कृषि विज्ञान केन्द्र के मार्गदर्शन में 1600 हितग्राहियों ने कमाए साढ़े तीन करोड़ रूपए। छत्तीसगढ़ के सुदूर आदिवासी एवं नक्सल प्रभावित जिले दंतेवाड़ा के लगभग 16 सौ नक्सल प्रभावित कृषकों की तकदीर कृषि विज्ञान केन्द्र दंतेवाड़ा द्वारा शुरू की गई एक अभिनव पहल ने बदल दी है। इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय के अंतर्गत संचालित कृषि विज्ञान केन्द्र, दंतेवाड़ा द्वारा जिले के नक्सल प्रभावित कृषकों की आजीविका सुधार हेतु चलाये जा रहे हितग्राही मूलक कार्य के तहत इन हितग्राहियों को कड़कनाथ कुक्कुट पालन का प्रशिक्षण दिया गया तथा जिला प्रशासन के सहयोग से कड़कनाथ के चूजे एवं हेचिंग मशीन कृषकों को निःशुल्क प्रदान किये गये। इस अभिनव पहल के तहत अब तक 146 स्व-सहायता समूह एवं 19 अदिवासी कृषक जुड़ चुके हैं। इन समूहों द्वारा कड़कनाथ पालन कर 3 लाख रूपये तक की वार्षिक आय प्राप्त की जा रही है। विगत दो वर्षों में कड़कनाथ कुक्कुट पालन करने वाले लगभग 16 सौ हितग्राहियों ने कुल 3 करोड़ 52 लाख रूपये का व्यवसाय किया है।दंतेवाड़ा का अधिकांश हिस्सा अति संवेदनशील है। यह क्षेत्र गरीबी एवं अशिक्षा से ग्रसित है। यहां रोजगार के साधन भी सीमित हैं। इन्हीं सभी बातों को ध्यान में रखते हुए कृषि विज्ञान केन्द्र, दंतेवाड़ा द्वारा एक अभिनव पहल करते हुए जिले के हितग्राहियों को कड़कनाथ कुक्कुट पालन का प्रशिक्षण दिया जा रहा है। कृषि विज्ञान केन्द्र, दंतेवाड़ा द्वारा विगत दो वर्ष में 104 स्व-सहायता समूहों को 70,400 चूजे का वितरण किया जा चुका है। उल्लेखनीय है कि लाॅकडाउन की अवधि में कटेकल्याण क्षेत्र के गाटम ग्राम के रोशनी स्व.सहायता समूह, एडपाल ग्राम के चंदा स्व.सहायता समूह, भूसारास ग्राम के ऐर पुंगार स्व.सहायता समूह, कटेकल्याण ग्राम के माँ दन्तेश्वरी स्व.सहायता समूह तथा कुंआकोंडा ब्लाक के समेली ग्राम के आंगादेवी स्व.सहायता समूह, माँ दन्तेश्वरी स्व.सहायता समूह, लक्ष्मी स्व.सहायता समूह तथा कडमपाल ग्राम के माँ दुर्गा स्व.सहायता समूह को कड़कनाथ के चूजे प्रदान किये गये है। कृषि विज्ञान केन्द्र के वरिष्ठ वैज्ञानिक डाॅ. नारायण साहू ने बताया कि सभी समूहो को 21 दिन आयु के 300-300 चूजे प्रदान किये गये है। इन समूहों चूजे दो चक्र में प्रदान किये जायेंगे। छः माह में चूजां का वजन 1.5 से 2 किलो तक हो जाता है, जिसे 500 रूपये प्रति नग की दर से विक्रय किया जाता है। जिले के प्रगतिशील कृषक सुशील, रंगनाथन, शैलेष को 1010 अंडे सेने की क्षमता वाली हेचिंग मशीन भी प्रदान की गयी है। उनके द्वारा सफलतापूर्वक चूजो का उत्पादन किया जा रहा है।


स्रोत:- सूचना एवं जनसंपर्क अधिकारी, इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर