वैभव कुमार जायसवाल एवं डाॅ.पी.के. भगत (कीट विज्ञान विभाग)
राज मोहनी देवी कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, अम्बिकापुर 497001 (छ.ग.)
सचिन जायसवाल (कीट विज्ञान विभाग)
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, रायपुर 492001 (छ.ग.)
भारत के पूर्वोत्तर राज्यो के समान ही छत्तीसगढ़ अब जैविक राज्य बनने की ओर अग्रसर है। ग्रामीण अर्थव्यस्था को तेजी से मजबूत करने के लिऐ राज्य सरकार हरेली त्यौहार (20 जूलाई) में गोधन न्याय योजना शुरू करने जा रही है।
छ.ग. राज्य में लगभग 1.27 करोड़ पशुधन संख्या है। जिसमें गौ वंशीय पशु संख्या 64 प्रतिशत है। प्रदेश में 3.6 मिलियन ग्रामीण परिवार पशुपालन का कार्य करते है छोटे एवं अर्द्धमध्यम किसान परिवार के लगभग 50.6 प्रतिशत गौ वंशीय पशु एंव 52.4 प्रतिशत भैस वंशीय पशु पालन का कार्य करते है। प्रारंभिक जानकारी के अनुसार प्रदेश में 1.15 करोड़ गाय है एक गाय दिन भर में 3 से 4 कि.लो. गोबर देती है ऐसे में 2 से 4 हजार टन हर दिन गोबर कि खरीदी की जा सकेगी। खरीदी के बाद 45 दिनों में इसे वर्मी खाद में बदला जाएगा।
गोधन न्याय योजना पहले चरण में 2200 गौठानो में लागू की जाएगी इसके बाद निर्माणधीन 2800 गौठानो के पुर्ण होने पर उनमें भी लागू होगी। इस योजना में छोटे पशुपालको के गौठानो गोबर एकत्र कर खरीदी की जाएगी तथा इन गोबर से जैविक खाद का निर्माण किया जाएगा जिससे खेती कि जमीन की गुणवत्ता भी सुधरेगी। पशुपालको को लाभ होगा, गांव में रोजगार व अतिरिक्त आय के अवसर बढेगे। एक अनुमान के अनुसार प्रदेश में 5 हजार गौठानो में गोधन न्याय योजना लागू होने से गोबर एकत्रण एवं खाद बनाने के काम में लगभग साढें चार लाख लोगो को रोजगार मिलेगा। र्निधारित दर पर गोबर की खरीदी होगी (2 रूपए/कि.लो.) सहकारी समित्तियों सें वर्मी खाद बनाने और खाद की विपणन की पुरी श्रृंखला विकसित कि जाएगी। इस पुरी प्रक्रिया के संचालन में स्व.सहायता समूहों की महिलाओं के साथ गांव के युवाओं की भी सक्रिय भागीदारी होगी। छोटे पशुपालको को इस योजना सें प्रति माह 2 से 3 हजार रूपये की आमदनी गोबर की बिक्री से होगी।
जैविक खाद के लाभ:-
1. भूमि की उपजाऊ क्षमता में वृद्धि हो जाती है।
2. सिंचाई अंतराल में वृद्धि हो जाती है।
3. रासायनिक खाद पर र्निभरता कम होने से लागत में कमी आती है।
4. फसलो की उत्पादकता में वृद्धि हो जाती है।
5. भूमि से जल का वाष्पीकरण कम होता है।