो उन्हें जल्दी जमा करने के लिए पर्फोरेटेड (2 मिमी) रॉड्स को इनर कंटेनर में जोड़ दिया जाता है। कंटेनर को चावल, गेहूं, दलहन आदि रखने के लिए प्रयोग किया जा सकता है। कंटेनर में अनाजों को शामिल करने से लेसर ग्रेन बोरर, चावल घुन, सॉ टूथेड बीटल, रेड फ्लोर बीटल जैसे कीटों से छुटकारा पाया जा सकता है। इसकी मदद से 10 दिन की अवधि में ही लगभग 90 प्रतिशत कीटों को अनाज से निकाला जा सकता है।

निष्कर्ष 
अनाज के उचित भंडारण और निगरानी से न केवल लम्बे समय तक उसकी गुणवत्ता को बनाये रखा जा सकता है, बल्कि उसे कीटों से होने वाले नुक्सान से भी बचाया जा सकता है। ऊपर बतायी गयी तकनीकों के माध्यम से किसानों को सस्ती दरों पर इस समस्या का समाधान मिल सकता है, जिसके परिणामस्वरूप किसान जरुरत के अनुसार अनाज का सुरक्षित भंडारण कर सकते हैं तथा बाद में उचित दर मिलने पर फसल को बेच सकते हैं।