डॉ. तरुण कुर्रे एवं डॉ. आकांक्षा पाण्डेय
(सहायक प्राध्यापक)
कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र कोरबा (छ.ग.)

आज खाद्यानों की कमी के कारणों का विशलेषण करें तो हमें पता चलेगा कि देश में प्रतिवर्ष 1980 करोड़ रूपये की क्षति खरपतवारों द्वारा होती है। कुल कृषि उत्पादों की वार्षिक क्षति में 45 प्रतिशत खरपतवार द्वारा, 30 प्रतिशत कीटों द्वारा, 20 प्रतिशत बीमारियों तथा 5 अन्य रूप से क्षति होती है खरपतवार हमारी भूमि से पानी को भी अवशोषित कर लेते हैं, जिसका जहाँ 5 सिंचाई की आवश्यकता होती है वहां किसान को ज्यादा पानी देना पड़ता है, इसलिए समय पर खरपतवार नियंत्रण अत्यंत आवश्यक है। खरीफ फसलों का भारतीय कृषि व् देश की अर्थव्यवस्था को सुदृढ़ बनाये रखने में बहुत ही महत्वपूर्ण योगदान रहा है। खरीफ फसलों की उत्पादकता 1458 कि.ग्रा./हे. है जो कि देश की रबी फसलों की उत्पादकता (2005 कि.ग्रा./हे.) से काफी पीछे है। खरीफ फसलों में महत्वपूर्ण फसलें धान, मक्का, मूंगफली, तिल, अरहर तथा सोयाबीन इत्यादि है। इन फसलों में धान मुख्य खाद्य फसल है जो कि पूरे देश में उगाई जाती है और विश्व भर में इसकी अग्रणी खपत है। खरीफ मौसम में उगाई जाने वाली फसलों में उत्पादकता में कमी के अनेक कारण है। इस मौसम में सिंचाई की कमी तथा कभी पानी की अधिकता का फसलों पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसके अलावा मौसम अधिक शुष्कता तथा तापमान में लगातार उतार-चढ़ाव खरपतवारों, कीड़ों तथा बीमारियों को न्यौता देता है। जिसके कारण फसलों को सुरक्षित रखना किसान के लिए बहुत बड़ी जिम्मेदारी हो जाती है। 

खरपतवारों से हानियाँ : यह सत्य है कि खरपतवारों की उपस्थिति फसल की उपज को कम करने में सहायक है। किसान जो अपनी पूर्ण शक्ति व साधन फसल की अधिकतम उपज प्राप्त करने के लिए लगाता है। ये अनैच्छिक पौधे इस उद्देश्य को पूरा नहीं होने देते। खरपतवार फसल के पोषक तत्व, नमी, प्रकाश, स्थान आदि के लिए प्रतिस्पर्धा करके फसल की वृद्धि, उपज एवं गुणों में कमी कर देते है। खरपतवारों से हुई हानि किसी अन्य कारणों से जैसे कीड़े, मकोड़े, रोग, व्याधि आदि से हुई हानि की अपेक्षा अधिक होती है | विभिन्न व्याधियों द्वारा कृषि में प्रतिवर्ष होने वाले नुकसान का ब्यौरा दिया गया है। आमतौर पर विभिन्न फसलों की पैदावार में खरपतवारों द्वारा 10 से 85 प्रतिशत तक की कमी आंकी गई है। लेकिन कभी-कभी यह कमी शत-प्रतिशत तक हो जाती है। खरपतवार फसलों के लिए भूमि में निहित पोषक तत्व एवं जमीन का एक बड़ा हिस्सा शोषित कर लेते हैं तथा साथ ही साथ फसल को आवश्यक प्रकाश एवं स्थान से भी वंचित रखते है। फलस्वरूप पौधे की विकास गति धीमी पड़ जाती है एवं उत्पादन स्तर गिर जाता है। खरपतवारों द्वारा पोषक तत्वों का पलायन एवं पैदावार में कमी का विवरण क्रमश: (सारणी 2 एवं 3) में दिया गया है।

