डॉ. राजेश कुमार एक्का, कीट विज्ञान विभाग
संजीव गुर्जर, कृषि सांख्यिकी विभाग
परमिंदर सिंह सैनी, अनुवांशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग
 कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केंद्र, कटघोरा, कोरबा (छ. ग.)

मिर्च (कैप्सिकम एन्युम) एक हेरबेसियस फसल है और मसालों और सब्जियों के रूप में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। मिर्च दुनिया में सबसे अधिक लागत-प्रभावी फसलों में से एक है । हमारे देश मे मिर्च एक नकदी फसल है। इसकी व्यावसायिक खेती करके ज्यादा लाभ कमाया जा सकता है। यह खाने में इस्तेमाल होती है, मिर्च में विटामिन ए और सी पाया जाता है और कुछ लवण भी होते है। मिर्च का इस्तेमाल अचार, मसलो और सब्जी में भी किया जाता है, मिर्च के फसल को अनेक कीटो तथा नाशीजीवों का प्रकोप होता है , जो ना केवल उत्पादन में कमी करते है, बल्कि गुणवत्ता को भी खराब करते है। प्रस्तुत लेख में मिर्च के इन्ही नाशीकीटों के विषय में जानकारी दी गई है, जो मिर्च उत्पादकों के लिए फायदेमंद साबित होगा।

मिर्च के फसल में एकीकृत कीट प्रबंधन

मिर्च के रस चूसक कीट
थ्रिप्स - इस कीट का वैज्ञानिक नाम सिरटोथ्रिप्स डोरसेलिस है। यह छोटे-छोटे कीट, पत्तियों एवं अन्य कोमल मुलायम भागों से रस चूसते है। इसका आक्रमण प्रायः रोपाई के 2 से 3 सप्ताह बाद आरंभ हो जाता है। फूल लगने के समय इस कीट का प्रकोप बहुत अधिक हो जाता है, जिससे पौधों की पत्तिया सिकुड़ जाती है तथा मुरझाकर ऊपर की ओर मुड़ जाती है तथा दूर से देखने पर नाव के आकार की दिखाई देती है। थ्रिप्स द्वारा क्षतिग्रस्त पौधों को देखने से मोजेक (विषाणु रोग) रोग का भी भ्रम होता है। पौधे की वृद्धि पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है। उपज बहुत काम हो जाती है तथा उपज की गुणवत्ता में भी कमी आ जाती है।



माहू (एफिड) - इस कीट का वैज्ञानिक नाम एफिस गोसीपी है। यह कीट पत्तियों एवं पौधों के अन्य कोमल भागों से रस चूसकर पतियों एवं कोमल भागों पर मधु रस स्राव करते है, जिससे काले रंग का शूटी मोल्ड (काली फफूंदी) विकसित हो जाती है, जो प्रकश संश्लेषण में बाधा उत्पन्न करके पौधों की बढ़वार को प्रभावित करती है, जिसके परिणाम स्वरुप फल काले पड़ जाते है। यह कीट मोजेक (विषाणु) रोग के वाहक का काम भी करती है।



सफेद मक्खी - इस कीट का वैज्ञानिक नाम बेमेसिया टेबेसाई है। इस कीट के शिशु (निम्फ) एवं व्यस्क पत्तियो की निचले सतह से रस चूसते है। कीट पर्णकुंचन रोग का वाहक होता है तथा एक पौधे से दूसरे पौधे में फैलाते है।




नियंत्रण
  • कीट प्रकोप के प्रारंभिक अवस्था में नीम तेल 5 मिली प्रति लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • डाइमिथिएट 30 ई सी या ट्राइजोपोस 40 ई सी की 30 मिली मात्रा को 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • कीट के अत्यधिक प्रकोप की अवस्था में 15 ग्राम एसीफेट या इमिडाक्लोप्रिड 5 एस एल की 5 मिली मात्रा 15 लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।
पीली माईट - इस कीट का वैज्ञानिक नाम पोली फेगोटारसोनियम लेटस है। यह छोटे - छोटे जीव होते है, जिनमे चार जोडी पैर पाए जाते है और ये पत्तियों की निचली सतह पर पाए जाते है और वही से लगातार रस चूसते रहते है। जिसके परिणामस्वरुप पत्तिया सिकुड़कर निचे की ओर मुड़ जाती है। पीली माईट के कारण पौधे की बढ़वार कम हो जाती है तथा उत्पादन में भी कमी आ जाती है।



नियंत्रण
  • मिर्च में पीली माईट प्रतिरोधक किस्मों का चयन बुवाई के लिए करना चाहिये।
  • मिर्च में परभक्षी माईट (एम्ब्लीसीयम प्रजाति ) भी पाई जाती है, जो पीली माईट की प्रक्तिटिक शत्रु है तथा इसकी संख्या को कम करने में मदद करती है। रासायनिक माईटीसाईड्स जैसे प्रोपरगाईट 57 प्रतिशत ईसी अथवा क्लोरफेनापायर 5 मिलीध्लीटर पानी में घोलकर छिड़काव करें।