परमानंद वर्मा
एम.एस.सी (कृषि) मृदा विज्ञान एवं कृषि रसायन विभाग, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर 

किसान भाइयों ने विगत वर्षों से अपने खेतों में बिना सोचे समझे रासायनिक खादों का असंतुलित उपयोग करके भूमि की उर्वरा शक्ति को कम किया है तथा इसके साथ ही आने वाली पीढ़ी को अंधकार की ओर धकेल दिया है।असंतुलित रासायनिक खादों के उपयोग से किसानों की लागत बढ़ी है साथ ही साथ भूमि की उत्पादन क्षमता भी कम हुई हैं। 

यूरिया डीएपी जैसे उर्वरकों के लगातार उपयोग से भूमि अम्लीय होती जा रही है जिससे सल्फर की मात्रा मिट्टी में कम होती जा रही है।नाइट्रोजन फास्फोरस पोटेशियम के साथ-साथ गंधक भी पौधों के आवश्यक चौथा पोषक तत्व है। 

फसलों के लिए गंधक की आवश्यकता- 
सल्फर फसलों में प्रोटीन प्रतिशत को बढ़ाने में सहायक होती है। फसलों में लगभग ०.५% शुष्क पदार्थ की आवश्यकता होती है।तिलहनी फसलों में सल्फर के उपयोग से तेल की मात्रा बढ़ जाती है साथ ही दलहनी फसलों में सल्फर के प्रयोग से पौधों की जड़ों में गांठे बनाने में सहायक होती हैं। तिलहनी फसलों में 20 से 40 किलो प्रति हेक्टेयर सल्फर की आवश्यकता होती है। 

सल्फर की कमी वाली मृदा - 
किसानों को यह समझना चाहिए कि वैसे तो सल्फर की कमी बहुत ही कम देखा गया है लेकिन असंतुलित खादों के उपयोग से गंधक की कमी देखी जाने लगी है। मिट्टी में सल्फर की उपलब्धता 22.4 किलो प्रति हेक्टेयर से कम होने पर सल्फर की कमी मानी जाती है। 

गंधक की कमी निम्न कारणों से हो सकती है- 

1. मिट्टी में रेत कण की मात्रा अधिक 

2. कार्बनिक पदार्थों की कमी 

3. सल्फर रहित उर्वरकों के उपयोग से 

सल्फर युक्त उर्वरक- 
अमोनियम सल्फेट(24% S), अमोनियम सल्फेट नाइट्रेट(13% S), उर्वरक से नाइट्रोजन के साथ-साथ सल्फर भी मिल जाता है । छत्तीसगढ़ के किसान सिंगल सुपर फास्फेट (13% S), जिंक सल्फेट(14% S), जिप्सम(18% S), इन उर्वरकों का उपयोग कर सकते हैं। इसके साथ ही किसानों को यूरिया, डीएपी के प्रयोग को संतुलित करना होगा एवं गोबर खाद (0.15%) मिट्टी में मिलाना होगा। 

सल्फर का उपयोग कब और कैसे करें - 
सल्फर युक्त उर्वरकों का प्रयोग बुवाई के पूर्व के समय करना चाहिए। किसानों को सल्फर युक्त उर्वरकों का प्रयोग एक साथ ना करके दो से तीन बार खड़ी फसल के समय भी करना चाहिए। अगर किसान भाई तिलहनी फसलें लगा रहे हैं तो सल्फर की संपूर्ण मात्रा का 75% अंतिम जुताई के समय तथा 25% फूल आते समय देना चाहिए। 

फसलों में गंधक की कमी के लक्षण- 
1. गंधक की कमी सामान्यतः नई पत्तियों में दिखाई देती है। नहीं पत्तियां पीली पड़ने लगती हैं, यद्यपि नत्रजन की कमी का लक्षण में भी पत्तियां पीली पड़ जाती है लेकिन नत्रजन में प्रायः पुरानी पत्तियों में पहली लक्षण दिखाई देती है। 

2. दाल वाली फसलों में गंधक की कमी से पौधों की जड़ों में गांठे कम बनती है।