खरीफ फसलों के प्रमुख खरपतवार – खरीफ की फसल में उगने वाले खरपतवारों को मुख्यतः तीन श्रेणीयों, चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार, सकरी पत्ती वाले खरपतवार एवं मोथा कुल के खरपतवारों में बांटा जा सकता है।

चौड़ी पत्ती वाले खरपतवार – इस प्रकार के खरपतवारों की पत्तियां प्रायः चौड़ी होती है तथा यह मुख्यतः दो बीज पत्रीय पौधे होते हैं जैसे हजारदाना, सफेद मुर्ग, बन मकोय, महकुआ, पत्थर चटटा,एक्लिप्टा अल्बा , कनकता, अल्टरनेन्थरा, छोटी दूधि व बड़ी दुधी प्रमुख है।

सकरी पत्ती वाले खरपतवार – इस कुल के खरपतवारों की पत्तियां पतली एवं लम्बी होती है व यह मुख्यतः एक बीज पत्री होते हैं जैसे सावों, कोदो, दूब धारा, दैनेब्र इत्यादि।

सारणी 1. विभिन्न फसलों में फसल-खरपतवार प्रतिस्पर्धा का क्रांतिक समय एवं खरपतवारों द्वारा पैदावार में कमी


फसल

खरपतवार प्रतिस्पर्धा का क्रांतिक समय

(बुवाई के बाद दिन)

उपज में कमी

(प्रतिशत)

(क)

खाद्यान्न फसलें

 

धान (सीधी बुवाई)

15-45

47-86

 

धान (रोपाई)

20-40

15-38

 

मक्का

30-45

40-60

 

ज्वार

30-45

06-40

 

बाजरा

30-45

15-56

(ख)

दलहनी फसलें

 

 

 

अरहर

15-60

20-40

 

मूंग

15-30

30-50

 

उरद

15-30

30-50

 

लोबिया

15-30

30-50

(ग)

तिलहनी फसलें

 

 

 

सोयाबीन

15-45

40-60

 

मूंगफली

40-60

40-50

 

सूरजमुखी

30-45

33-50

 

अरण्डी

30-60

30-50

 

कुसुम

15-45

35-60

 

तिल

15-45

17-41

(घ)

अन्य फसलें

 

 

 

गन्ना

15-60

20-30

 

