छत्तीसगढ़ शासन के कृषि संचालनालय के कृषि वैज्ञानिकों ने राज्य के किसानों को सामयिक सलाह दी है कि मौसम पूर्वानुमान के अनुसार आने वाले दिनों में मौसम साफ रहने की संभावना है, अधिकतम तापमान 27 से 30 अंश सेंटीग्रेड तथा न्यूनतम तापमान 9 से 12 अंश सेंटीग्रेड एवं आर्द्रता 70 से 85 प्रतिशत रहने की संभावना है। मौसम के अनुकूल पहली सिंचाई बोने के 20 से 25 दिनों के बाद शीर्ष जड़ प्रवर्तन के अवस्था में करना चाहिए। पहली सिंचाई के समय नाइट्रोजन की दूसरी मात्रा की टॉप ड्रेसिंग करना चाहिये। जहां सिंचाई का उत्तम व्यवस्था हो वहां पर मक्के की फसल ली जा सकती है। इसके लिये बीज दर संकर जातियों का 15 से 20 कि.ग्रा प्रति हेक्टेयर संकुल किस्मों का 20 कि.ग्रा. प्रति हेक्टेयर तथा कतार से कतार की दुरी 60 से.मी. एवं पौधे से पौधे की दुरी 20 से 25 से.मी. में बुवाई करें। बीज उपचार ट्राईकोडरम पावडर 6 से 10 ग्राम प्रति कि.ग्रा. एवं एजोस्पाइरिलम तथा पी.एस.बी. कल्चर 5 से 10 ग्राम प्रति कि.ग्रा. बीज की दर उपचारित कर बुवाई करें। अरहर में फल भेदक कीटो के नियंत्रण हेतु इंडोक्साकार्ब 300 ग्राम 500 लीटर पानी में घोलकर प्रति हेक्टर की दर से छिड़काव करें। समय पर बोई गई चने की फसल जब 15 से 20 सेंटीमीटर की ऊँचाई होने या 35 से 40 दिन की होने पर खुटाई अवश्य करें। चना फसल में पहला सिंचाई बुवाई के 40 से 45 दिन बाद करना चाहिए। सरसों में पहली सिंचाई बुवाई के 25 से 30 दिनों के बाद करना चाहिये। पहली सिंचाई फसल बोने के 30 से 40 दिन बाद देना चाहिये एवं पहली सिंचाई के समय नत्रजन के शेष मात्रा का छिड़काव करना चाहिये।
फल सब्जियों की फसलों के लिए सलाह दी गई है कि अधिक ठण्ड की अवस्था में भिन्डी में पीतशिरा रोग की समस्या आती हैं। अतः दैहिक कीटनाशी का छिडकाव करना आवश्यक हैं। बैगन एंव टमाटर की फसल में जीवाणु जनित उकठा रोग के निदान हेतु जो पेड़ मर गए हों उन्हें उखाड़ दें। एक सप्ताह तक सिंचाई नहीं करें। टपक सिचांई वाली फसलों में प्रकोप कम होता है। कद्दूवर्गीय सब्जियों की अगेती फसल के लिए थैला में पौधे तैयार करें। आम के उद्यान में जमीन से लगी शाखाओं एवं रोग बाधित शाखाओं की कटाई-छटाई करें। अमरुद की तुड़ाई पश्चात बहार उपचार करें। जिसके लिए गोबर का खाद 20 कि.ग्रा. प्रति पौध, यूरिया 100 ग्राम, पोटाश 150 ग्राम, मैग्नीशियम सल्फेट 40 ग्राम व कैल्सियम 80 ग्राम प्रति पौध देवें। फलदार वृक्षों में फल की मक्खी से बचाव हेतु गुड़ के घोल में इंडोक्साकार्ब कीटनाशक मिलाकर खुले मुंह के बर्तन में भरकर फल उद्यान में जगह-जगह टांगे। फल मक्खी हेतु प्रपंच बाजार से खरीद कर भी प्रयोग किया जा सकता है।
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