ममता भगत, पी.एच.डी. कीट विज्ञान विभाग
निकी अग्रवाल, पी.एच.डी. कृषि मौसम विज्ञान
राजकुमारी, पी.एच.डी. कीट विज्ञान विभाग कृषि महाविद्यालय

दल्हनी फसलों में अरहर एक प्रमुख और लोकप्रिय फसल है यह लेग्युमिनोसी वर्ग के अंतरगत होने की वजह से नत्रजन स्थितिकरण में विशेष योगदान करता है׀ विश्व का कुल उत्पादन 44.9 लाख टन है जिसमे 63 प्रतिशत भारत का योगदान है छत्तीसगढ़ में इसका उत्पादन 82.2 मैट्रिक टन अंक गया है प्रति 100 ग्राम अरहर में प्रोटीन की मात्रा 44 प्रतिशत, कार्बोहाइड्रेट 21 प्रतिशत, पोटैशियम 39 प्रतिशत, वासा 2 प्रतिशत तथा फाइबर 60 प्रतिशत होता है यह एक बहुवर्षीय झाड़ीनूमा पौधा है, जिसे मेड़ों पर भी उगाया जा सकता है इसकी अवधि 90- 300 दिनों की होती है विभिन्न प्रकार के उपज बाधकों में कीट दृारा नुकसान 30-40 प्रतिशत आंका गया है जिससे किसानों को अत्यधिक आर्थिक नुकसान होता है अरहर में पाये जाने वाले प्रमुख कीट निम्नलिखित है, जिसमें फली छिदक समूह, जिसके अंतगॅत चार कीट क्रमश चने की इल्ली, चित्तींदार इल्ली, काटेंदार फली भेदक तथा मक्खी मुख्य हैं।

अरहर का फली भेदक- (हेलिकोवर्पा आर्मीजेरा)
नुकसान का तरीकाः- इस कीट की इल्ली अवस्था हानिकारक होती है इसकी इल्लियाँ प्रारंभिक अवस्था में पत्तियों को नुकसान पहुँचती है तथा बाद की अवस्था में फली में गोलाकार छेद बनाकर अपना सिर फली में घुसाकर एव शेष भाग बाहर रखकर खाती है एक इल्ली करीब 30-40 फली को खाकर नुकसान पहुचाती है यह शीघ्र पकने वाली किस्मों को मार्च - अप्रैल में नुकसान पहुंचाती है।

पहचान का तरीका - इस कीट क अंडे चमकीले हरे रंग के होते हैद्य इस कीट की इल्लियाँ हरे से भूरे रंग की एव शरीर के किनारे पर हलकी या गहरी लहरदार धारियाँ पाई जाती है प्रौढ़ कीट भूरे रंग का होता है अग्र पंख पर एक -एक काला धब्बा दिखाई देता है पश्चिम पंख के बाहरी किनारों पर काली पट्टी दिखायी देती है।

चित्तीदर फली भेधक - ( मरुका विट्राटा )
नुकसान का तरीका - इस कीट की इल्ली अवस्था हानिकारक होती है यह कीट अगेती किस्म की जातियों को अगस्त से अक्टूबर तक नुकसान पहुंचता है शुरुआती अवस्था में इल्ली पौधों के ऊपरी हिस्से में पत्तियों , फूलों एव छोटी फलियों को जाल बुनकर गूँथ देता है तथा उसके अंदर रहकर नुकसान पहुंचाता है अधिक प्रकोप होने पर केवल काले रंग को फली विहीन शाखा बचती है इस कीट द्वारा 20-35 प्रतिशत तक पैदावार में कमी आती है।

पहचान का तरीका - मादा कीट पत्तियों, कलिकाओ और फूलों पर अंडे देती है इसकी इल्ली पीले - भूरे रंग की होती है, जिस पर छोटे- छोटे काले धब्बे होते है तथा किनारे पर छोटे- छोटे काले धब्बे होते हैं पिछले पंख कुछ पीले - सफ़ेद होते है।