कपास

15-60

40-50


भिन्डी

15-30

40-50


  • खरपतवारों की रोकथाम: खरपतवार की रोकथाम में ध्यान देने योग्य बात यह है कि खरपतवारों का नियंत्रण सही समय पर करें। खरपतवारों की रोकथाम निम्नलिखित तरीकों से की जाती है।
  • निवारण विधि : इस विधि में वे सभी क्रियाएँ शामिल है जिनके द्वारा खेतों में खरपतवारों के प्रवेश को रोका जा सकता है, जैसे प्रमाणित बीजों का प्रयोग, अच्छी सड़ी गोबर एवं कम्पोस्ट खाद का प्रयोग, सिंचाई की नालियों की सफाई, खेत की तयारी एवं बुवाई के प्रयोग में किये जाने वाले यंत्रों का प्रयोग से पूर्व अच्छी तरह से साफ़-सफाई इत्यादि।
  • यांत्रिक विधि : खरपतवारों पर काबू पाने की यह एक सरल एवं प्रभावी विधि है। फसल की प्रारंभिक अवस्था में बुवाई के 15 से 45 दिन के मध्य फसलों को खरपतवारों से मुक्त रखना जरूरी है। सामान्यत: दो निराई-गुड़ाई, पहली 20-25 व दूसरी 45 दिन बाद करने से खरपतवारों का नियंत्रण प्रभावी ढंग से होता है।
  • मृदा सौरीकरण : इस तकनीक के अंतर्गत विभिन्न मोटाई की पारदर्शी पोलिथाईलिन शीट (50-100 मिलीमाईक्रोन) को समतल नमीयुक्त मिट्टी की ऊपरी सतह पर फसल की बोवाई के पहले मई के महीने में 4-6 सप्ताह तक फैलाकर मिट्टी की ऊपरी सतह का तापमान बाह्य तापमान की तुलना में 8-12 0से. ज्यादा किया जाता है। इससे मिट्टी की ऊपरी सतह में जमा खरपतवारों की बीजों के अंकुरण होने की शक्ति कम या निष्क्रिय हो जाती है। इसके आलावा कुछ हानिकारक कीड़े, सूत्रकृमि अन्य नाशक भी नष्ट हो जाते हैं। यह तकनीक पौधशाला में पौध तैयार करते समय खरपतवारों को नियंत्रित करने में बहुत ही प्रभावशाली है।
  • जीरो टिलेज तकनीक: इस तकनीक में खेत में केवल बोवाई के लिए ही विशेष मशीन (जीरो टिलेज मशीन) द्वारा खाद तथा बीज को डाला जाता है। उससे पहले खेत में कोई क्रिया नहीं की जाती है। यह तकनीक गेहूँ की फसल में प्रयोग की जाती है। तकनीक से किसानों को लगभग 2500 रूपये प्रति हेक्टेयर कम लागत आई है और इससे गुल्ली डंडा नामक खरपतवार की संख्या कम होती है|
  • रासायनिक विधि: खरपतवारनाशी रसायन द्वारा भी खरपतवारों को सफलता पूर्वक नियंत्रित किया जा सकता है। इससे प्रति हेक्टेयर लागत कम आती है तथा समय की भी बचत होती है। लेकिन इन रसायनों का प्रयोग करते समय सावधानी बरतनी पड़ती है। खरपतवार नियंत्रण में खरपतवारनाशी रसायनों के उपयोग में एक और विशेष लाभ है। हाथ निंदाई या डोरा चलाकर निंदाई, फसल की कुछ बाढ़ हो जाने पर की जाती है, और इन शस्य क्रियाओं में नीदा जड़ मूल से समाप्त होने के बजाय, उपर से टूट जाते हैं, जो बाद में फिर बाढ़ पकड़ लेते हैं। खरपतवारनाशी रसायनों में यह स्थिति नहीं बनती क्योंकि यह फसल बोने के पूर्व या बुवाई के बाद उपयोग किये जाते हैं। जिससे खरपतवार अंकुरण अवस्था में ही समाप्त हो जाते हैं अथवा बाद में नीदा रसायन के प्रभाव से पूर्णतया नष्ट हो जाते हैं। खरपतवारनाशी रसायनों का विस्तृत विवरण (सारणी 4) में दिया गया है।

फसल

खरपतवारनाशी

मात्रा

(ग्राम/हें.) 

व्यापारिक मात्रा

(ग्राम/हें.)

 

प्रयोग का समय

 

खरपतवारों के प्रकार

 

रसायनिक नाम

व्यवसायिक नाम

धान

 

 

 

 

 

 

 

पेंडीमेथिलिन + पाइराजोसल्फयूरॉन  @39.5 5 %

920

2343.95 ग्रा./  (ग्राम/हें.)

बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी, सेजेस एवं चौड़ी पत्ती

पेंडीमेथिलिन 30 %(ई.सी.)

स्टाम्प, पेंडीगोल्ड, पेंडीलीन, धानुटांप, पेनिडा, पेंडीहबे

1000-1250

3000-4500

बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

बिसपैरिबैक सोडियम

नॉमिनी गोल्ड

25

250

बुवाई से 20-25 दिन बाद

संकरी, सेजेस एवं चौड़ी पत्ती

प्रेटिलाक्लोर

सोफिट, रिफिट

750-1000

1500

बुवाई के 3-7 दिन के अंदर

संकरी

2, 4-डी

2,4-डी, एग्रोडान-48, काम्बी, इर्विटाक्स, टेफासाइड, वीडमार

750-1000

2000-3000

20-25 किग्रा. (4% दानेदार)

रोपाई के 20-25 दिन बाद

चौड़ी पत्ती

क्लोरीम्यूरॉन +मेट्सल्फूरॉन

आलमिक्स

4

20 (कंपनी मिश्रण)

