सूर्यकान्त चौबे, कृषि विस्तार विभाग
सरस्वती पाण्डेय, सब्जी विज्ञान विभाग
कृषि महाविद्यालय, इन्दिरा गाँधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर

अगर आप भी मछली पालन से जुड़ा कोई व्यवसाय शुरू करना चाहते हैं, तो ये आपके लिए बढ़िया मौका है। प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना के लिए आवेदन कर सकते हैं।

मत्स्य संपदा योजना क्या है?
वर्ष 2022 तक किसानों कि आय को दुगना करने का लक्ष्य केंद्र सरकार ने तय किया है। इसके लिए कृषि के अलग-अलग क्षेत्र में किसानों कि आय बढ़ाने की जरुरत को देखते हुए सरकार द्वारा पशुपालन एवं मछली पालन की योजनाओं को बढ़ावा दिया जा रहा है। देश में मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए मत्स्य संपदा योजना की शुरुआत की गई है, जिसे पूरे देश में लागू किया गया है. इसे ब्ल्यू रेवोल्यूशन कहा गया है। योजना के अन्तर्गत मत्स्य पालक, मछली बेचने वाले, स्वयं सहायता समूह, मत्स्य उधमी, फिश फार्मर आवेदन कर सकते हैं।

मत्स्य सम्पदा योजना कब लागु हुआ?
10 सितंबर को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने डिजिटल माध्यम से प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (Pradhan Mantri Matsya Sampada Yojana-PMMSY) का शुभारंभ किया। इस योजना के साथ-साथ प्रधानमंत्री ने ई-गोपाला एप भी लॉन्च किया, जो किसानों के प्रत्यक्ष उपयोग के लिये एक समग्र नस्ल सुधार, बाजार और सूचना पोर्टल है। इस अवसर पर प्रधानमंत्री ने बिहार में मछली पालन और पशुपालन क्षेत्रों में भी कई पहलों की शुरुआत की। मछली पालन को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना (PMMSY) की शुरुआत की है। इसे आत्मनिर्भर भारत योजना के तहत साल 2020-21 से साल 2024-25 तक सभी प्रदेशों और संघ शासित राज्यों में लागू करना है।

प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा योजना
  • PMMSY मत्स्य क्षेत्र पर केंद्रित एक सतत् विकास योजना है, जिसे आत्मनिर्भर भारत पैकेज के तहत वित्त वर्ष 2020-21 से वित्त वर्ष 2024-25 तक (5 वर्ष की अवधि के दौरान) सभी राज्योंध्संघ शासित प्रदेशों में कार्यान्वित किया जाना है।
  • इस योजना पर अनुमानत: 20,050 करोड़ रुपए का निवेश किया जाएगा।
  • PMMSY के अंतर्गत 20050 करोड़ रुपए का निवेश मत्स्य क्षेत्र में होने वाला सबसे अधिक निवेश है।
  • इसमें से लगभग 12,340 करोड़ रुपए का निवेश समुद्री, अंतर्देशीय मत्स्य पालन और जलीय कृषि में लाभार्थी केंद्रित गतिविधियों पर तथा 7,710 करोड़ रुपए का निवेश फिशरीज इन्फ्रास्ट्रक्चर के लिये प्रस्तावित है।


लक्ष्य
  • वर्ष 2024-25 तक मत्स्य उत्पादन में अतिरिक्त 70 लाख टन की वृद्धि करना।
  • वर्ष 2024-25 तक मत्स्य निर्यात से होने वाली आय को 1,00,000 करोड़ रुपए तक करना।
  • मछुआरों और मत्स्य किसानों की आय को दोगुनी करना।
  • पैदावार के बाद होने वाले नुकसान को 20-25 प्रतिशत से घटाकर 10 प्रतिशत करना।
  • मत्स्य पालन क्षेत्र और सहायक गतिविधियों में 55 लाख प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रोजगार के अवसर पैदा करना।

उद्देश्य
  • आवश्यकतानुरूप निवेश करते हुए मत्स्य समूहों और क्षेत्रों के निर्माण पर केंद्रित।
  • मुख्य रूप से रोजगार सृजन गतिविधियों जैसे समुद्री शैवाल और सजावटी मछली की खेती पर विशेष ध्यान दिया जाएगा।
  • यह मछलियों की गुणवत्ता वाली प्रजातियों की नस्ल तैयार करने तथा उनकी विभिन्न प्रजातियाँ विकसित करने, महत्त्वपूर्ण बुनियादी ढाँचे के विकास और विपणन नेटवर्क आदि पर विशेष ध्यान केंद्रित करेगा।
  • नीली क्रांति योजना की उपलब्धियों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से कई नए हस्तक्षेपों की परिकल्पना की गई है जिसमें मछली पकड़ने के जहाजों का बीमा, मछली पकड़ने वाले जहाजों/नावों के उन्नयन हेतु सहायता, बायो-टॉयलेट्स, लवण-क्षारीय क्षेत्रों में जलीय कृषि, मत्स्य पालन और जलीय कृषि स्टार्ट-अप्स, इन्क्यूबेटर्स, एक्वाटिक प्रयोगशालाओं के नेटवर्क और उनकी सुविधाओं का विस्तार, ई-ट्रेडिंग विपणन, मत्स्य प्रबंधन योजना आदि शामिल है।