फली मक्खी - ( मेलानाग्रोमाइजा ओब्टूसा)
नुकसान का तरीका - इस कीट की मैगट (इल्ली) अवस्था हानिकारक होती है इसका मैगट दानों में सुरंग बनाकर खाता है सुरंग बनाकर अपनी विष्ठा निकलता रहता है , जिसके कारण दानों में फफूंद लगने से दानों में सड़न पैदा हो जाती है एवं दाने मनुष्य तथा जानवर दोनों के लिए खाने योग्य नहीं रह पाते है इस कीट का प्रकोप मध्यम एवं देरी से पकने वाली किस्म में ज्यादा होता है इस कीट के द्वारा 20 -100 प्रतिशत नुकसान (फली) आंका गया है।

पहचान का तरीका - इसकी मादा कीट फल्ली के अंदर अंडे देती है,मैगट सफ़ेद रंग का होता है प्रौड़ घरेलु मक्खी के समान एवं आकार में छोटे होते है प्रौड़ मक्खी का रंग काला एवं एक जोड़ी पंख पाये जाते हैं।

समविन्त कीट प्रबंधन -
1. बोवाई से पहले
  • गर्मियों में भूमि की गहरी जुताई करें, इससे फली भेदक की इल्ली व शंखी तेज धूप में मर जाते हैं तथा शिकारी पक्षियों द्वारा खा लिए जाते हैं।
  • फसल की बोनी जून माह में करने से फली भेधक कीट के प्रकोप में कमी आती है।
  • बीज को ट्राइकोडर्मा / 4.0 ग्राम / कि . बीज अथवा राइजोबियम / 5.0 ग्राम / कि . बीज से उपचारित करें व उसके बाद बोवाई करें।
2. बोवाई के समय
  • अरहर की उन्नतशील जातियां जैसे - आशा , राजीवलोचन , जवाहर अरहर - 4 आदि का उपयोग करें।
  • ज्वार को अंतवर्ती फसल के रूप में तथा मक्का की ऊँची किस्म को खेत के बॉर्डर पर उगाएँ द्य ये फसलें प्राकृतिक शत्रुओं के छिपने तथा शिकारी पक्षी उनपर बैठकर बड़ी संख्या में इल्लियों का भक्षण करते है।
  • गेंदा को प्रपंच फसल के रूप में बॉर्डर पर उगाएँ द्य इससे मुख्य फसल में चने के इल्ली के प्रकोप में कमी आती है।
3. वनस्पति एवं पुष्पीकरण के समय
  • हानिकारक कीटों की जानकारी तथा उन्हें समय से नियंत्रण करने के लिए खेतों का समय -समय पर निरीक्षण करना चाहिए।
  • कीटों के अंडे दिखाई देने पर ट्राइकोग्रामा चिलोनिस युक्त 50,000- 10,0000 अंडे /हे . के हिसाब से उपयोग करे , आवश्यकता पड़ने पर 10 दिनों बाद पुनः इतने अंडो को फसल पर कार्ड की सहायता से प्रयोग करें।
  • फली भेदक कीट की निगरानी के लिए खेतों में फेरोमोन ट्रैप (5 हे .) की दर से लगाने चाहिए द्य फेरोमोन सेप्टा को 15 दिन में बदले।
  • रात के समय खेतों में प्रपंच या पैट्रोमेक्स लैंप लगाकर वयस्क कीटों को आसानी से नष्ट किया जा सकता है। (सायं 7 बजे से रात्रि 10 बजे तक)।
  • कीट भक्षी पक्षियों जैसे घरेलू चिड़िया ( गौरेला ), जंगली कबूतर ,ड्रोंगो आदि के बैठने के लिए अंग्रेजी के ’टी’ आकार की खूंटियां 20 -25 प्रति हे. की दर से खेत में लगनी चाहिए द्य फली अवस्था आने पर इन खूंटियों को खेत से निकाल देना चाहिए।
  • सर्वप्रथम जैविक कीटनाशकों जैसे - बीटी , एन. पी .वी .(450 एल .ई ./हे .) ट्राइकोडर्मा , स्यूडोमोनास , नीम आधारित कीटनाशक का प्रयोग करना चाहिए एन .एस .के.ई. 5 अजाडिराक्टिन पी .पी .एम ./हे . का छिड़काव करना चाहिए।
  • फली के पकने व सूखने के तुरंत बाद फसल को काट लेना चाहिए।
  • भंडारण करते समय भंडारण के ऊपर व तली में नीम की पत्तियां तथा बीज के साथ कुछ अन्य पदार्थ जैसे - नीम बीज , चूर्ण , रेत आदि मिला देना चाहिए।