रोपाई के 15-20 दिन बाद

संकरी, सेजेस एवं चौड़ी पत्ती

फिनाक्साप्राप इथाईल

व्हिप सुपर

70

700-750

रोपाई के 25-30 दिन बाद

संकरी

पाइराजोसल्फयूरॉन

साथी

25

200

रोपाई के 15 दिन बाद

सेजेस एवं चौड़ी पत्ती

बिसपैरिबैक सोडियम + पाइराजोसल्फयूरॉन

35

100

संकरी, सेजेस एवं चौड़ी पत्ती

मक्का,

एट्राजीन

एट्राटाफ, धानुजीन, सोलारो

1000

2000

बुवाई के 20-25 दिन बाद

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

 

 

 

 

2,4-डी 58 %

2, 4-डी, एग्रोडान-48, काम्बी, इर्विटाक्स, टेफासाइड, वीडमार

500

 862.07

बुवाई के 15-20 दिन बाद

चौड़ी पत्ती

हैलोसुल्फुरोन एथिल

67.5

90

बुवाई के 20-25 दिन बाद

सेजेस

टेम्बोट्रिओन 34.4 %

लॉडिस 

120

348.84

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

टॉपरामिज़ॉन 33.6 % (ई.सी.)

टिंजर

25.2

75

 बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

ज्वार, बाजरा

2,4-डी 58 %

2, 4-डी, एग्रोडान-48, काम्बी, इर्विटाक्स, टेफासाइड, वीडमार

500

1317

बुवाई के 30-35 दिन बाद

चौड़ी पत्ती

दलहनी फसलें (अरहर, उरद एवं मूंग)

 अरहर, उरद एवं मूंग

 

पेंडीमेथालीन 38.7 % (ऐस. सी.)

स्टाम्प, पेंडीगोल्ड, पेंडीलीन, धानुटाप, पेनिडा, पेंडीहर्ब

250

645.99

बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

क्यूजालोफॉप इथाईल (5%ई.सी.)

टरगा सुपर

40-50

800-1000

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी पत्ती

इमेजेथापायर 10 %

(ई.सी.)

परस्यूट

100

1000

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

तिलहनी फसलें

कपास

डायूरान

एग्रोमेक्स, कारमेक्स, क्लास, टू

750-1000

900-1150

बुवाई के 0-5 दिन के अंदर

चौड़ी पत्ती

फिनाक्साप्राप 9.3 %

व्हिप सुपर

67.5

725.80

बुवाई से 20-25 दिन बाद

संकरी पत्ती

क्यूजालोफॉप इथाईल (5ई.सी.)

टरगा सुपर

40-50

800-1000

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी पत्ती

पाइरीथ्रोबाक सोडियम + पेंडीमेथलीन 37.1 %

742

2000

बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

पेंडीमेथिलिन 30 % (ई.सी.)

स्टाम्प, पेंडीगोल्ड, पेंडीलीन, धानुटांप, पेनिडा, पेंडीहबे

1000-1250

3000-4500

बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

ग्लूफोसिनेट  अमोनियम 13.5 %

450

3333

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

 सोयाबीन

 

 

 

 

 

क्लोरीम्यूरॉन 4%

क्लोबेन

8-12

40-60

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

फिनाक्साप्राप 9.3 %

व्हिप सुपर

80-100

800-1000

बुवाई से 20-25 दिन बाद

संकरी पत्ती

इमेजेथापायर 10 % (ऐस. ऐल.)

परस्यूट

100

1000

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

मेटलाक्लोर (50 % ई.सी.)

डुअल

1000-1500

2000-3000

बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

पेंडीमेथिलीन 30 % (ई.सी.) 

स्टाम्प, पेंडीगोल्ड, पेंडीलीन, धानुटाप, पेनिडा, पेंडीहर्ब

1000-1250

3330-4160

बुवाई से पहले या बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

क्यूजालोफॉप इथाईल ¼5% (ई.सी.)

टरगा सुपर

40-50

800-1000

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी पत्ती

मेट्रिब्यूजिन 70 % (डब्लू.पी) 

350

500

बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

ऑक्साडाईजोन 25% (ई.सी.)

रोनस्टर

500

2000

बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

सोडियम ऐसीफ्लूरोफेन + क्लॉडिनोफॉप प्रोपार्जिल @ 22.5 %

245

1088.89

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी एवं सेजेस

मूंगफली

पेंडीमेथिलीन 30 % (ई.सी.)