किसे-किसे प्राप्त होंगे योजना के लाभ (लाभार्थी)?
  • मछुआ
  • मत्स्य पालक
  • मछली बेचने वाले
  • स्वयं सहायता समूह
  • मत्स्यिकी क्षेत्र के संघ
  • मत्स्य उद्यमी
  • निजी फर्म
  • फिश फार्मर प्रोड्यूसर आर्गेनाइजेशन/कंपनीज 
  • अनुसूचित जाति व अनुसूचित जनजाति और महिलाएं
  • निःशक्तजन
  • राज्य सर्कार की कार्यान्वयन संस्थाएँ
  • राज्य मत्स्यिकी विकास बोर्ड।

वित्त पोषण
योजना के तहत सामान्य वर्ग के लोगों की कुल इकाई लागत का अधिकतम 40 प्रतिशत और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को अधिकतम 60 प्रतिशत अनुदान राशि डी. बी. टी. के माध्यम से दी जाएगी।
    इसमें सामान्य वर्ग के 60 प्रतिशत अंश और अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति और महिला लाभार्थियों को 40 प्रतिशत अंश खुद से या फिर किसी बैंक से लोन लेकर देना होगा। लाभार्थियों को देय अनुदान की धनराशि दो या तीन किश्तें दी जाएगी।
    योजना में व्यक्तिगत लाभार्थी के लिए तालाब निर्माण के लिए दो हेक्टेयर तक की जमीन निर्धारित की जाएगी, लेकिन अगर समूह में हैं तो 20 हेक्टेयर तक की जमीन निर्धारित की जाएगी। योजना का लाभ लेने के लिए खुद की जमीन की उपलब्धता के अभिलेख वेबसाइट पर उपलब्ध कराना अनिवार्य है। योजनाओं के लिए लाभार्थी रजिस्टर्ड पट्टे पर भी जमीन ले सकते हैं, लेकिन इंफ्रास्ट्रक्चर परियोजनाओं के लिए न्यूनतम 10 साल की पट्टा अवधि और शेष परियोजनाओं के लिए सात वर्ष से कम कम की पट्टा अवधि अनुमन्य नहीं है। जमीन खरीदने, पट्टे पर लेने के लिए परियोजनाओं में धनराशि नहीं दी जाएगी। लाभार्थी को प्रमाण-पत्र के माध्यम से यह बताया होगा कि परियोजनाओं के लिए प्रस्तावित जमीन विवादित नहीं है।
    पट्टे की जमीन लाभार्थी द्वारा कोई भी योजना का लाभ लेने के बाद अगर पट्टा निरस्त होता है तो लाभार्थी को 12 प्रति शत ब्याज दर या फिर बैंक ब्याज दर से, इनमें जो भी दर ज्यादा होगी, सहित योजना के उपलब्ध करायी गई अनुदान धनराशि ब्याज सहित मत्स्य विभाग को वापस करना अनिवार्य है। आवेदन करने के लिए पूर्ण प्रस्तावना प्रस्ताव सहित ऑनलाइन आवेदन करना होगा, जिसके लिए वेबसाइट पर उपलब्ध मत्स्य समृद्धि फार्म ऑनलाइन भरने के साथ अपना फोटो, आधार कार्ड, निर्धारित प्रारूप पर 100 रुपए के स्टाम्प पर नोटरी प्रमाण-पत्र बैंक से अगर बैंक से लोन लेना चाहते हैं तो बैंक का अग्रिम स्वीकृति पत्र व भूमि संबंधी अभिलेख अपलोड करना होगा। इसके बाद लाभार्थियों का चयन पहले आओ पहले पाओ के अनुसार किया जाएगा।



