गाजरघास से सर्दी-नरमी के प्रति असंवेदनशील बीजों में शषुप्तावस्था न होने के कारण एक ही समय में फूल युक्त और फूल विहीन गाजरघास के पौधे खेतों में दृष्टिगोचर होते हैं। अतः निंदाई करते समय फूलयुक्त पौधों का उखाड़ना भी अपरिहार्य हो जाता हैं। फिर भी किसान भाईयों को गाजरघास को कम्पोस्ट बनाने में उपयोग करने के लिए हर संभव प्रयास करने चाहिए कि वो उसे ऐसे समय उखाड़े जब फूलों की मात्रा कम हो। जितनी छोटी अवस्था में गाजरघास को उखाड़ेंगे उतना ही अधिक अच्छा कम्पोस्ट बनेगा और उतनी ही फसल की उत्पादकता बढ़ेगी। निम्नलिखित विधि द्वारा गाजरघास से कम्पोस्ट बनाई जा सकती हैं। 

  • अपने खेत या भूमि पर एक उपयुक्त थोड़ी ऊँचाई वाले स्थान पर जहां पानी का जमाव न होने पावे, एक 3×6×10 फीट (गहराई×चैड़ाई×लम्बाई) आकार का गड्ढ़ा बना लें।
  • अगर संभव हो सके तो गड्ढ़े की सतह पर और साइड की दीवारों पर पत्थर की चीपें इस प्रकार लगाएं कि कच्ची जमीन का गड्ढ़ा एक पक्का टांका बन जाए। इसका लाभ यह होगा कि कम्पोस्ट के पोषक तत्व गड्ढ़े की जमीन नहीं सोख पाएगी। 
  • अगर चीपों का प्रबंध न हो पाए तो गड्ढ़े के फर्श और दीवार की सतह को मुगदर से अच्छी प्रकार से पीटकर समतल कर लें। 
  • अपने खेतों की फसलों के बीच से, मेढ़ों से और आस-पास के स्थानों से गाजरघास को जड़ समेत उखाड़कर गड्ढ़े के समीप इकट्ठा कर लें। 
  • गड्ढ़े के पास 75 से 100 कि.ग्रा. कच्चा गोबर, 5-10 कि.ग्रा. यूरिया या राॅक फास्फेस की बोरी, भुरभुरी या कापू मिट्टी (एक या दो क्विंटल) और एक पानी के ड्रम की व्यवस्था कर लें। 
  • लगभग 50 कि.ग्रा. गाजरघास को गड्ढ़े की पूरी लम्बाई-चैड़ाई में सतह पर फैला दें। 
  • 5-7 कि.ग्रा. गोबर को 20 लीटर पानी में घोल बनाकर उसका गाजरघास की परत पर छिड़काव करें। 
  • इसके ऊपर 500 ग्राम यूरिया या 3 कि.ग्रा. राॅक फास्फेट का छिड़काव करें। जैवकीय खेती में खाद को उपयोग करना हो तो यूरिया न डालें। 
  • उपलब्ध होने पर ट्राइकोडरमा विरीडी अथव ट्राईकोडरमा हारजानिया नामक कवक के कल्चर पाउडर को 50 ग्राम प्रति परत के हिसाब से डालें। इस कवक कल्चर को डालने से गाजरघास के बड़े पौधों का अपघटन भी तेजी से हो जाता हैं एवं कम्पोस्ट शीघ्र बनती हें। चूंकि दूर-दराज के गांव-देहातों में इस कल्चर का मिलना कठिन होता हें। अतः इस कारक का प्रयोग इसकी उपलब्धि पर निर्भर हैं। 
  • इसी प्रकार एक परत के ऊपर दूसरी-तीसरी और अन्य पपरतें तब तक बनाते जाएं जब तक गड्ढ़ा ऊपरी तह से एक फीट ऊपर तक न भर जाए। ऊपरी सतह की परत इस प्रकार दबाएं कि सतह डोम के आकर की हो जाए। परत जमाते समय गाजरघास को पैरों से अच्छी प्रकार दबाते रहें। 
  • यहां पर गाजरघास को जड़ से उखाड़कर परत बनाने के निर्देष दिए गए हैं। जड़ से उखाड़ते समय जड़ों के साथ ही काफी मिट्टी आ जाती हैं। अतः परत के ऊपर भुरभुरी मिट्टी डालने का विकल्प खुला हैं। अगर आप महसूस करते हैं कि जड़ों में मिट्टी अधिक नहीं हैं तो 10-12 कि.ग्रा. भुरभुरी मिट्टी प्रति परत की दर से डालें। 
  • अब इस प्रकार भरे गढ्ढ़े को गोबर, मिट्टी आदि के मिश्रण लेप से अच्छी प्रकार बंद कर दे 5-6 माह बाद गड्ढ़ा खोलने पर अच्छी कम्पोस्ट प्राप्त होती हैं।