सुजीत सुमेर, एम.एस.सी., कृषि मौसम विज्ञान द्धितीय वर्ष
डाॅ. जी. के. दास, विभागाध्यक्ष ,कृषि मौसम विज्ञान
श्रीमति दीपिका उन्नजन, सहायक प्राध्यापक,  कृषि मौसम विज्ञान
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

सर्दी के मौसम में उगायें जाने वाली अधिकतर फसलें सर्दियों पर पडने वाले पाले एवं सर्दी तथा कम तापमान से प्रभावित होती है। सब्जी और फल वाले फसल अधिक संवेदन शील होते है पाला पड़ने से फसलों को आंशिक व पूर्ण रूप से हानि पहुंचती हैं जबकि अधिक पाले एवं सर्दी से फसलों में शत प्रतिशत क्षति हो सकती है। पाला पडने की संभावना आम तौर पर दिसंबर से जनवरी तक ही होती है।

जाने आखिर क्या है पाला ?
ठंड के मौसम में रात के समय जब वायुमण्डल का तापमान शून्य डिग्री सेल्सियस या उससे कम चला जाता है और वायु का संचार बंद हो जाता है ऐसी अवस्था में धरातल के आसपास के घांस पूस व पौधों पर बर्फ की पतली परत जम जाती है, इसी पतली परत को सामान्य भाषा में पाला पडना कहा जाता है।

शीत लहर पाला पड़ने का समय
प्रायः छत्तीसगढ़ राज्य में दिसंबर से फरवरी माह में अंबिकापुर, कोरिया, गौरेला,पेण्ड्रा मरवाही, जगदलपुर, एवं बस्तर संभाग के कुछ जिलो में पाला सर्वाधिक पडता है,  जिससे रबी फसलों में काफी नुकसान पहुंचने का आशंका बनी रहती है। क्यों कि इस समय रबी फसलों के फूल आने व फली बनने की संभावना रहती है।

पूर्वानुमान एवं लक्षण
जिस दिन ठंड ज्यादा हो और वायु का संचार बंद हो व आसमान एकदम साफ हो, आर्द्रता प्रतिशत काफी कम हो तब उस रात पाला पडने की संभावना सर्वाधिक होेती है।

पाले के प्रति संवेदनशील फसलों के नाम
  • सब्जियों मेंः- आलू, मटर, धनिया, टमाटर, बैंगन, सरसों, जीरा, अलसी, शकरकंद, अरहर,
  • फलों मेंः- आम, पपीता
  • अनाज मेंः- गेहूं, जौ, गन्ना
उपरोक्त फसलों के पाले की चपेट में आने से उत्पादन में कमी की संभावना रहती है।

कैसे नुकसान पहुंचाता है पाला
  • रबी फसलों के फूल झड़ जाते है जिससे फल कम लगते है।
  • प्रभावित फसलों का हरा रंग समाप्त हो जाता है। एवं पत्तियों का रंग मिट्टी के रंग जैसा दिखने लगता है।
  • बैक्टिरिया जनित रोगों के प्रकोप की संभावना अधिक हो जाती है।
  • पत्ती फूल तथा फल सब सूख जाते है।
  • फलों के उपर धब्बे बन जाते है।
  • प्रभावित फसलों ,फल व सब्जियों में कीट व्याधि की समस्या अधिक होती है।
  • सब्जियों पर पाले का प्रभाव अधिक होता है कभी कभी शत प्रतिशत सब्जी की फसल नष्ट हो जाती है।

पाले से अपनी फसल को कैसे बचायें?

फसल का चुनावः- जहां पाला ज्यादा पडता हो वहां ऐसी फसल का चुनाव करे जो पाले के प्रति सहनशील हो।

उदाहरण:- गाजर, मूली, चुकंदर

उचित किस्म का चुनावः-
पाला रोधी किस्मों की बुवाई करें जैसे अरहर की पूसा शारदा, आलू की कुफरी शीतमान

बुवाई का समय बदलें
पाला पडने की संभावना 15 जनवरी से 15 फरवरी तक सर्वाधिक होती है बुवाई के समय इस बात का ध्यान रखें कि फूल आने व फल आने के समय पाला अपनी चरम सीमा में ना हो। अगेती या देरी से फसलों की बुवाई कर फसल को पाले से बचाया जा सकता है।

बुवाई के बाद अपनी फसल को शीतलहर एवं पाले से बचाने के उपाय

धुंआ कर तापमान बढायें
जिस रात पाला पडने की संभावना होती है उस रात 12ः00 बजे से 2ः00 बजे के आस पास खेत के उत्तर पश्चिमी दिशा से आने वाली ठंडी हवा की दिशा में खेतों के किनारे पर बोई गई फसल के आसपास मेडों पर रा़ित्र में कूड़ा कचरा या अन्य व्यर्थ घांस पूस जलाकर धुंआ करना चाहिये इस विधि से 04 डिग्री सेंल्सियस तापमान को बढाया जा सकता है।

सिंचाई करेे
जिस दिन पाला पडने की संभावना होती है उस दिन सिंचाई करनी चाहिये। नमी युक्त जमीन में काफी देर तक गर्मी होती है। सर्दियों में फसल में सिंचाई करने से 0.5 डिग्री सेल्सियस से 2 डिग्री सेल्सियस तापमान बढ़ जाता है।

सल्फयुरिक एसिड का छिड़काव
सरसों, धान, गेहूं, आलू, मटर, जैसी फसलों में जिस समय पाला पडने की संभावना होती है उस समय फसलों पर सल्फयुरिक एसिड के 0.1 प्रतिशत का छिडकाव करना चाहियें। 1 ली. सल्फयुरिक एसिड को 1000 ली. पानी में घोल कर 1.00 हे. में छिडकाव की पाले से बचा जा सकता है।

दीर्ध कालीन उपाय
दीर्ध कालीन उपाय के रूप में खेत के उत्तरी पश्चिमी मेड़ पर तथा बीच बीच में उचित स्थानों पर बायु अवरोधक पेड़ जैसे शहतूूूूत, शीशम, बबूल, जामुन आदि लगाकर ठंडी हवा के झोंकों से फसलों केा बचाया जा सकता है।