*कोदो, रागी एवं कुटकी के फसल से होगा किसानों को लाभ*

*लघु धान्य फसलों के क्षेत्र विस्तार पर दिया जा रहा विशेष ध्यान*

*पौष्टिक तत्वों से भरपूर रागी, कोदो एवं कुटकी ब्लड प्रेशर व डायबिटीज के मरीजों के लिये है रामबाण*

शासन द्वारा इस वर्ष लघु धान्य फसलों को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के दायरे में शामिल करने के निर्णय के बाद जिले के किसानों में उत्साह देखने को मिल रहा है। शासन द्वारा खरीफ मौसम में धान के साथ-साथ लघु धान्य फसल कोदो, कुटकी एवं रागी को राजीव गांधी किसान न्याय योजना के अंतर्गत शामिल किया गया है और शासन द्वारा क्रय किया जाएगा। कोदो, कुटकी एवं रागी जैसे लघु धान्य फसलें पौष्टिक गुणों से भरपूर होती है। इसमें पाये जाने वाले पोषक तत्व बहुत ही गुणकारी एवं विभिन्न प्रकार के रोगों के लिये बहुत ही लाभदायक है। वर्तमान समय के परिप्रेक्ष्य में जिस व्यक्ति की रोग प्रतिरोधक क्षमता कम है, उन पर कोरोना का प्रकोप ज्यादा देखने को मिला है। लघु धान्य फसल जैसे कोदो एवं रागी में पाये जाने वाले पोषक तत्व रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाने में बहुत लाभदायक है। इस वर्ष 2021 में खरीफ फसल में कृषि विभाग राजनांदगांव द्वारा लघु धान्य फसलों के क्षेत्र विस्तार पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है। 

बढ़ाया जा रहा है कोदो एवं रागी का रकबा -

कलेक्टर श्री टोपेश्वर वर्मा के मार्गदर्शन एवं उप संचालक कृषि श्री जीएस धुर्वे के निर्देशन में जिले के चौकी, मोहला, मानपुर एवं छुईखदान विकासखंडों के वनांचल क्षेत्रों में कृषि विभाग की विभिन्न योजनाओं के तहत उच्च कोटि के बीज एवं वर्मी कम्पोस्ट आदि आदान सामग्री का नि:शुल्क वितरण किया जा रहा है एवं कृषि की उन्नत तकनीक को अपनाते हुए अधिक अधिक से गुणवत्तायुक्त उत्पादन प्राप्त करने के उद्देश्य से किसानों को प्रशिक्षित करते हुए 360 हेक्टेयर क्षेत्रफल में कोदो एवं रागी फसल का प्रदर्शन आयोजित किया जा रहा है। पूर्व वर्ष में 182 हेक्टेयर क्षेत्र में कोदो एवं रागी प्रदर्शन का आयोजन किया गया था। वर्ष 2020-21 में जिले में कोदो का क्षेत्रफल 1495.4 हेक्टेयर, रागी का 60.322 एवं कुटकी 234.19 हेक्टेयर क्षेत्रफल था। इस वर्ष लघु धान्य के फसलों को बढ़ाते हुए कोदो का क्षेत्र 3400 हेक्टेयर, कुटकी का क्षेत्र 400 हेक्टेयर एवं रागी का क्षेत्र 200 हेक्टेयर कुल 3800 हेक्टेयर क्षेत्रफल तक बढ़ाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। साथ ही बीज उत्पादन कार्यक्रम के माध्यम से लघु किस्म के बीजों का द्विगुणन भी किया जा रहा है। जिसमें जिले के गौठानों से उत्पादित वर्मी कम्पोस्ट का उपयोग किया जा रहा है।

ब्लड प्रेशर एवं डायबिटीज के मरीजों के लिये है रामबाण -

कोदो एवं रागी उत्कृष्ट गुणकारी पोषक तत्वों की प्रचुर मात्रा से भरपूर होता है। जिसमें प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने वाले गुण पाये जाते हैं। कोदो मिलेट या ग्रास के नाम से जाना जाता है। कोदो के दानों को मिलेट के रूप खाया जाता है और कोदो का वानस्पतिक नाम पास्लम स्कोर्बीकुलातम हैं। कोदो औषधीय महत्व की फसल है। इसे शुगर फ्री चावल के नाम से पहचान मिली है। यह मधुमेह के रोगियों के लिये उपयुक्त आहार है। जिनके माध्यम से आधुनिक जीवन शैली की बीमारियों मधुमेह, रक्तचाप, थायराइड, मोटापा, गठिया, एनीमिया और 14 प्रकार के कैंसर को ठीक किया जा सकता है। कोदो बुरे कोलेस्ट्रोल घटाने में भी मददगार साबित होता है। खाद्यान्न फसलों में कोदो भारत का एक प्राचीन अन्न है। इसकी खेती अनउपजाऊ भूमि में बगैर खाद एवं पानी के की जाती  है। रागी में कैल्शियम, विटामिन्स, फाइबर, कार्बोहाइड्रेट जैसे तमाम जरूरी पोषक तत्व होते हैं। रागी में काफी मात्रा में कैल्शियम पाया जाता है। इसके अलावा फाइबर भी भरपूर मात्रा में होने से ये डायबिटीज और वजन कम करने में भी सहायक है। इसे खाने से तनाव वाले मरीजों को भी राहत मिलती है। रागी को पीसकर या अंकुरित करके खाया जाता है। खून की कमी और कम हिमोग्लोबिन वाले मरीजों के लिए भी यह लाभदायक है। सुबह नाश्ते में इसे लेने से शरीर को जरूरी पोषक तत्व मिल जाते हैं। रागी को सुबह के नाश्ते में शामिल करना चाहिए। 


रागी कैल्शियम से भरपूर होता है। 100 ग्राम में 344 मिलिग्राम कैल्शियम मिलता है। हड्डियों को कमजोर होने से हुई बीमारियों में इसे खाने की सलाह दी जाती है।  बच्चों के विकास के लिए यह फायदेमंद है। स्किन एजिंग से बचाता है। इसके अलावा रागी विटामिन डी का भी अच्छा स्त्रोत है। एनिमिया में भी रागी फायदेमंद है तथा आयरन का अच्छा स्त्रोत है। इसलिये जिन्हें खून की कमी है और कम हिमोग्लोबिन है उनके लिए यह लाभदायक है। अगर रागी अंकुरित करके खाया जाए तो विटामिन सी का स्तर और अधिक बढ़ जाता है और आयरन शरीर में आसानी से पच जाता है और खून में आसानी से मिल जाता है। रागी के सेवन से चिंता एवं तनाव दूर होता है। इसमें एमिनो एसिड एंटीआक्सीडेंट होते है, जो प्राकृतिक तरीके से मनुष्य को तनाव मुक्त रखते हैं। माइग्रेन की बीमारी में भी रागी बेहद फायदेंमंद है। रागी में अधिक मात्रा फाइबर पाया जाता है। इसके अलावा रागी ब्लड शुगर को भी कम करती है। आने वाले वर्षों में जिले में जनसामान्य को जैविक कोदो एवं रागी उपलब्ध हो पाएगा।