अंजली मनहर (पी एच.डी., कीट विज्ञान विभाग), 
डॉ.(श्रीमती) जे. एल. गांगुली, डॉ. आर. ऐन. गांगुली (वैज्ञानिक,कीट विज्ञान विभाग),
डॉ. रोहित कुमार, डॉ. विवेक कुमार सांडिल (अनुवंशिकी एवं पादप प्रजनन विभाग)
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय, रायपुर (छ.ग.)


क्या है ट्राईकोग्रामा कीट ?
ट्राईकोग्रामा अतिसूक्ष्म आकार का एक मित्र कीट है, जिन्हें खेतो में आसानी से देख पाना कठिन है परन्तु प्रयोगशालाओं में इन्हें आसानी से देखा जा सकता है। इसका बहुगुड़न (Multiplication) प्रयोगशाला में किया जाता है तथा बाद में इन्हें खेतो में छोड़ दिया जाता है। यह एक प्रकार का अंड-परजीवी मित्र कीट है, जो शत्रु कीट के अण्डों में अपने अंडे देकर, अंडों के भीतर के पदार्थ को ग्रहण कर, अपना जीवन चक्र चलाते है, जिसके चलते दुश्मन कीट को अंडावस्था में ही नष्ट कर देते है और शत्रु कीट के अंडे से इसके मित्र कीट ट्राइकोग्रामा का वयस्क बाहर आता है, जो पुन: शत्रु कीट में अपना अंडा देता है।

ट्राइकोग्रामा कीट का जीवन चक्र बहुत छोटा होता है तथा एक फसल अवधि में उनकी अनेक पीढ़ियां पूरी हो जाती है। इस प्रकार इनकी संख्या शत्रु कीट के मुकाबले 9 गुना बढ़ जाती है तथा शत्रु कीटों को नष्ट करता रहता है.यह रसायन मुक्त कीट प्रबंधन का सटीक उपाय है इनमें शत्रु कीटों के अंडाशय अवस्था में ही नाश हो जाता है तथा फसल की रक्षा सुनिश्चित होती है। ट्राइकोग्रामा की वयस्क मादा एक दिन में 1-10 तक तथा पूरे जीवन काल में लगभग 190 अंडे देती है।

इस प्रकार यह एक जीवित कीटनाशक का काम करता है जो सिर्फ अपने लक्षित शत्रु कीट को ही मारता और मनुष्य व पशुओं के स्वास्थ्य पर कुप्रभाव छोड़े बिना, पर्यावरण को भी सुरक्षित रखता है।

ट्राईकोग्रामा के बहोत्पादन के लिए कोरसाईरा नामक कीट को प्रयोगशाला मे पाला जाता है। पतंगों के अण्डों को इकट्ठा कर पोस्टकार्ड के आकार के कागज पर गोंद की सहायता से चिपका देते हैं इसे ट्राईकोकार्ड कहते हैं। ट्राईकोग्रामा, कोरसाईरा के अण्डों में अपने अंडे देती है। चार दिनों बाद सारे अंडे परजीवीकरण की वजह से काले पड़ जाते हैं। आठवें दिन ये खेत में छोड़ने योग्य हो जाते हैं। एक ट्राईकोकार्ड में लगभग 20,000 परजीवीकृत अंडे होते हैं।

खेत में प्रयोग विधि
प्रयोगशाला में निर्मित ट्राइकोकार्ड, जिनमें एक कार्ड पर ट्राइकोग्रामा के 20 हजार अंडे होते है, को शाम के समय फसल में पत्तियों के नीचे इस तरह से लगाया जाता है कि ट्राइकोकार्ड पर सीधे धूप न पड़े एक हेक्टेयर क्षेत्र में 2-5 कार्ड लगाए जाते है। इन कार्ड को पूरी फसल अवधि में 4-6 बार 15-20 के अंतराल मे छोड़ने की जरूरत पड़ती है। इस कार्ड को अंडों से परजीवी निकलने की तिथि से एक दिन पहले खेत में लगा दे। ट्राइकोकार्ड लगाने के पहले और बाद किसी भी रसायनिक कीटनाशी का खेत में प्रयोग न करें।

कौन से कीटों के अंडों को नष्ट करता है
यह ट्राइकोग्रामा कीट लगभग सभी फसलों जैसे गन्ना, भिण्डी, बैंगन, चना, मटर, अरहर, धान, मक्का, ज्वार, बाजरा, टमाटर, कपास आदि फसलों में पत्ती खाने वाली कीट, तना छेदक, फल छेदक कीटों के अंडों को नष्ट करता है। इन परजीवी की अलग- अलग प्रजाति के माध्यम से इन शत्रु इल्लियों के अंडो को नष्ट किया जा सकता है।

सल शत्रु कीट

शत्रु कीट

मात्र

धान

तना छेदक

1 लाख ट्राईको ग्रामा जैपोनिकम (5 ट्राईकार्ड/हे./सप्ताह) (तीन सप्ताह लगातार)

 

पत्र लपेटक

1.5 लाख ट्राईकोग्रामा  जैपोनिकम (कार्ड/हे./सप्ताह) (तीन सप्ताह लगातार)

मक्का

तना छेदक

1.5  लाख ट्राईकोग्रामा किलोनिस, अंकुरण एक 12वें तथा 22 वें दिन पर (8 कार्ड/हे.)

टमाटर

तंबाकू सुंडी

 1.5  लाख ट्राईकोग्रामा किलोनिस, अंकुरण एक 12वें तथा 22 वें दिन पर (8 कार्ड/हे.)

गोभी

गोभी का पतंगा

50 हजार ट्राईकोग्रामा बैक्टी ( कार्ड/हे. लगाने के  45 दिनों से प्रति सप्ताह 6 बार लगातार।


   सावधानियाँ :-

1) ट्राइकोकार्ड के प्रयोग के दौरान किसी भी प्रकार के रसायनिक कीटनाशक का प्रयोग ना करें।

2) खरीफ के समय बारिश से ट्राइकोकार्ड को बचाने हेतु प्लास्टिक के ग्लास के भीतर रखकर

प्रयोग करें।

3) ट्राइकोग्रामा प्रजाति को तभी इस्तेमाल करे जब खेतों मे कीटों की अंड अवस्था दिखाई दे।