श्री हेमंत कुमार, श्री प्रदीप कुमार, श्री अजलान खान एवं डाॅ. एच. सी. नन्दा
शहीद गुंडाधूर कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, कुम्हरावण्ड, जगदलपुर (छ.ग.)

उपयोग
सजावट, गुलदस्ते तथा पुष्प गुच्छों के रूप मेे प्रयोग होते है।

जलवायु
गुलदाउदी में अधिक पुष्पोत्पादन हेतु 9 घण्टे प्रकाशमान एवं 13 घंटे अन्धकारमय व्यवस्था की जरूरत होती है, तथा 16 डिग्री सेन्टीग्रेड रात का तापमान एवं 25 डिग्री सेन्टीग्रेड दिन का तापमान उपयुक्त रहता हैं।

मिश्रण
मिट्टी एक सर्वाेत्तम माध्यम है फिर भी अधिक पुष्पोत्पादन हेतु मृदारहित मिश्रिण अधिक उपयुक्त रहता है। जैसे कोकोपिट, शैलीय भस्म और ज्वालामुखीय भस्म आदि।

प्रजातियां
स्टैन्डर्डः ब्राइड गोल्डन एन्नी, थाई चीन क्वीन, टाटा सेन्चुरी, पूर्णिमा, स्नोबाल सोनार बंगला, स्नोडाॅन, माउन्टेनियर सेन्टेनरी।

स्प्रेः अजय, फल्र्ड रतना, डिस्कवरी, नानाको, कुन्दन, श्यामल, नीलिमा, रवि, किरल, पूसा अनमोल।

पोटममसः सद्भावना, लिलिपुट।

भा.कृ.अ.स. द्वारा विकिरण उत्परिर्वन तकनीकी
गमा विकिरण तकनीकी के द्वारा भा.कृ.अ.स. में इन्डकसन, रैपिड-बलकिंग उत्परिवर्तक म्यूटेंट तैयार किये गये हैं। इस तकनीकी के द्वारा शीर्ष कर्तिनों को 15 ग्रे गामा विकिरण का प्रयोग करके तथा उत्तक संवर्धन विधि से नये पौधे तैयार किये गये हैं नये उगे (म्युटेंट) पौधें में फूलों का रंग आकार एवं पंखुडियों में अंतर पाया गया।) जिस किस्म में म्युटेशन किया गया वह हैं पूसा अनमोल (अजय किस्म से ) पूसा सेन्टेनरी (थाई चेन क्वीन किस्म) जो संस्थान द्वारा प्रसारित की गई है।

पूसा अनमोल
यह अधिक फूल एवं पंखुड़ियों तथा पुष्प गुच्छों से परिपूर्ण किस्म है। पीला गुलाबी रंग लिये हुए इसकी पंखुड़ियां डबल फूल के साथ रहती है। इसके फूलों के लिए उत्तम है। इस किस्म से वर्ष में तीन बार फूल लिये जा सकते हैं। अक्टूबर-नवम्बर में, फरवरी-मार्च तथा मई-जून में जबकि इस मौसम में गुलदाउदी उपयुक्त रहता है। एवं इसमें जड़वों का विकास बहुत होता है।

पूसा सेन्टेरनी
यह गहरी हरी पत्तियों वाली झाड़ीनुमा एवं कलिका का रंग पीला, (2-4 सें.मी. व्यास) वाले गोल एवं अण्डे के आकार के होते है। पूर्ण खिले फूलों का आकार 12-15 से.मी. तक होता है। इस किस्म के फूलों का रंग पीला तथा हल्की खुश्बु वाला होता है जो प्रदर्शनी के लिए बहुत उपयोगी है। फूल मुख्यतया दिसम्बर-जनवरी में आते हैं। इस प्रजाति में भी जडिय कर्तन ज्यादा बनती है तथा कर्तन के द्वारा नये पौधे बन जाते है।

नये किस्म के म्यूटेंट
विभिन्न प्रकार से विकिरण म्यूटेशन के प्रयोग के बाद विभिन्न् तरह के पुष्पीय रंग वाले पौधे प्राप्त हुए तथा उन्हें विभिन्न स्तरों पर जांचा जा रहा है।

वार्षिक गुलदाउदी (बवुना)
उत्तर भारत में बबुना खुले फूलों के लिए प्रचलित है तथा पुष्प् सजावट में सबसे ज्यादा प्रयोग में लाया जाता है। गामा विकिरण के प्रयोग से इनमें अभूतपूर्व परिणाम निकल कर आये हैं। इसका फूल बिल्कूल गेंदा, कारनेशन एवं गुलदाउदी के समान होता है। सिंगल फूल वाला बबुना डबल पुल वाले बबुना में परिवर्तित हो गया है। इसकी बाजार में मांग बहुत ज्यादा हे। इस म्यूटेंट पर विभिन्न स्तरों पर अनुसंधान किया जा रहा है।

