किरण नेताम, पादप रोग विज्ञान विभाग,
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविधालय,रायपुर ( छ.ग.)
डॉ. सुबुही निषाद, कार्यक्रम अधिकारी (एनएसएस गर्ल्स यूनिट), 
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविधालय,रायपुर ( छ.ग.)


परिचय:- वर्तमान समय में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों के अत्यधिक प्रयोग ने न केवल मिट्टी की उर्वरता को घटाया है, बल्कि पर्यावरण एवं मानव स्वास्थ्य को भी खतरे में डाला है। ऐसे में स्थायी कृषि की अवधारणा एक ज़रूरी कदम बन गई है। जैविक उपायों का प्रयोग, जैसे कि स्युडोमोनास फ़्लोरोसेंस, किसानों को एक टिकाऊ और पर्यावरण-अनुकूल खेती की दिशा में मार्गदर्शन कर सकता है। स्युडोमोनास फ़्लोरोसेंस एक लाभकारी सूक्ष्मजीव (बैक्टीरिया) है, जो पौधों की जड़ों के पास रहकर उन्हें अनेक बीमारियों से बचाने में सहायक होता है। यह मृदा की गुणवत्ता को बनाए रखने में भी सहायक होता है तथा पौधों की वृद्धि को बढ़ाता है। इस परियोजना के अंतर्गत ग्राम स्तर पर किसानों को कि स्युडोमोनास फ़्लोरोसेंस के प्रयोग, लाभ तथा उपयोग विधियों के प्रति जागरूक किया गया। खेतों में इसका प्रदर्शन कर किसानों को प्रत्यक्ष अनुभव दिया गया जिससे वे इसकी उपयोगिता को समझ सकें और अपनी खेती में इसे अपनाने के लिए प्रेरित हों। राष्ट्रीय सेवा योजना के स्वयंसेवकों द्वारा इस कार्यक्रम को सफलतापूर्वक कार्यान्वित किया गया, जिससे न केवल किसानों को लाभ हुआ, बल्कि स्वयंसेवकों को भी कृषि विज्ञान से जुड़ने और ग्रामीण क्षेत्र में सेवा का अवसर प्राप्त हुआ।

जैविक क्रिया का विवरण
  • एंटीबायोसिस- रोगजनक सूक्ष्मजीवों को मारने के लिए एंटीबायोटिक यौगिक उत्पन्न करता है
  • साइडरोफोर उत्पादन- आयरन को बाँधकर रोगजनकों की वृद्धि को रोकता है
  • फॉस्फेट घुलनशीलता- पौधों को अधिक पोषण देने हेतु फॉस्फेट घुलनशील बनाता है
  • प्रेरित प्रणालीगत प्रतिरोध- पौधे की अंदरूनी प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता है
  • एंजाइम उत्पादन- कोशिका भित्ति अपघटन एंजाइम रोगजनकों की कोशिका भित्ति तोड़ते हैं

स्युडोमोनास फ्लोरेसेंस के अनुप्रयोग विधियाँ

बीजोपचार - 1 किग्रा बीज के लिए 10 ग्राम स्युडोमोनास फ़्लोरोसेंस को पानी में घोलकर बीजों पर बीज बोने से पहले लगाया जाता है ताकि अंकुरण को प्रोत्साहन मिले, पौधों की प्रारंभिक वृद्धि हो और मिट्टी जनित रोगों से सुरक्षा मिल सके। बैक्टीरिया को बीज उपचार घोल के साथ मिलाकर बीजों पर कोटिंग या भिगोने की विधि से लगाया जाता है।

मृदा उपचार- प्रति एकड़ 2.5 – 5 किग्रा जैविक खाद के साथ मिलाकर खेत में बिखेरें और सीधे मिट्टी में या सिंचाई प्रणाली के माध्यम से डाला जा सकता है ताकि यह पौधों की जड़ों के चारों ओर (राइजोस्फीयर) लाभकारी बैक्टीरिया की संख्या को बढ़ा सके। इसे तरल सस्पेंशन या दानेदार रूप में खाद या मिट्टी की सतह पर मिलाकर उपयोग किया जाता है।

