अंजली पटेल (सस्य विज्ञान विभाग) एवं दीपिका साहू (मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग)
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, 492012 (छ.ग.).
कैलाश विशाल (पौध रोग विज्ञान विभाग)
जवाहरलाल नेहरु कृषि विश्वविद्यालय, जबलपुर 482004 (म.प्र.)

कोविड-19 महामारी ने वैश्विक अर्थव्यवस्था के लगभग सभी क्षेत्रों को प्रभावित किया है। भारतीय अर्थव्यवस्था की रीढ़ कृषि क्षेत्र को वैश्विक महामारी के दौरान काफी नुकसान उठाना पड़ रहा है। संकट के दौरान देश की खाद्य आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए किसानों को भारी चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। कोविड-19 ने सभी क्षेत्रों को डिजिटल प्रौद्योगिकियों को अपनाने के लिए बाध्य किया है। अब यह सुनिश्चित करने का समय है कि किसान अपने चिंताओं को दूर करने के लिए डिजिटल प्रौद्योगिकी का प्रयोग करें।
    महामारी के कारण उत्पन्न हुई स्थिति में खेत में नवीनतम डिजिटल नवाचार को अपनाकर डिजिटल कृषि को मजबूत करने की आवश्यकता को उत्प्रेरित किया है। कृषि के क्षेत्र में डिजिटल प्रौद्योगिकियों में मोबाईल, इंटरनेट, कृत्रिम बुद्धिमता, डेटा विश्लेष्ण इत्यादि का प्रयोग सम्मिलित है। महामारी की अवस्था में किसानों को मौसम या कीटनाशकों के उपयोग सम्बंधित सही और सटीक जानकारी की आवष्यकता है। डिजिटल प्रौद्योगिकी के उपयोग के साथ किसान अब कृषि विशेषज्ञों के साथ दूर से जुड़ते हैं और खेत में उच्च उपज किस्म के बीज और कीटनाशकों के उपयोग पर सीधे उनसे सलाह लेते हैं। कई कृषि विश्वविद्यालयों और संगठनों ने महामारी के दौरान किसानों की सहायता के लिए कृषि संबंधित विभिन्न विषयों पर डिजिटल प्लेटफार्म के माध्यम से विशेषज्ञ वार्ता की व्यवस्था भी की है।
    कोविड-19 ने कृषि में उपयोग किए जाने वाले उर्वरकों और कीटनाशकों की आपूर्ति श्रृंखला में काफी व्यवधान उत्पन्न किया है। किसी भी घटक के उत्पादन में किसी प्रकार की कमी उर्वरक, कीटनाशकों इत्यादि के आपूर्ति को प्रभावित कर सकता है। प्रौद्योगिकी की मदद से अब किसानों के लिए सीमित आपूर्ति के साथ भी कीटनाशकों के उपयोग को अनुकुलित करना संभव है। अब किसानों को डेटा संचालित सहायता प्रदान करने के लिए कई स्टार्ट-अप आ रहे हैं। ये स्टार्ट-अप विभिन्न मापदण्डों जैसे- फसल स्वास्थ्य निगरानी, पैदावार की पूर्वानुमान, कीट बीमारी, मौसम व सिंचाई तकनीक संबंधित डेटा उपलब्ध कराने के लिए प्रौद्योगिकी का उपयोग करते हैं, किसानों को फसलों व बीज तथा कीटनाशकों की आपूर्ति में कमी से संबंधित निर्णय लेने में सहायता मिलती है। यह स्टार्ट-अप कोविड-19 महामारी संकट के दौरान सस्य वैज्ञानिक, कीट वैज्ञानिक, बीज विशेषज्ञ, मृदा व खेत मशीनरी विशेषज्ञ सभी को खेतों में एकत्र आंकड़ों के आधार पर किसानों को परामर्श देने के लिए एक सामान्य मंच प्रदान कर रहा है।
