मिलेट्स आदिकाल से छोटे दाने की फसल के रूप में उगायी जाती हैं। यह लगभग विश्व के सभी देशों में कम या ज्यादा उगायी जाती हैं। पिछले कुछ दशकों से छोटे दाने वाली फसल (मिलेट्स) को कम उगाया जा रहा था जिससे विश्व ही भरत जैसे देश जहां पर यह मुख्यत: हर क्षेत्र में उगायी जाती थी, आज वो भूली-बिसरी फसल के रूप में जानी जाती हैं। लेकिन जब आज मौसम परिवर्तन में उगायी जाने वाली फसलों के बारे में अध्ययन किया जा रहा हैं तो यही छोटे दाने वाली (मिलेट्स) ही हर पैमाने पर खरी उतर रही हैं। चाहे अधिक तापमान में उगाना हो या कम सिंचित क्षेत्र में फसलोत्पादन करना हो वहां पर भी यह सफल (उच्च) उपज देती हैं। यही नहीं जब पोषकीय सुरक्षा की बात होती हैं तो यही उपेक्षित फसल अन्य फसलों की तुलना में अधिक पोषकीय एवं स्वास्थ्यकर होती हें, जिसके कारण इनको श्रीधान्य कहा जाता हैं। छोटे दाने वाली फसल (मिलेट्स) में मुख्य रूप से राजगिरा, बाजरा, सनवा, कुट्टु, रागी, कांगनी, कोदो, सामा, चेना, ज्वार आदि आते हैं।


मिलेट्स एवं स्वास्थ्य

अपनी पोषकीय गुणवत्ता के कारण यह मनुष्य को अनेक प्रकार के स्वास्थ्य लाभ प्रदानकरते हैं।

हृदय रोग में सुरक्षा

मिलेट्स में मैग्नीशियम एवं पोटेशियम की अच्छी मात्रा होती है, जिससे हम इसे इसका अच्छा स्त्रोत मानते हैं। ये मिनरलस रक्त दाब को कम कर देते हैं जिससे हृदयघात होने की संभावना कम हो जाती हैं।

कैंसर की रोकथाम

मिलेट्स में पाये जाने वाले पौध लिग्नेन हमारी पाचन तंत्र माइको फ्लोरा द्वारा एनीमल लिग्नेन में बदल दिये जाते हैं और लिग्नेन कैंसर जैसे भयानाक बीमारियों से सुरक्षा प्रदान करते हैं। यही नहीं ये रेशा (फाइबर) के भी एक अच्छे स्त्रोत हैं और शोध अध्ययन से यह पता चला हैं कि 30 ग्राम रेशा (फाइबर) प्रतिदिन खाने में प्रयोग किया जाय तो महिलाओं में होने वाले स्तन कैंसर को 50 प्रतिशत् तक रोका जा सकता हैं।

कोलेस्ट्राल नियंत्रण

मिलेट्स में पाये जाने वाले रेशा (फाइबर) एवं अन्य पोषक तत्व रीर में जमा होने वाले बुरे कोलेस्ट्राल नियंत्रित एवं अच्छे कोलेस्ट्राल को बनने में सहायक होते हैं।

मधुमेह नियंत्रण

इसमें पायें जाने वाले मैग्नीशियम के कारण टाइप-2‘ मधुमेह को नियंत्रित करने में सहायक होते हैं और साथ-ही इसमें पाये जाने वाले अन्य रसायन इन्सुलिन एवं ग्लुकोज रिसेप्टर की क्षमता को बढ़ाने में सहायक होते हैं। जिससे मधुमेह रोग की संभावना को कम किया जा सकता हैं।

स्वास्थ्य पाचन क्रिया

रेशा के एक अच्छे स्त्रोत होने के कारण गैस्ट्रो इन्टेस्टाइनल तंत्र को कान्सटीफेन से होने वाले रोगों को नियंत्रित करता हैं और यदि मनुष्य का पाचन तंत्र स्वस्थ हो तो बहुत सारे रोग अपने आप नियंत्रित हो जाते हैं और आहार लिया जाने वाले भोजन के सभी पोषक तत्व लगभग रीर द्वारा उपयोग होने लगता हैं। यही नहीं अगर पाचन तंत्र ठीक हैं तो किडनी खराब होने से बचा जा सकता हैं।

रीर का निराविशिकरण

मिलेट्स में एन्टी आक्सीडेन्ट गुण वाले रसायन रीर में बनने वाले फ्री रेडिकल्स को उदासीन एवं रीर से बाहर कर देता हैं तथा अन्य प्रकार के विषैले तत्वों से भी रीर को साफ रखते हैं। क्युसिटिन, कुरकुमिन, इलाजिक एवं अन्य महत्वपूर्ण रसायन बाह्नय रूप आये विष से भी रीर को सुरक्षित रखते हैं।

उपरोक्त महत्व को देखते हुए यही कहा जा सकता हैं कि उपेक्षित अनाज की ये फसलें पोषक तत्वों की भण्डार हैं जो रीर के लिए बहुत ही लाभदायक हैं।