प्रकृति ने हमारे जीवन के लिए बहुमूल्य सब्जियां और फल-फूल दिये हैं जिनका सही ढंग से इस्तेमाल करके हम निरोगी जीवन ही सकते हैं। फिर भी यदि कोई किसी कारण से कैंसर या कुष्ठ रोग जैसी गंभीर बीमारी से घिर चुका हैं तो हरी सब्जियों और फलों के रस का नित्य प्रयोग करके इससे मुक्ति पा सकता हैं। बशर्ते उसका सेवन विशेषज्ञों के परामर्श से किया जाए। सब्जियों या फलों का रस गर्मी में राहत पहुंचाता हैं। सब्जियों के रस से शरीर में विभिन्न विटामिनों व खनिज लवणों की पूर्ति होती हैं। इनका इस्तेमाल करके हम रोगों को पास आने से भी रोक सकते हैं क्योंकि इनके नियमित इस्तेमाल से हमारे शरीर में रोगों से लड़ने की क्षमता बढ़ जाती हैं।
हरी पत्तेदार सब्जियों का रस, मूली, बथुआ, पालक, टमाटर का रस, मेथी, फूलगोभी, प्याज, लहसुन, चुकंदर, गाजर का सेवन कर न सिर्फ शरीर में जरूरी विटामिनों की पूर्ति कर सकते हैं बल्कि कई रोगों का उपचार भी कर सकते हैं।
हरी पत्तेदार
(1) सब्जियों का रस
बथुआ, पालक, मेथी, चैलाई, मूली, आदि सब्जियों में आयरन के अलावा कैल्शियम भी पाया जाता हैं। इनके रस को निकालने के लिए कच्चे रूप में ही इनका प्रयोग ठीक रहता हैं। मिक्सी में थोड़े पानी के साथ पीसकर इनका रस निकाला जा सकता हैं।
(2) मूली
मूली में कैल्शियम सबसे अधिक पाया जाता हैं। पीलिया रोग में मूली के मुलायम पत्तों व सफेद भाग का रस निकालकर पीने से बहुत फायदा होता हैं। पथरी होने पर इसका रस प्रतिदिन आधा-आधा कप दिन में तीन बार पीने से लाभ होता हैं। मूली के रस के सेवन से पाइल्स, आँखों के रोग, कंठ के रोग और मूत्र संबंधी विकार ठीक हो जाते हैं। इसके रस का सेवन हर व्यक्ति कर सकता हैं।
(3) पालक
पालक के पत्तों को कच्चा ही रस निकाल कर सेवन करना चाहिए। इसका लोह तत्व सुपाच्य होता हैं। इसके क्षार रक्त की अम्लता कम करके आरोग्यता प्रदान करते हैं। यह पित्त की तकलीफ को दूर करता हैं। महिलाओं की तकलीफों में भी पालक का रस उपयोगी होता हैं।
(4) मेथी
मेथी का रस पीने से जोड़ों के दर्द में फायदा होता हैं। सर्दी, जुकाम होने पर मेथी का एक कप रस दोपहर में पीने से लाभ होता हैं। इसका स्वाद कड़वा होता हैं, यह कृमिनाशक भी हैं।
(5) पत्तागोभी का रस
इसका रस कफ, पित्त, खांसी, रक्तदोष आदि में उपयोगी होता हैं। खाना खाने से पहले एक कप रस दोनों समय पीने से कैंसर के रोगी को बहुत लाभ पहुंचाता हैं। दंत रोगों में भी इसका रस फायदा करता हैं।
(6) फूलगोभी के पत्ते
फूलगोभी के पत्तों को पकाकर, खाने से खूनी बवासीर ठीक हो जाती हैं। इसके पत्तों को पुल्टिश की तरह आँख पर लगाने से आँखों की लाली ठीक हो जाती हैं। गला बैठ गया हो तो इसके पत्तों और डंठल को पानी में उबाल कर गरारा करने से गला ठीक हो जाता हैं।
(7) प्याज का रस
एक छोटा चम्मच प्याज के रस में समभाग पानी मिलाकर छोटे बच्चों को दिन में तीन बार पिलाने से पेट के कीड़े मर जाते हैं। बीज ग्राम प्याज के रस में पचास ग्राम मिसरी मिलाकर प्रातःकाल बीस दिन तक पीने से पथरी गलकर निकल जाती हैं। प्याज के रस की दो-दो बूंदें कान में डालते रहने से बहरापन दूर हो जाता हैं। पीलिया रोग में दस ग्राम सफेद प्याज के रस में पांच ग्राम हल्दी, दस ग्राम गुड़, मिलाकर सुबह-षाम खिलाने से लाभ होता हैं। लू लग जाने पर इसका रस कनपटी, पैरों व छाती पर मिलने से लाभ होता हैं।
(8) लहसुन का रस
पाँच ग्राम लहसुन के रस में पचास ग्राम अंगूर मिलाकर नाश्ते से पहले पीने से शरीर में वात व कफ से प्रभावित दर्द दूर हो जाता हैं। भूख भी खुलकर लगती हैं।
(9) टमाटर का रस
पके हुए टमाटर का रस प्रातः व रात्रि में 20 ग्राम ताजे व गुनगुने पानी के साथ पीने से फोड़ा, फूंसी व खुजली में लाभ होता हैं। इसके रस के सेवन से मधुमेह रोगी के मूत्र में षक्कर की मात्रा सामान्य हो जाती हैं। बुखार में इसके रस का सेवन करने से बुखार ठीक हो जाता हैं। मुंह के छाले तथा मसूढ़ों से रक्त बहने से टमाटर के रस को पानी में मिलाकर कुल्ला करते रहने से मुंह के छाले ठीक हो जाते हैं व मसूढ़ों से खून आना भी बंद हो जाता हैं।
(10) गाजर का रस
गाजर में विटामिन ’ए’ बहुतायत में पाया जाता हैं। इसलिए गाजर का जूस आँखों के लिए फायदेमंद होता हैं। दो किलो गाजर का जूस एक-एक कप करके दिन में कई बार पीने से प्राथमिक अवस्था में कैंसर ठीक हो जाता हैं। गाजर के पत्तों का चार-चार बूंद रस गरम करके नाक व कान में डालने से सिर दर्द ठीक हो जाता हैं। निम्न रक्तचाप वाले रोगों के लिए भी यह रस फायदेमंद होता हैं।
(11) टिंडे का रस
उच्च रक्तचाप वाले लोगों के लिए टिंडे के रस का सेवन करने से रक्तचाप सामान्य होता हैं।
(12) बथुआ
बथुआ में सबसे अधिक आयरन पाया जाता हैं। यदि छह महीने तक इसके रस का विधिवत सेवन किया जाए तो कोढ़ भी ठीक हो जाता हैं। इसके रस के सेवन से बदन दर्द ठीक हो जाता हैं, पेशाब खुलकर आता हैं। यह पथरी भी निकालता हैं। इसे उबालकर मिक्सी में पीसकर और जीरे का तड़का लगाकर दोपहर और रात्रि में भोजन से पहले पीना चाहिए। बथुआ के ताजा पत्तों का दस ग्राम रस रोज पीने से गठिया रोग ठीक हो जाता हैं।
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