फसल पत्तियों पर छिड़काव- 5 ग्राम प्रति लीटर पानी की दर से फसल कि पत्तियों और तनों पर15 दिन के अंतराल पर छिड़काव किया जा सकता है, । पत्तियों और तनों पर जिससे पौधों की वृद्धि में वृद्धि होती है और पत्तियों से संबंधित रोगों से सुरक्षा मिलती है। इसे स्प्रे घोल के रूप में उपयोग किया जाता है।

रूट ड्रेंचिंग-5 ग्राम प्रति लीटर पानी में स्युडोमोनास फ़्लोरोसेंस के तरल सस्पेंशन को मिला कर सीधे पौधे की जड़ों के पास मिट्टी में डाला जाता है। यह बैक्टीरिया को जड़ों के आसपास लाभकारी आबादी बनाने और मिट्टी जनित रोगों से रक्षा करने में सहायक बनाता है।

कमपोस्ट खाद में मिलाकर- 10 किग्रा जैविक खाद में 1 किग्रा स्युडोमोनास फ़्लोरोसेंस मिलाकर 3 दिन रखें बागवानी व खेतों में प्रयोग किया जा सकता है। यह बैक्टीरिया कार्बनिक पदार्थों को तोड़ने और पौधों के लिए पोषक तत्वों को मुक्त करने में मदद करता है।

किसानों को लाभ

1. रोग नियंत्रण: रोगों से सुरक्षा: यह मिट्टी में मौजूद हानिकारक रोगजनकों (जैसे फ्यूजेरियम, पिथियम, राइजोक्टोनिया) को दबाता है।फफूंद और बैक्टीरियल रोगों से पौधों की प्राकृतिक रूप से रक्षा करता है।

2. सायनिक दवाओं पर निर्भरता कम: पेस्टिसाइड्स और फफूंदनाशकों की मात्रा कम करनी पड़ती है।इससे उत्पादन लागत घटती है और पर्यावरण को नुकसान नहीं होता।

3. पौधों की वृद्धि में वृद्धि: यह जीवाणु पौधों को आवश्यक पोषक तत्वों जैसे फॉस्फोरस और आयरन उपलब्ध कराता है।पौधों की जड़ें मजबूत होती हैं, जिससे उनकी वृद्धि तेजी से होती है।

4. उत्पादन में वृद्धि : बीमारियों की रोकथाम और बेहतर पोषण के कारण फसल की पैदावार में सुधार होता है। फसल की गुणवत्ता भी अच्छी होती है, जिससे बाज़ार में अधिक दाम मिल सकते हैं।

जैव नियंत्रण कारकों के लिए जरूरी विशेषताएँ
  • एजेंट को लक्ष्य कीट या रोगजनक पर ही प्रभावी होना । चाहिए प्राकृतिक परिस्थितियों में खुद को बनाए रखने ।
  • पुनः उत्पन्न करने और अनुकूलित होने की क्षमता होनी चाहिए।
  • बायोकंट्रोल एजेंट को प्रयोगशालाया उधोगस्तर पर बड़ी मात्रा में सस्ते में उत्पादित और संग्रहित किया जा सके।
  • सस्ती होनी चाहिए।
  • बायोकंट्रोल एजेंट को मनुष्यों, पशुओं और अन्य गैर-लक्ष्य जीवों के लिए विषैला नहीं होना चाहिए।

जैव नियंत्रक इस्तेमाल के समय की सतर्कता संबंधी बातें
  • सही जैव नियंत्रक का चयन करें।
  • केवल प्रमाणित स्रोत से एजेंट खरीदें।
  • निर्देशानुसार मात्रा और विधि अपनाएं।
  • सेल्फ लाइफ समाप्ति तिथि से पहले प्रयोग करें।
  • स्थानीय कृषि विशेषज्ञों की सलाह लें।
  • केवल लक्ष्य कीट या रोग पर असर करने वाला एजेंट चुनें।

चित्र:- स्युडोमोनास जैव उत्पाद



फसलों में उपयोग

क्र.

फसल

रोग

छिड़काव का समय

1

धान

   शीथ ब्लाइट, झुलसा

बीजोपचार + छिड़काव

2

गेहूं

जड़ सड़न

बुवाई से पहले बीजोपचार

3

टमाटर

विल्ट, झुलसा)

मृदा उपचार + पत्तियों पर छिड़काव

4

मिर्च

बीज-अंकुर सड़न

पौधशाला में मृदा उपचार

5.

मूंगफली

जड़ गलन

 बीजोपचार