    फार्म मशीनरी व सिंचाई व्यवस्था में स्वचालन पहले ही देखा जा चुका है, जो खेत में मजदूरों की कमी का समाधान है। कोविड-19 के दौरान देश भर में मजदूरों के आवागमन में प्रतिबंध के कारण खेतों में मजदूरों की भारी कमी थी। हाल की महामारी ने किसानों को श्रमिकों की कमी और उत्पादकता की समस्या को हल करने के लिए कृषि मशीनरी में प्रयुक्त तकनीक को अपनाने के लिए मजबूर कर दिया है। इन तकनीको में फसल की बुवाई से कटाई तक के लिए इन-सीटू सेंसर, माइक्रो कंट्रोलर, परिवर्तनीय दर प्रौद्योगिकी और रोबोटिक्स का उपयोग शामिल है। प्रौद्योगिकी ने आदानों के सटीेक अनुप्रयोग की सुविधा प्रदान की है, जहां बेहतर पैदावार के लिए बीज रिक्ति और बुवाई की गहराई इत्यादि को नियंत्रित किया जा सकता है।
    वैश्विक महामारी ने कृषि आपूर्ति श्रृंखला को बाधित किया है, जिसके कारण किसानों को तार्किक समस्याओं को सामना करना पड़ा है। वाहनों के चालन और इंधन की खपत की निगरानी के लिए किसानों द्वारा अपनी मशीनरी में डिजिटल और जी. पी. एस. तकनीक का उपयोग किया जा रहा है। कई तार्किक एग्रीगेटर डिजिटल प्लेटफार्म प्रदान करने के लिए अभी आगे आ रहे हैं, जहां वे किसानों की तर्क संबंधी मांगों को एकत्र कर सकते हैं एवं उन्हें कृषि सामग्रियों को उपलब्ध करा सकें। स्टार्ट-अप कृषि को एक सेवा के प्रतिरुप की भांति उपयोग कर रहे हैं, किसानों व कृषि व्यवसाय को एक उच्चतम समाधान प्रदान करने के लिए डिजिटल तकनीक का उपयोग कर रहे हैं। डिजिटल लाॅजिस्टिक सेवा ने किसान को महामारी की स्थिति के दौरान माल ढुलाई लागत को बचाने के मामले में लाभान्वित किया है, जहां वाहनों की आवाजाही पर प्रतिबंध था।
    सरकार देश की अर्थव्यवस्था के सभी क्षेत्रों में डिजिटल प्लेटफार्म को मजबूत करने के लिए प्रयासरत है। निश्चित रुप से देश के गरीब से गरीब किसान को भी इन प्रौद्योगिकियों से लाभान्वित होना चाहिए ताकि वे डिजिटलीकरण के लाभों को प्राप्त कर सकें। कोविड-19 की चुनौती के बाद कृषि के क्षेत्र में रोबोटिक्स, बिग डेटा, मशीन लर्निंग और आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस जैसी तकनीकों को लागू करना और किसानोें के हित के लिए एक व्यवहार्य विकल्प बनाना होगा। डिजिटल प्रौद्योगिकी के नवीनतम तकनीक का उपयोग मशीन लर्निंग की मदद से किसानों से एकत्र डाटा के आधार पर परिणाम की भविष्यवाणी करने के लिए किया जा रहा है। मशीन लर्निंग फसल की चयनित जीन, जलवायु, व मृदा के प्रकार के आधार पर फसल उत्पाद का पूर्वानुमान लगाता है। इस प्रकार डिजिटल प्रौद्योगिकी किसानों को फसलों की पैदावार बढ़ाने और खेती को सक्षम व लाभदायक बनाने के लिए आधुनिक तकनीकों और सेवाओं के इस्तेमाल करने म्रं मदद करती है व इनके प्रयोग से किसानों को अपनी आय दोगुनी करने में सहायता मिल सकती है।
    डिजिटल तकनीक एक इलाज नहीं है बल्कि कृषि विकास को गति देने का एक तरीका है। विश्व भर में डिजिटल तकनीक को अपनाने को लेकर महामारी का सकारात्मक प्रभाव पड़ा है। कृषि में नवाचारों के साथ ही डिजिटल प्रौद्योगिकियों में कृषि उत्पादकता को बढ़ाने की क्षमता है। इस प्रौद्योगिकी का उद्देश्य पूरे भारत में सूचना संचार के माध्यम से कृषि विकास को गति देना है। अब समय आ गया है, कि हमें कृषि क्षेत्र में इन प्रौद्योगिकियों के कार्यान्वयन के लिए सामूहिक रुप से प्रयास करने होंगे।