डॉ. अनिमेष कुमार चंद्रवंशी, कृषि अभियांत्रिकी विभाग ,
डॉ. के एन इस बनाफर, पूर्व अधिष्ठाता एवं प्राध्यापक (कृषि अर्थशास्त्र)
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र जांजगीर
भारत विश्व के प्रमुख कृषि उत्पादक और निर्यातक देशों में से एक है। भारत से बासमती चावल, चाय, कॉफी, मसाले, समुद्री खाद्य (फिश और झींगा), फल एवं सब्ज़ियाँ जैसे उत्पाद कई देशों को निर्यात किए जाते हैं। अमेरिका भारत का एक प्रमुख कृषि निर्यात बाज़ार रहा है। हाल ही में अमेरिका द्वारा भारतीय कृषि उत्पादों पर 25% से 50% तक अतिरिक्त टैरिफ़ (शुल्क) लगाए गए हैं। इस निर्णय से भारत से अमेरिका को होने वाला कृषि निर्यात प्रभावित हुआ है। अमेरिकी टैरिफ़ लागू होने से भारतीय कृषि उत्पादों की कीमत वहां बढ़ गई है, जिससे मछली, झींगा, बासमती चावल, शहद, मसाले, फल-सब्ज़ी, डेयरी और प्रसंस्कृत खाद्य वस्तुओं पर सीधा असर पड़ा है। इसके चलते भारत के लिए वैश्विक प्रतिस्पर्धा कठिन हो सकती है, क्योंकि वियतनाम, थाईलैंड और दक्षिण कोरिया जैसे देशों के उत्पाद अब अपेक्षाकृत सस्ते हो गए हैं। नतीजतन, कई अमेरिकी खरीदारों ने भारतीय सामान के ऑर्डर रोक दिए हैं, जिससे निर्यातकों के लिए गंभीर संकट पैदा हो गया है। फलस्वरूप ग्रामीण आमदनी घट सकती है, छोटे किसान प्रभावित होंगे, कृषि उद्योग में रोजगार कम हो सकता है और भारत की आर्थिक विकास दर में हल्की गिरावट आ सकती है। इन परिस्थितियों में आवश्यक हो गया है कि भारत ठोस रणनीतियों को अपनाकर न केवल इस संकट से उबरे, बल्कि कृषि निर्यात को अधिक मजबूत और विविध बनाकर दीर्घकालिक स्थिरता सुनिश्चित करे।
भारतीय कृषि को सशक्त बनाने के लिए समाधानात्मक रणनीतियाँ
जब 60 के दशक में अमेरिका ने भारत को PL - 480 ( निम्न किश्म गेहूं ) निर्यात करने की कोशिश किया था तब उस समय तत्कालीन राजनैतिक नेतृत्व में इसका कड़ा विरोध किया गया। फलस्वरूप एक सुखद परिणाम के रूप में हरित क्रांति आई। आज भले की भारतीय निर्यातकों के लिए एक परीक्षा की घड़ी है, पर इसे हम आपदा में अवसर के रूप में देख सकते हैं। टैरिफ़ जैसी वैश्विक चुनौतियों का सामना करने के लिए भारत सक्षम है और निम्नलिखित उपायों से अंतरास्ट्रीय बाजारों में एक मजबूत स्थान बना सकते हैं।
1. नए निर्यात बाजारों की खोज: भारत को केवल पारंपरिक बाजारों तक सीमित न रहकर अफ्रीका, मिडिल ईस्ट, यूरोप और एशिया के उभरते देशों में नए निर्यात अवसर तलाशने चाहिए। इसके लिए क्षेत्रीय व्यापार समझौते और द्विपक्षीय साझेदारियों को मज़बूत करना होगा, जिससे वैश्विक बाजार में भारत की पहुंच और भागीदारी बढ़े।
2. व्यापार समझौते और कूटनीतिक प्रयास: अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भारत को अमेरिका और अन्य प्रमुख देशों के साथ व्यापार संतुलन बनाए रखने के लिए सक्रिय संवाद और रणनीतिक कूटनीति अपनानी होगी। इसके साथ ही WTO जैसे वैश्विक मंचों पर भारत को अपने कृषि हितों की मज़बूती से रक्षा करनी होगी, ताकि विश्व व्यापार में निष्पक्षता बनी रहे।
3. प्रोसेस्ड उत्पादों को बढ़ावा: कच्चे माल के बजाय प्रोसेस्ड और वैल्यू-एडेड उत्पादों का निर्यात बढ़ाया जाना चाहिए। जैसे आम की जगह आम का पल्प, दूध की जगह दूध पाउडर, जिससे उत्पादों का शेल्फ लाइफ बढ़े, मूल्य में वृद्धि हो और ग्रामीण क्षेत्रों में अतिरिक्त रोजगार भी उत्पन्न हो सके।
4. अंतर्राष्ट्रीय मानकों के आधार पर उत्पादकता और गुणवत्ता में सुधार: भारतीय कृषि की उत्पादकता को बढ़ाने के लिए उच्च गुणवत्ता वाले बीज, उन्नत तकनीक और किसानों को नियमित प्रशिक्षण देना आवश्यक है। साथ ही वैश्विक मानकों के अनुसार प्रसंस्करण, ग्रेडिंग और पैकेजिंग की व्यवस्था सुनिश्चित करनी चाहिए, जिससे निर्यात योग्य उत्पादों की गुणवत्ता बेहतर हो सके और उनकी मांग अंतरराष्ट्रीय बाजारों में बढ़े।
5. नीतिगत और वित्तीय समर्थन: सरकार को निर्यातकों के लिए विशेष प्रोत्साहन योजनाएं बनानी चाहिए, जिनमें सब्सिडी, सस्ती कर्ज़ सुविधा, बीमा कवर और जोखिम प्रबंधन तंत्र शामिल हों। इसके साथ ही एफपीओ और सहकारी समितियों को वित्तीय और तकनीकी सहायता प्रदान करना जरूरी है।
6. लॉजिस्टिक्स और आपूर्ति श्रृंखला में सुधार: कोल्ड स्टोरेज, आधुनिक फूड प्रोसेसिंग पार्क्स, और तेज़ परिवहन सुविधाओं का निर्माण कृषि उत्पादों की गुणवत्ता बनाए रखने और समय पर डिलीवरी सुनिश्चित करने में सहायक होगा। साथ ही, बंदरगाहों और कस्टम प्रक्रियाओं को डिजिटल और सरल बनाना आवश्यक है ताकि निर्यात प्रक्रिया अधिक कुशल और लागत प्रभावी हो सके।
निष्कर्ष: अमेरिका के टैरिफ़ से भारत के किसानों और कृषि व्यापार को तात्कालिक रूप से नुकसान हो सकता है, लेकिन यह चेतावनी भी है, जिससे हम अपने कृषि ढांचे को और मज़बूत बना सकते हैं। यदि भारत गुणवत्ता, नवाचार, बाज़ार विविधता, और वैल्यू एडिशन पर ध्यान केंद्रित करे, तो कृषि क्षेत्र न केवल इन चुनौतियों से उबरेगा, बल्कि वैश्विक बाज़ार में और अधिक मजबूती से उभरेगा।

0 Comments