स्टाम्प, पेंडीगोल्ड, पेंडीलीन, धानुटाप, पेनिडा, पेंडीहर्ब

1000-1250

3330-4160

बुवाई से पहले या बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

क्यूजालोफॉप इथाईल (5% ई.सी.)

टरगा सुपर

40-50

800-1000

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी पत्ती

इमेजेथापायर + इमेजामॉक्स 70 %

ओडिसी 

70

100

बुवाई के 15-20 दिन बाद

संकरी एवं चौड़ी पत्ती

फिनाक्साप्राप 9.3 %

व्हिप सुपर

80-100

800-1000

बुवाई से 20-25 दिन बाद

संकरी पत्ती

ऑक्साडाईजोन 25% (ई.सी.)

रोनस्टर

750

3000

बुवाई के 3 दिन के अंदर

संकरी एवं चौड़ी पत्ती


सारणी 3. खरीफ एवं रबी के सब्जियों में प्रमुख खरपतवारनाशी रसायन

सब्जियां

शाकनाशी दवा

सक्रियतत्व मात्रा (ग्रा. अथवा मिली/हे.)

व्यापारी मात्रा (ग्रा./हे.)

प्रयोग का समय

खरपतवारों के प्रकार

भिण्डी

पेंडीमेथालिन (30% ई.सी.)500-10001500-3000बुवाई के तुरंत बाद (0-3) दिनसंकरी एवं चौडी पत्ती

 

फलूजीफाॅपब्यूटिल (13.4% ई.सी)

2501800-1850बुवाई के 20-25 दिन बादमुख्य रूप संकरी पत्ती वाले खरपतवार

 

क्सीफ्लोरफेन (23.5% ई.सी.)

150425-640बुवाई के तुरंत बाद (0-3) दिनसंकरी एवं चौडी पत्ती (केवल मटर)

 

मेटोलाक्लोर (50% ई.सी.)

750 1500बुवाई के तुरंत बाद (0-3) दिन संकरी एवं चौडी पत्ती

धनिया

पेंडीमेथालिन (30% ई.सी.)1000-15003333-5000बुवाई के तुरंत बाद (0-8) दिनसंकरी एवं चौडी पत्ती

 

क्विजालोफाॅप इथाईल (5% ई.सी.)

40-50800-1000बुवाई के 20-25 दिन बादसंकरी सकरी

प्याज एवं लहसुन

पेंडीमेथालिन (30% ई.सी.)1000-15003333-5000राईजोम लगने के  तुरंत बाद (0-8) दिनसंकरी एवं चौडी पत्ती

 

क्विजालोफाॅप इथाईल (5% ई.सी.)

40-50800-1000राईजोम लगने के 20-25 दिन बादसंकरी

 

क्साडाइजोन (25% ई.सी.)

5002000राईजोम लगने  के तुरंत बाद (0-3) दिनसंकरी एवं चौडी सकरी

 

हैलाॅक्सीफाॅपयूटिल (13.4% ई.सी)

100राईजोम लगने के बाद (10-15) दिनसंकरी एवं सेज

टालु

ब्यूटाक्लोर (5% ई.सी.)750-10001500-2000कंद लगने के 0 से 4 दिन बादसंकरी एवं चौडी पत्ती

 

पेंडीमेथालिन (30% ई.सी.)

1000&1500

3333&5000

कंद लगने के  तुरंत बाद (0-8) दिन

संकरी एवं चौडी पत्ती

 

मेट्रीव्यूजिन (70% डब्ल्यू.पी.)

525

750

कंद लगने के 0 से 3 दिन या 15 से 20 दिन बाद

चौडी पत्ती एवं सेजेस

टमाटर

पेंडीमेथालिन (30% ई.सी.)

1000&1500

3333&5000

पौधा लगने के  तुरंत बाद (0-8) दिन

संकरी एवं चौडी पत्ती

 

मेट्रीव्यूजिन (70% डब्ल्यू.पी.)

525

750

पौधा लगने से पहले अथवा सुरक्षा करते हुए स्प्रे

सकरी एवं कुछ चौड़ी पत्ती

 

क्विजालोफाॅप इथाईल (5% ई.सी.)

