डाॅ. रश्मी अनिलराव बंगाले
नवनीत  कुमार धुर्वे 
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

रबी फसलों की कटाई मार्च के अंतिम सप्ताह या अप्रैल के पहले सप्ताह तक किसानों को लगभग मुुुफत कर देती है। इस समय खेत में इतनी नमी होती है कि गहरी जुताई आसानी से की जा सकती है। यह सबसे अच्छा समय है। गर्मियों में इस गहरी जुताई का महत्व और लाभ निम्नलिखित बिंदुओ से स्पष्ट होता है-

जल संरक्षण
अधिकांश किसान एक निश्चित गहराई (6-7 इंच) पर जुताई करते हैं, जिससे पानी का प्रवाह अधिक होता है। गर्मियों में गहरी जुताई( जो लगभग 9 से 12 इंच गहरी होती है) में यह सख्त परत टूट जाती है। परिणामस्वरुप, बारिश के मौसम में ऐसे खेतों की जल धारण क्षमता बढ़ जाती है। इस तरह जल संरक्षण को प्रत्यक्ष बढ़ावा मिलता है।

खरपतवार नियंत्रण
खरपतवार लगभग 20-60 प्रतिशत तक फसल उत्पादन कम कर सकते हैं। कुछ खरपतवारों जैसे कि कंस, मोथा, दूध आदि की जड़ें गहरी रहती है। उन्हें नियंत्रित करने को एक प्रभावी तरीका गर्मियों की गहरी जुताई है, जिसके कारण उक्त खरपतवारों, प्रकंदों की जड़ें ऊपरी सतह पर आ जाती हैं, जो बाद में सूख जाती हैं औश्र चिलचिलाती गर्मी में नष्ट हो जाती हैं।

कीट और रोग नियंत्रण
फसल रोगों के रोगजनक एवं कीटों के अंडे व शंखी मिट्टी में रहते हैं। गहरी जुताई के कारण वे या तो ऊपर आ जाते हैं या गहराई में दबकर मर जाते हैं। ऊपर आने पर, वे तेज गर्मी के संपर्क में आने से नष्ट हो जाते हैं। इस तरह से कीटों और रोगों पर नियंत्रण संभव हो जाता है।

मिट्टी की उर्वरता में वृद्धि
गहरी जुताई वााले खेत पहली बारिश के मौसम में सभी पानी को अवशाषित करते हैं, जिससे इन खेतों में अधिकतम वायुमंडलीय नाइटो्रजन की हानि होती हैं। इसके साथ ही गरही जुताई वाले खेतों में मिट्टी का कटाव भी कम होता है। परिणामस्वरुप पोषक तत्वों का प्रवाह भी रुक जाता है। उपरोक्त बिंदुओं से यह स्पष्ट हैं कि हमारे किसान भाइयों को इस गहरी जुताई से कई लाभ मिल सकते हैं। शायद यही वजह है कि मध्य प्रदेश सरकार हलधर गर्मियों में जुताई के लिए किसान भाइयों को अनुदान दे रही हैं, जिसे अपनाकर किसान भाई ज्यादा से ज्यादा लाभान्वित हों।

गहरी जुताई में सावधानियां
  1. पूरे खेतों की एक समान जुताई करनी चाहिए तथा बिना जुताई वाला स्थान नहीं रहना चाहिए।
  2. फसल के अवशेष तथा अनावश्यक उगे पौधों को खेत में दबा देना चाहिए।
  3. गहरी जुताई के समय ध्यान रखें कि कम से कम मृत कूढ़(नाली) खेत में बने, इसके निदान के लिए पलटीफार प्लाउ का उपयोग किया जा सकता है।
  4. गहरी जुताई के समय कई स्थानों पर मिट्टी एकत्र हो जाती है, उसके नीचे बिना जुता खेत रह जाता है, उसकी भी जुताई करनी चाहिए।
  5. पूरे खेत में भूमि के प्रकार के अनुसार एक समान जुताई करनी चाहिए।
  6. गरही जुताई तीन वर्ष में एक बार करें।