नकली एवं मिलावटी उर्वरकों की पहचान करने की विधि:-
कृषकों के बीच प्रचलित उर्वरकों में से प्रायः डी.ए.पी., जिंक सल्फेट, यूरिया तथा एम.ओ.पी. नकली/मिलावटी रूप में बाजार में उतारे जाते हैं। खरीददारी करते समय कृषक इसकी परख निम्न सरल विधि से कर सकते हैं-
यूरिया की पहचान विधि:-
1. सफेद चमकदार, लगभग समान आकार के गोल दानें।
2. पानी में पूरी तरह से घुल जाना और छूने पर शीतल अनुभूति।
3. गर्म तवे पर रखने से पिघल जाता हैं और आंच को तेज कर दिया जाये तो कुछ नहीं बचता।
4. 50 किलो की बोरी में 46 प्रतिशत् नत्रजन अंकित हों।
डी.ए.पी. की पहचान विधि:-
1. सख्त दानेदार, भूरा, काला, बादामी रंग नाखूनों से आसानी से छूटता हैं।
2. डी.ए.पी. के कुछ दानों को लेकर तम्बाकू की तरह उसमें चना मिलाकर रगड़ा जायें तो उसमें बहुत तेज गंध निकलती हैं, जिसे सूंघना असहनीय हो जाता हैं।
3. तवे पर कम आंच में गर्म करने पर दाने फूल जाते हैं।
4. डी.ए.पी. की 50 किलो बोरी में 18 प्रतिशत् नत्रजन एवं 46 प्रतिशत् स्फुर दो।
सुपर फास्फेट की पहचान विधि:-
यह सख्त दानेदार, भूरा काला बादामी रंगों से युक्त तथा नाखुनों से आसानी से टूटने वाला उर्वरक हैं और यह चूर्ण के रूप में भी मिलता हैं। इस दानेदार उर्वरक की मिलावट डी.ए.पी. व एन.पी.के. मिक्चर उर्वरकों के साथ की जाने की संभावना बनी रहती हैं। इस दानेदार उर्वरक को यदि गरम किया जाये तो इसके दाने फूलते नहीं हैं, जबकि डी.ए.पी. व अन्य के दाने फूल जाते हैं।
पोटाश खाद की पहचान विधि:-
1. कणाकार, पिसे नमक लाल मिर्च जैसा मिश्रण होता हैं।
2. इन कणों को नम करने पर भी यह आपस में चिपकते नहीं हैं।
3. पानी में घुलने पर खाद का लाल भाग पानी के ऊपर तैरता हैं।
जिंक सल्फेट की पहचान विधि:-
1. जिंक सल्फेट में प्रमुख मिलावटी रसायन मैग्नीशियम सल्फेट हैं, जो जिंक सल्फेट के ही समान होता हैं। इसलिए इसकी पहचान करने में कठिनाई होती हैं।
2. डी.ए.पी. के घोल में यदि जिंक सल्फेट के घोल को मिला दिया जाये तो थपकेदार घना अवशेष बन जाता हैं, जबकि मैग्नीशियम सल्फेट के घोल में मिलाने पर ऐसा नहीं होता हैं।
3. जिंक सल्फेट के घोल में पतला कास्टिक का घोल मिलाने पर सफेद, मटमैला, माड़ जैसा घोल बन जाता हैं, जिसमें गाढ़ा कास्टिक का घोल मिलाने पर अवशेष पूरी तरह से घुल जाता हैं, जबकि जिंक सल्फेट के स्थान पर मैग्नीशियम सल्फेट हो तो अवशेष नहीं घुलेगा।
4. जिंक सल्फेट में 21 प्रतिशत् जिंक एवं 10 प्रतिशत् सल्फर हो।
कृषक भाइयों को निम्न बातों पर भी ध्यान देना चाहिए:-
1. डी.ए.पी., यूरिया, एन.पी.के., सिंगिल सुपर फास्फेट, म्यूरेट ऑफ पोटाश आदि प्रमुख उर्वरकों की 50 कि.ग्रा. की बोरी होती हैं, उसका वनज कराना चाहिए।
2. उर्वरकों का प्रति 50 कि.ग्रा. बोरी का मूल्य सरकार द्वारा निर्धारित हैं, अतः उर्वरक खरीदते समय रसीद विक्रेता से जरूर मांगे।
3. यदि विक्रेता दुकानदार उर्वरक खरीदने पर रसीद नहीं देता हैं तो जिला कृषि अधिकारी अथवा उप संचालक कृषि या उर्वरक निरीक्षक अधिकारी को जरूर बतायें।
4. उर्वरक के बारे पर अधिकतम खुदरा बिक्री मूल्य लिखा होता हैं, उसे देखकर ही मूल्य अदा करें, उससे अधिक पर यदि बोरी दी जा रही हैं, तो उसकी रसीद अवश्य प्राप्त कर लें तथा उसकी सूचना कृषि विभाग के किसी भी कार्यालय में पेश करें।