40&50

800&1000

पौधा लगने के 20-25 दिन बाद

संकरी पत्ती

फूलगोभी एवं पत्ता गोभी

पेंडीमेथालिन (30% ई.सी.)

1000&1500

3333&5000

रोपा के  तुरंत बाद (0-3) दिन

संकरी एवं चौडी पत्ती

 

क्सीफ्लोरफेन (23.5% ई.सी.)

200&300

850&1277

रोपा के पहले

संकरी एवं चौडी पत्ती

मिर्च,बैगन एवं मेथी

पेंडीमेथालिन (30% ई.सी.)

1000&1500

3333&5000

पौधा लगने के  तुरंत बाद (0-8) दिन

संकरी एवं चौडी पत्ती

 

क्विजालोफाॅप इथाईल (5% ई.सी.)

40&50

800&1000

पौधा लगने के 20-25 दिन बाद

संकरी पत्ती

 

क्साडाइजोन (25% ई.सी.)

500

2000

पौधा लगने के 20-25 दिन बाद

संकरी एवं चौडी पत्ती

कुकुरबिट्स (परवल, कुदरू, करेला, ककड़ी, कद्दू, तरोई, डोढका एवं लौकी)

क्सीफ्लोरफेन (23.5% ई.सी.)

200&300

850&1277

बीज या पौधा लगने के 0-5 दिन बाद

संकरी एवं कुछ चौडी पत्ती (पौधे या बीज के सीधे सम्पर्क में ना डाले)

 

मेट्रीव्यूजिन (70% डब्ल्यू.पी.)

525

750

बीज या पौधा लगने के 0-5 दिन बाद

सकरी एवं कुछ चौड़ी पत्ती




शाकनाशियों के इस्तेमाल से पहले उनके अनुप्रयोग के दौरान तथा अनुप्रयोग के बाद में अपनाई जानी वाली सावधनियां
  • चिन्हित क्षेत्र में शाकनाशियों पर एक समान छिडकाव करने के लिए स्प्रेयर का व्यास सावधानी से नापें।
  • मात्रा क्षेत्र तथा विभिन्न संरूपणों (फार्मुलेशन) में उपलब्ध सक्रिय संघटकोण के आधार पर खरपतवारनाशियों का आकलन करके एक निशिचत तौल बना लें।
  • खेत में स्प्रे करने के लगभग आधा घंटे से पहले तुले हुए शाकनाशियों को पानी में अच्छी तरह मिला लें।
  • शाकनाशियों के स्प्रे के लिए फ्लैट फेन नोजल का इस्तेमाल करें।
  • गैर चयनित शाकनाशियों के इस्तेमाल करते समय स्प्रेयर के नोजल पर सुरक्षात्मक शील्ड लगाकर ही पौधों पर छिडकाव करें।
  • खरपतवारनाशी का छिडकाव बराबर मात्रा में करें, कहीं कम या ज्यादा न हो।
  • रसायनों का प्रयोग अदल-बदल कर करें।
  • खरपतवारनाशी रसायनों को बच्चों की पहुँच से दूर रखें।
  • तेज हवाओं के चलने पर छिडकाव न करें क्योंकि शाकनाशी हवाओं के साथ उड़कर समीप की अन्य संवेदी फसलों को नुकसान पहुंचा सकते हैं।
  • वर्षा की संभावना होने पर शाकनाशियों का छिडकाव न करें।
  • मिश्रित फसलों में रसायनों का चयन फसलों के मुताबिक ही करें।
  • खरपतवारनाशी का इस्तेमाल रेत, खाद व मिट्टी में मिलाकर न करें।
  • हवाओं के प्रतिकूल रुख की ओर कभी भी छिडकाव न करें।
  • शाकनाशियों का इस्तेमाल करते समय रक्षात्मक वस्त्र (बूट, दस्ताने, धूप का चश्मा, मास्क आदि) इस्तेमाल करें।
  • छिडकाव पूरा हो जाने के बाद खाली डिब्बे को या तो जमीन में दवा दें या जला दें।
  • छिडकाव करने के बाद अपने हाथ तथा अन्य अंगों को साबुन से अच्छी तरह से धो दें।