क्रियान्वयन की ढांचागत संरचना
  • राज्य में योजना क्रियान्वयन हेतु निम्नलिखित 02 समितियों का गठन किया जाना है-
        1- राज्य स्तरीय अनुमोदन एवं अनुश्रवण समिति
        2- जिला स्तरीय समिति
  • राज्य स्तरीय अनुमोदन एवं अनुश्रवण समिति के सहयोग हेतु स्टेट प्रोग्राम यूनिट गठित की जायेगी जिसके लिए अलग से भारत सरकार द्वारा दिशा-निर्देश।
  • चयनित जनपदों में जिला स्तरीय समिति की सहायता के लिए District Project Unit गठित की जायेगी जिसके लिए भारत सरकार अलग से दिशा-निर्देश।
  • लाभार्थीपरक योजनाओं में लाभार्थी यदि बैंक से सहायता चाहता है तो उसे एन.सी.डी.सी., नाबार्ड आदि अन्य संस्थाओं से सहायतित कराया जायेगा।
  • भौतिक एवं वित्तीय प्रगति की समीक्षा हेतु Information Communication Technology baed Portal तैयार कराया जायेगा।
  • योजना की गतिविधियां क्लस्टर आधारित होगी।
  • मात्स्यिकीय योजना में अनुसूचित जाति के लाभार्थियों को उचित प्रतिनिधित्व दिलाया जायेगा।
  • योजना में अधिक से अधिक लघु एवं सीमान्त मत्स्य पालकों को आच्छादित किये जाने का प्रावधान है। योजना में व्यक्तिगत लाभार्थी को अधिकतम 02 हेक्टेयर तक की सीलिंग निर्धारित की गयी है परन्तु समूह में 02 हेक्टेयर के गुणांक में उसके सदस्यों को अधिकतम 20 हेक्टेयर तक की सींलिंग निर्धारित है।
  • एफ.पी.ओ. के लिए सीलिंग का निर्धारण सेन्ट्रल एप्रेजल कमेटी द्वारा किया जायेगा।
  • राज्य द्वारा क्लस्टर आफिसर्स नामित किये जायेंगे जो क्लस्टर विकास का अनुश्रवण करेंगे।
  • योजना में मनरेगा/आर.के.वी.वाई./एन.आर.एल.एम. व किसान क्रेडिट कार्ड से कन्वर्जेन की कार्यवाही की जायेगी।
  • डी.पी.आर. तैयार करने के लिए कुल प्रोजेक्ट कास्ट की 01 प्रतिशत धनराशि निर्धारित की गयी है लेकिन यह उसी दशा में देय होगी जब भारत सरकार द्वारा सम्बन्धित प्रोजेक्ट स्वीकृत कर दिया जाता है।

प्रत्येक वर्ष वार्षिक एक्शन प्लान तैयार करने के लिए निम्न समय-सारिणी निर्धारित की गयी है-

S.No.

Action

Approving Authoritiess

Time lines

1

Communication of Tentative Annual outlay under PMMSY to States/UTs

DoF

By end of October

2

Preparation and approval of Annual District Fisheries Plan

DLC

By end of November

3

Preparation and approval of Consolidated State/UT Fisheries Annual Action Plan

SLAMC/UTLAMC

By end of December

4

Preparation and approval of National Fisheries Annual Action Plan

CAC & DoF

By end of February

5

Communication of Final Annual allocation under PMMSY to States/UTs

CAC & DoF

By 15th March

6

Submission of DPRs/SCPs/Project proposals by States/UTs to PAC, NFDB based on the allocations

SLAMC/UTLAMC & State/UT Fisheries Departments

By end of April

7

Appraisal of DPRs/Project proposals

PAC, NFDB

By 15th May

8

Approval of DPRs/Project proposals and sanction

DoF

By end of May



अभी तक किस राज्य के द्वारा लागू किया गया है?
उत्तर प्रदेश में इस योजना की शुरूआत हो गई है और मछली पालन विभाग ने 31 दिसम्बर तक ऑनलाइन आवेदन मांगे हैं। उत्तर प्रदेश, मत्स्य विभाग के उपनिदेशक डॉ. हरेंद्र प्रसाद बताते हैं, मछली पालन से लोगों की आमदनी बढ़ाने के लिए प्रधानमंत्री मत्स्य संपदा यो जना की शुरूआत की गई है। यूपी में सबसे पहले इस यो जना के लिए आवेदन मांगे गए हैं, मैदानी क्षेत्रों के लिए मछली पालन की जितनी भी योजनाएं हैं, इस पर आवेदन कर सकते हैं।


    प्रधानमंत्री मत्स्य सम्पदा योजना का लाभ लेने के लिए उत्तर प्रदेश मछली विभाग की वेबसाइट (http://fymis.upsdc.gov.in/) पर ऑनलाइन आवेदन कर सकते हैं। इस यो जना का संचालन जिले में ऐसे विकासखंडों को चुना जाएगा, जहां पर पानी की पर्याप्त व्यवस्था हो । चयनित विकासखंडों में कुल लक्ष्य का 70 प्रतिशत और बाकी 30 प्रतिशत बाकी बचे विकासखंडों में परियोजनाओं का संचालन किया जाएगा।
    छत्तीसगढ़ समेत भारत के प्रत्येक राज्य के किसानो के लिए यह एक सुनहरा मौका है। यदि राज्य सरकारें निपुर्नता से कार्य करें तथा किसान हित की बात को ध्यान में तो प्रत्येक किसान के सामाजिक, आर्थिक व पारिवारिक विकास के लिए यह योजना वरदान साबित होगी। इसके अतिरिक्त भारतीय सकल घरेलु उत्पाद में भी कृषि के हिस्से में वांछनीय एवं दृष्टिगत परिवर्तन आयेंगे।