जयमाला बरवा (पीएचडी)
डॉ. संजय शर्मा (प्रमुख वैज्ञानिक)
कृषि कीट विज्ञान विभाग
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़
Introduction (परिचय)
धान का पैनिकल माइट (Steneotarsonemus spinki Smiley) एक सूक्ष्मकाय मकड़ी की प्रजाति है जो धान की फसल को गंभीर नुकसान पहुंचाती है। इस मकड़ी की प्रजाति को सबसे पहले सन् 1967 में पहली बार आर. एल. स्माइली द्वारा पहचाना गया था । तब से यह उष्णकटिबंधीय एशिया, मध्य अमेरिका और कैरेबियन क्षेत्रों में धान का पैनिकल माइट के रूप में जाना जाता है। जो पत्तियों की शीथ और बालियों में छिपकर पौधे के ऊतकों को चूसता है, जिससे अनाज की गुणवत्ता और उपज प्रभावित होती है। इसका जीवन चक्र 7 से 21 दिनों में पूरा होता है, और यह उच्च तापमान (25–30°C) व 80% से अधिक आर्द्रता में तेजी से बढ़ता है ।
धान की फसल में पैनिकल माइट के प्रमुख लक्षण:
- झंडी पत्ती की शीथ पर भूरे रंग की धारियाँ
- लाल-भूरे घाव
- बालियों का ठीक से न निकलना ("पीपिंग पैनिकल्स")
- भूसे जैसे या पोचा दाना (बंजर पैनिकल्स)
- मरोड़े हुए, विकृत पैनिकल्स
फैलाए गए रोगजनक:
- फफूंद: Fusarium moniliforme, Sarocladium oryzae (शीथ रॉट)
- बैक्टीरिया: Pseudomonas fuscovaginae (बैक्टीरियल शीथ रॉट)
रोगजनक के लक्षण:
- शीथ रॉट को फैलाव, से सड़न की गंध आती है यह पैनिकल के निकलने को धीमा कर या रोककर, बदरा (खाली) और पोचा दाना (बंजर पैनिकल्स) बनाकर धान की उपज को कम करता है।
- शीथ पर गहरे भूरे घाव |
- Fusarium संक्रमण के कारण दानों पर फफूंद का विकास
प्रबंधन रणनीतियाँ (Integrated Pest Management)
सस्य विज्ञान विधियाँ:
- फसल कटाई के बाद खेत की जुताई करके फसल अवशेषों, ठूंठों और खरपतवारों को हटाकर माइट के आवास को समाप्त करें।
- प्रमाणित, माइट-मुक्त बीज या पौधों का उपयोग करें; पुनः उगाई गई फसलों (रेटून) से बचें।
- फसल चक्रीकरण: माइट के जीवन चक्र को बाधित करने के लिए गैर-पोषक फसलों (जैसे दलहनी फसलें) के साथ बदलें।
- सिंचाई प्रबंधन: खेतों में उचित जल स्तर बनाए रखें; सुखे की स्थिति माइट के प्रकोप को बढाती है।
- समय पर कटाई: समय पर फसल की कटाई करें ताकि देर से होने वाले माइट के नुकसान से बचा जा सके।
भौतिक नियंत्रण विधियाँ:
- गर्म पानी से बीज उपचार: बीजों को 50–55°C तापमान के गर्म पानी में 10–15 मिनट तक भिगोने से माइट के अंडे या लार्वा नष्ट होते हैं, जिससे प्रारंभिक संक्रमण कम होता है।
- संक्रमित पौधों को हटाना: प्रारंभिक अवस्था में संक्रमित पौधों की पहचान कर उन्हें हटाना ।
- फसल अवशेषों को जलाना: कटाई के बाद फसल अवशेषों और ठूंठों को जलाने से माइट के अंडे और लार्वा नष्ट होते हैं।
- खेतों में बाढ़ डालना: बुवाई से पहले या फसल चक्र के बीच खेतों में लंबे समय तक पानी भरने से मिट्टी और पौधों के अवशेषों में माइट का जीवन चक्र बाधित होता है।
- नर्सरी में ऊष्मा उपकार (सोलराइजेशन): नर्सरी बेड्स को पारदर्शी प्लास्टिक शीट से ढककर सूर्य की गर्मी से मिट्टी का तापमान बढ़ाया जाता है, जिससे माइट और अन्य मिट्टी जनित व्याधियों का नाश होता है।
जैविक नियंत्रण विधियाँ:
- शिकारी माइट्स: Amblyseius spp., Neoseiulus barkeri, और Phytoseiulus persimilis जैसे शिकारी माइट्स पैनिकल माइट्स के अंडों, लार्वा और वयस्कों को खाकर उनकी संख्या कम करते हैं।
- शिकारी भृंग: Stethorus punctillum और Coccinella septempunctata (लेडीबर्ड बीटल) जैसे भृंग माइट्स के अंडों और लार्वा को खाकर उनकी आबादी को नियंत्रित करते हैं।
- एंटोमोपैथोजेनिक फंगस: Beauveria bassiana और Metarhizium anisopliae जैसे फंगस माइट्स को संक्रमित करके मारते हैं, जिससे उनकी संख्या में कमी आती है।
- एंटोमोपैथोजेनिक नेमाटोड्स: Steinernema carpocapsae और Heterorhabditis bacteriophora जैसे नेमाटोड्स माइट्स के मिट्टी में रहने वाले चरणों को परजीवी बनाकर मारते हैं।
- शिकारी थ्रिप्स: Scolothrips sexmaculatus जैसे थ्रिप्स माइट्स को खाकर उनकी संख्या को नियंत्रित करते हैं।
- वनस्पति आधारित रिपेलेंट्स: नीम. सिट्रोनेला और नीलगिरी तेल, लहसुन, मिर्च का अर्क जैसे प्राकृतिक रिपेलेंट्स माइट्स की गतिविधि और भोजन को हतोत्साहित करते हैं।
- रासायनिक नियंत्रण विधियाँ: प्रभावी एकारिसाइड का उपयोग करें।
व्याधिनाशक (फॉर्मूलेशन) |
अनुशंसित खुराक (प्रति लीटर पानी) |
क्लॉरफेनपायर 10 SC |
1.00 मि.ली. /प्रति लीटर पानी |
बुप्रोफेजिन 25 EC |
1.20 मि.ली. / प्रति लीटर पानी |
डाइफेंथियुरोन 50 WP |
1.10 ग्राम. / प्रति लीटर पानी |
फेनजाक्विन 10 EC |
1.00 मि.ली. / प्रति लीटर पानी |
फेनपायरोक्सीमेट 5 EC |
0.50 मि.ली. / प्रति लीटर पानी |
प्रोपरगाइट 57 EC |
1.00 मि.ली. / प्रति लीटर पानी |
प्रोफेनोफोस 50 EC |
1.50 मि.ली. / प्रति लीटर पानी |
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