प्रवर्धन
मई जून माह में 10-15 सेन्टीमीटर लम्बी शुरू की ऊपरी कोपलीें की कटिंग काटा कर उपयुक्त मृदा में लगाते है।

पौध रोपण
जडिये कलमें 12.5 x 12.5 से.मी. की दूरी पर जून माह मेें रोपण कर देना चाहिए।

पौध बढ़वार
गुलदाउदी के पौधे से अधिक फूलों की पैदावार लेने के लिए सर्वप्रथम अनवांछित वृद्धि को रोकते हैं तथा पहले आयी पुष्प कलिकाओं को नोच देते हैं, एवं फालतू शाखाओं को पौधे से अलग कर देते हैं।

सिंचाई
अच्छी पैदावार के लिए बूंद सिंचाई प्रणाली अपनाते है जिससे दिन में दो बार समयानुसार पानी प्रवाह करते है।

उर्वरक
सूक्ष्म पोषक तत्वों के साथ 200 पी.पी.एम. एन.पी.के की मात्रा बूंद प्रणाली के साथ गर्मियों में दिन में दो बार एवं सर्दियों में दिन में एक बार देना पर्याप्त रहता है।

सहारा देना
पौधे को सीधा एवं मजबूत खड़े रहने के लिए बांस की खप्पाचियां या नाइलोन की डोरियों से सहारा देते है।

कलिका तोड़ना
स्टेंडर्ड किस्मों के पौधे की मुख्य शाखा को छोड़ कर बाकी सभी शाखाओं से कलिकाओं को तोड़ देते है। स्प्रे किस्मों के पौधे में मुख्य शाखा की कलिका को तोड़ देते है एवं बाकी शाखाओं की कलिकाओं को छोड़ देते है।

डीसकरिंग
गुलदाउदी के पौधे के मुख्य तने से अन्य शाखाओं को निकाल देना चाहिए इससे प्रमुख पौधे की बढ़वार अच्छी होती है।

कीट पंतगे
  • एफिड (0.05% मोनोक्रोटोफास या 0.01% मेटासिस्टाक्स के घोल से इस पर नियंत्रण पाया जा सकता है)
  • थ्रिप्स (0.05% मोनोक्रोटोफास के घोल से नियंत्रित किया जा सकता है)
  • कैटरपिलर (0.05% क्वीनोलफास के घोल से नियंत्रित किया जा सकता है)
  • लीफ माइनर (0.01% न्यूवाकरान के घोल का छिड़काव करें)
  • सुत्रकृमि (फ्यूूराडान 3 जी की 33 कि.ग्रा. मात्रा प्रति हेक्टेयर की दर से क्यारियों में बुरकायें।)

व्याधियां
सेप्टोरिा लीफ स्माट (0.1% बाविस्टिन के घोल का पत्तियों पर छिड़काव करें) रास्ट एवं पाउडरी मिल्डयू (0.2%) बीटावल गंधक के घोल का छिड़काव करें) स्टेमराट (0.2% वीनोमाइल के घोल का छिड़काव करें)

फूल काटना

स्टैन्डर्ड: इसके फूल जब पूर्ण विकसित हो जाये तब पुष्प डंडियों को काट लेते है।

स्प्रटाइप: जब फूल की सभी पंखुड़ियां खिल जाये तब उचित तने सहित पुष्प डंडियो को काट लेते है।

पुष्प उपज

स्टैन्डर्ड: इसके फूल जब पूर्ण विकसित हो जाये तब पुष्प डंडियों को काट लेते है।

स्प्रेटाइप: जब फूल की सभी पंखुड़ियों खिल जाये तब उचित तने सहित पुष्प डंडियों को काट लेते है।

पुष्प उपज
लगभग 80-200 पुष्प टहनियां प्रति वर्ग मीटर में प्राप्त हो जाती है।

पुष्प कटाई उपरान्त रखरखाव
कटे फूलों को शीत ग्रह में रखने से पहले 4 डिग्री सेन्टीग्रेड तापमान पर रखे इसके बाद ही 2 डिग्री सेन्टीग्रेड पर 3-5 सप्ताह तक संरक्षित रखा जा सकता है।

बाजार मूल्य
बटन टाइप 10 रूपये/10 डंडियां, डबल टाइप 50-100 रूपये/10 डंडियां, स्प्रेटाइप 30-40 रूपये/10 डंडियां।