प्रीति टोप्पो (फल विज्ञान विभाग), नेहा गावड़े (मृदा विज्ञान एवं रसायन)
(इं.गां.कृ.वि.वि. रायपुर)

सभी मृदाओं और फसलों के लिए उत्तम
अच्छी गुणवत्तापूर्ण उपज लेने के लिए पोटाश एक महत्वपूर्ण एवं आवश्यक पौध पोषक तत्व है। इससे पौधों की जड़ों का विकास एवं वृद्धि शीघ्र होती हैं कई मृदाओं में प्राकृतिक रूप से अघुलनशील पोटाश पर्याप्त मात्रा में पाया जाता है। इसका अधिकांश भाग एल्युमिनो.सिलिकेट खनिज का होता है। जिससे पौधे सीधे पोटाश प्राप्त नहीं कर पाते हैं। पोटाश मोबिलाइजिंग तरल जैव-उर्वरक (के.एम.बी.) कार्बनिक अम्ल उत्पन्न करता है, जो मृदा में स्थित पोटाश तथा पोटेशियम उर्वरकों को घोलकर पौधों को उपलब्ध कराता है। पोटाश मोबिलाईजिंग (के.एम.बी.) तरल जैव-उर्वरक के उपयोग से 6-8 किलोग्राम प्रति एकड़ पोटाश की बचत होती है। इसके अलावा के.एम.बी. पौधों मेें वृद्धि कारक हार्मोन भी उत्पन्न करता है। जिससे पौधों की वृद्धि एवं मजबूती प्रदान करने में सहायता करता है तथा 20-30 प्रतिशत उपज में वृद्धि होती है। यह मृदा को जैविक रूप से सक्रिय एवं स्वस्थ रखता है। मृदा में कार्बनिक पदार्थ होने तथा कम्पोस्ट के प्रयोग से इसका प्रभाव और बढ़ जाता है।

एफ.सी.ओ. मानक
  • आधार- तरल आधार
  • जीवित जीवाणु संख्या- 1x108  जीवाणु प्रति मि.ली.
  • संदूषण स्तर (मिलावट)- 105 तनु करण (डाइल्युसन) तक कोई संदूषण नहीं

के.एम.बी. तरल जैव-उर्वरक के लाभ-
ठोस जैव-उर्वरक की तुलना में के.एम.बी. तरल जैव-उर्वरक के अनेक लाभ है जैसे-
  • जीवनावधि 2 वर्ष (ठोस जैव-उर्वरक की तुलना में दुगुनी)
  • तापमान के प्रति सहिष्णुता 45 डिग्री से. (ठोस जैव-उर्वरक की तुलना में 15 डिग्री से. अधिक)
  • टपक सिंचाई व सामान्य सिंचाई दोनों में उपयोगी।
  • प्रति मि.ली. जीवाणु संख्या 10 करोड़ (ठोस जैव-उर्वरक की तुलना में दुगुनी)
  • बीज, मृदा, तथा जड़ों में सीधे प्रयोग हेतु सिफारिश।
  • परिवहन व भण्डारण में सुरक्षित।
  • पर्यावरण के अनुकुल तथा मिट्टी, पृथ्वी तल, वायु तथा जल प्रदूषण से बचाव।
  • के.एम.बी. मृदा में विषाक्ता को कम करता है।
  • किसानों की आदान लागत में कमी तथा आमदनी में वृद्धि करता है।
  • पोटाशिक उर्वरकों की मांग में कमी लाता है तथा फास्फेरिक उर्वरक को बचाता है।
  • अनाज, दलहन, सब्जियों, रेशेदार तथा तिलहन फसलों में उपयोग करना आसान।

मात्रा एवं उपयोग विधि
मात्रा 500 मि.ली. प्रति एकड़

(क) उत्तम विधियां

बुआई से पूर्व (मृदा उपचार)
तरल जैव-उर्वरक को 50-100 कि.ग्रा. कम्पोस्ट में एक सार मिलाएं तथा पोध रोपाई से पहले खेत में शाम को या जब आसमान में बादल हों, इसे खेत में डालें।

बुआई के समय बीजोपचार-

1. 500 मि.ली. के.एम.बी. तरल जैव-उर्वरक को बीज की मात्रा के अनुसार 1-2 लीटर पानी में घोल तैयार करें।

2. इस घोल को 15-20 मिनट बीज में मिलाएं।

3. उपचारित बीज को आधा घंटे तक छाया में सुखाएं।

4. उपचारित बीज को तुरंत बुवाई करें।

पौधरोपण के समय- (धान/सब्जियां पौध उपचार)

1. 500 मि.ली. पोटाश घोलकर तरल जैव.उर्वरक का 20-25 लीटर पानी में घोल बनाएं।

2. इस घोल में पौध की जड़ों को 15-20 मिनट तक डुबाएं।

3. उपचारित पौध की तुरंत रोपाई करें।

बुआई के बाद (खड़ी फसल में)
अगर पोटाश घोलक तरल जैव-उर्वरक बीजाई के समय नहीं प्रयोग किया गया तब सिंचाई जल के साथ खड़ी फसल में भी प्रयोग किया जा सकता है।

1. सामान्य सिंचाई के साथ खड़ी फसल में भी प्रयोग किया जा सकता है। खेत में पानी आने वाले स्थान पर तरल जैव-उर्वरक कंटेनर को स्थिर कर दें, जिससे सिंचाई जल के साथ एक सार मिल जाएं। 

2. टपक सिंचाई में तरल जैव-उर्वरक पोटाश घोलक को जल की पर्याप्त मात्रा के साथ टपक टैंक में मिलाकर टपक सिंचाई द्वारा डालें।

सावधानियां
  • जीवाणुओं को मरने से बचाने के लिए तरल जैव-उर्वरक को धूप व गर्मी से बचाकर रखें।
  • जैव-उर्वरक का फसल पर छिड़काव नहीं करना चाहिए क्योंकि यह धूप व गर्मी के प्रति संवेदनशील होता है।
  • जीवाणुओं की जीवनावधि के लिए जैव-उर्वरक को ठंडे स्थान पर भण्डारित करें।
  • बच्चों व पालतू जानवरों से हमेशा दूर रखें।
  • प्रयोग के बाद हाथों को हमेशा साबुन से साफ करें।
  • जैव-उर्वरकों को रासायन/उर्वरक/कीटनाशकों इत्यादि के साथ न मिलाएं क्योंकि जीवाणु मर सकते हैं तथा वांछित परिणाम प्राप्त नहीं हो सकते।