कृषि कार्ययोजना


  • दलहनी एवं तिलहनी फसलों की कटाई का कार्य शीघ्र सम्पन्न करें। अधिक देरी होने से दाना झड़ने की संभावना बढ़ जाती हैं। भंडारण हेतु दलहनी फसल के बीजों में 8-10 प्रतिशत नमी हो, इस हेतु बीजों को धूप में अच्छी तरह सुखाएं।
  • ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई आरंभ करें।
  • फसल काटने के बाद यदि खेत में नमी हो तो खाली खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें।
  • जो फसल पककर तैयार होती है, उन्हे कटाई कर साफ खलिहान में गहाई करें तथा अच्छी तरह सुखाकर भण्डारण करें।
  • भण्डारण के समय दानों में नमी 9-10 प्रतिशत से अधिक नही होनी चाहिए।
  • गर्मी के चारे एवं बहुवर्षीय चारे की फसल हाइब्रिड नेपियर को लगाने के लिए खेत तैयार करें एवं बुवाई करें।
  • पिछले माह रोपण की गई सब्जियां में गुड़ाई पश्चात् हल्की सिंचाई कर तुरंत नत्रजन उर्वरक प्रदाय करें।
  • वर्तमान में आम की फसल फूल आने/फल बनने की अवस्था में है। इस अवस्था में आम का फुदका कीट का प्रकोप देखा जाता है। अतः किसान भाईयों को सलाह दी जाती है कि आम के बगीचों की साफ-सफाई रखें।
  • आम में सिंचाई एवं पोषण प्रबंधन का कार्य करें।
  • कद्दूवर्गीय सब्जियों में लाल कद्दू भृंग का प्रकोप दिखने पर अनुषंसित दवा का छिड़काव करें।
  • कद्दूवर्गीय सब्जी, भिण्डी एवं बरबटी आदि में पौध संरक्षण के उपाय करें। यदि बोना शेष रह गया हो तो 15 मार्च तक बुवाई करें।
  • गर्मी में सब्जियों की रोपाई एवं पत्तेदार सब्जियों की बुवाई करें।
  • केला एवं पपीता के पौधों में सप्ताह में एक बार पानी अवश्य देवें।
  • बसंतकालीन गन्ने की बुवाई शीघ्र करें।
  • फलभेधक मक्खी से बचाव हेतु विष प्रपंच का उपयोग करें। इस कार्य हेतु मेलाथियान 50 ई.सी. 50 मि.ली., गुड़ (आधा किलोग्राम) एवं यीस्ट हाइड्रोलाइसेट को पानी में मिलाकर मिट्टी के बर्तनों में रखकर बगीचों में अनेक स्थानों पर लटका दें।
  • सरसों की अंतिम अवस्था एवं कटाई के बाद फलियों को पेन्टेड बग हानि पहुँचाता हैं। इससे बचाव हेतु खड़ी फसल में मेलाथियान 50 ई.सी. का उपयोग करें।
  • ग्रीष्मकालीन धान में कन्सावस्था में तनाछेदक का प्रकोप होता है। इससे बचाव हेतु केरोमे प्रपंच का उपयोग करें।
  • ग्रीष्मकालीन धान में पर्णच्छद अंगमारी (शीथ ब्लाइट) रोग के लक्षण दिखते ही हेक्साकोनाजोल (1 मि.ली./ली. पानी) का छिड़काव करें। दूसरा छिड़काव 12-15 दिन के बाद करना चाहिए।
  • शोभायमान वृक्ष, लताएँ एवं पौधों की कलम तैयार करें।
  • शीतकालीन मौसमी पुष्पों के बीज एकत्रित करें। संतरा से स्क्वैष, केला, पपीता, सेब से जैम, आँवला, सेब तथा पपीता का मुरब्बा एवं फल-सब्जी सुखाने का कार्य करें।

पशुपालन कार्ययोजना

  • गौ-पशुओं, भेड़-बकरियों एवं सूकर इत्यादि को खुरा-चपका का टीका अवश्य लगवायें।
  • बकरियों में गलघोंटू रोग का टीकाकरण करवायें।
  • गर्मी के मौसम में प्रति पषु प्रतिदिन 50-60 ग्राम नमक अवश्य खिलायें।
  • ग्रीष्म ऋतु में हरा चारा प्राप्त करने हेतु एम.पी. चरी, हाइब्रिड नेपियर (मल्टी कट) आदि चारा फसलों की बुवाई करें।
  • पशुशालाओं में पशुओं को ठंड से बचाने के लिये लगाये गये पर्दे उतारकर रख दें।
  • हरा चारा सुखाकर ही तैयार करें।
  • भेड़-बकरियों के लिये चना भूसा, अरहर भूसा इत्यादि का संग्रहण करें।
  • गर्मी में हरे चारे की कमी होने पर खनिज मिश्रण प्रतिदिन पशुओं को खिलायें।

                                  
(स्त्रोतः इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर)