डॉ.अपर्णा शर्मा, डेयरी प्रौद्योगिकी विभाग,
कॉलेज ऑफ डेयरी साइंस एंड फूड टेक्नोलॉजी, रायपुर
डॉ. अश्विनी मुगले ,डेयरी प्रौद्योगिकी विभाग,
पारुल प्रौद्योगिकी संस्थान, पारुल विश्वविद्यालय, वडोदरा
1. परिचय
भारत दुनिया का सबसे बड़ा दूध उत्पादक देश है। ग्रामीण क्षेत्रों में लाखों छोटे किसान दूध उत्पादन में लगे हैं। लेकिन, इस विशाल उत्पादन के बावजूद दूध की गुणवत्ता और समय पर संग्रहण एक बड़ी चुनौती बनी हुई है। यही कारण है कि आज इंटरनेट ऑफ थिंग्स (IoT) जैसी आधुनिक तकनीकों की भूमिका बेहद महत्वपूर्ण हो गई है। आईओटी (IoT) एक ऐसी तकनीक है जिसमें विभिन्न उपकरण इंटरनेट से जुड़े रहते हैं और डेटा साझा करते हैं। जब इसे दूध संग्रहण और कोल्ड चेन में लागू किया जाता है, तो यह न केवल गुणवत्ता की निगरानी करता है, बल्कि पूरे सप्लाई चेन को पारदर्शी और कुशल बनाता है। इन्हीं समस्याओं के समाधान के लिए आईओटी (Internet of Things) जैसी स्मार्ट तकनीकों का उपयोग अब तेजी से बढ़ रहा है। आईओटी आधारित ट्रैकिंग दूध उत्पादन, संग्रहण, और वितरण की पूरी प्रणाली को डिजिटल, पारदर्शी और स्वचालित बना रही है। भारत में दुग्ध उत्पादन ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। करोड़ों किसान प्रतिदिन अपने पशुओं से दूध निकालते हैं और इसे स्थानीय दुग्ध संग्रह केंद्रों या डेयरियों तक पहुंचाते हैं। लेकिन इस प्रक्रिया में दूध की गुणवत्ता, तापमान नियंत्रण, और समयबद्ध वितरण एक बड़ी चुनौती रही है।
2. आईओटी (IoT) क्या है?
आईओटी का अर्थ है ऐसी डिवाइसेज़ (उपकरण), सेंसर और मशीनें जो इंटरनेट से जुड़ी होती हैं और आपस में डेटा का आदान-प्रदान कर सकती हैं। ये डिवाइसेज़ अपने वातावरण से जानकारी प्राप्त कर सकती हैं और किसी सेंट्रल सिस्टम को सूचित कर सकती हैं।
उदाहरण: तापमान सेंसर, जीपीएस ट्रैकर, पीएच सेंसर, मिलावट डिटेक्टर आदि।
3. दूध संग्रहण में आईओटी की भूमिका
(1). दूध संग्रहण केंद्रों में स्मार्ट सेंसर
हर दूध संग्रह केंद्र पर आईओटी-सक्षम सेंसर लगाए जाते हैं जो दूध की मात्रा, तापमान और गुणवत्ता की निगरानी करते हैं। इससे यह सुनिश्चित किया जाता है कि दूध निर्धारित तापमान (4°C से नीचे) पर संग्रहित हो।
(2). रीयल टाइम डेटा ट्रांसमिशन
सेंसर से प्राप्त डेटा तुरंत केंद्रीय सिस्टम को भेजा जाता है। इससे दूध संग्रह केंद्र से लेकर प्रोसेसिंग यूनिट तक किसी भी समय दूध की स्थिति को ट्रैक किया जा सकता है।
(3). दूध के संग्रहण में अनियमितता की पहचान
यदि तापमान बढ़ता है या दूध में मिलावट की संभावना होती है, तो अलार्म या SMS अलर्ट के माध्यम से प्रबंधकों को तुरंत सूचना मिल जाती है।
(4). किसान की पहचान और ट्रैकिंग
प्रत्येक किसान का डिजिटल रिकॉर्ड बनाया जाता है – किस दिन कितना दूध दिया, उसकी गुणवत्ता क्या थी और भुगतान की स्थिति।
4. कोल्ड चेन प्रबंधन में आईओटी
(1). रेफ्रिजेरेटेड ट्रकों में जीपीएस और सेंसर
दूध को प्रोसेसिंग यूनिट तक पहुंचाने के लिए विशेष ट्रक होते हैं। इन ट्रकों में GPS ट्रैकिंग सिस्टम और तापमान सेंसर लगे होते हैं जो दूध की यात्रा के दौरान तापमान और स्थान की निगरानी करते हैं।
(2). रूट ऑप्टिमाइजेशन
आईओटी डाटा के माध्यम से ट्रकों का सबसे तेज और सुरक्षित मार्ग चुना जाता है, जिससे समय और ईंधन की बचत होती है और दूध समय पर पहुंचता है।
(3). ट्रैक एंड ट्रेस प्रणाली
किसी भी समय यह पता लगाया जा सकता है कि दूध किस स्थान पर है, किस तापमान पर है और किस गाड़ी में है। यह पारदर्शिता उपभोक्ताओं में विश्वास बढ़ाती है।
5. आईओटी के लाभ (Benefits of IoT in Milk Chain)
क्षेत्र |
लाभ |
किसान |
गुणवत्तापूर्ण दूध के लिए बेहतर मूल्य, डिजिटल भुगतान, रिकॉर्ड में पारदर्शिता |
दूध कंपनी/ डेयरी |
गुणवत्ता नियंत्रण, हानि में कमी, संचालन में पारदर्शिता |
उपभोक्ता |
शुद्ध और ताजा दूध की उपलब्धता, मिलावट मुक्त आपूर्ति |
सरकार/प्रशासन |
खाद्य सुरक्षा, किसान कल्याण योजनाओं में निगरानी, डेटा-आधारित नीति निर्माण |
6. चुनौतियाँ और समाधान
(1). बिजली और नेटवर्क की कमी
ग्रामीण क्षेत्रों में अभी भी स्थिर बिजली और इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या है। समाधान के रूप में सौर ऊर्जा आधारित आईओटी उपकरण और ऑफलाइन डेटा स्टोरेज क्षमता विकसित की जा रही है।
(2). लागत और प्रशिक्षण
सभी किसानों के लिए तकनीक को अपनाना आसान नहीं है। इसके लिए सरकारी योजनाओं और डेयरी सहकारी समितियों के सहयोग से प्रशिक्षण कार्यक्रम चलाए जा रहे हैं।
(3). डेटा सुरक्षा
आईओटी उपकरणों से प्राप्त डेटा की गोपनीयता और सुरक्षा सुनिश्चित करना आवश्यक है। इसके लिए एन्क्रिप्शन और ऑथेंटिकेशन सिस्टम का प्रयोग जरूरी है।
7. निष्कर्ष
दूध उत्पादन और वितरण की प्रक्रिया में आईओटी आधारित ट्रैकिंग एक अभूतपूर्व परिवर्तन लेकर आ रही है। यह तकनीक न केवल दूध की गुणवत्ता बनाए रखने में मदद करती है, बल्कि किसानों को उनकी मेहनत का उचित मूल्य दिलाने में भी सहायक है।
सरकार, डेयरी संस्थान, और तकनीकी कंपनियों के संयुक्त प्रयास से यदि यह प्रणाली देशभर में लागू होती है, तो भारत का दुग्ध उद्योग एक स्मार्ट, पारदर्शी और टिकाऊ प्रणाली में बदल सकता है।
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