सुजीत सुमेर, पी.एचडी. स्कॉलर
कृषि मौसम विज्ञान विभाग,
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर (छ.ग.)

  • देर हो जाने पर यदि धान की रोपाई इस माह करनी पड़ रही हो तो पौधे की दूरी कम रखें एवं 3 से 4 पौधों का उपयोग करें।
  • किसान भाईयों को सलाह हैं कि धान की विभिन्न अवस्थाओं में अनुशंसित मात्रा में नत्रजन का छिड़काव करें।
  • धान में यूरिया का छिड़काव करने के पूर्व खेत में पानी की मात्रा कम कर देवें।
  • धान के खेत में लगातार पानी भर कर न रखें।
  • रोपा लगाने के पूर्व धान के थरहा की जड़ों को क्लोरपायरीफास 20 ई.सी. दवा का 1 मि.ली./लीटर पानी तथा 2 किलो यूरिया मिलाकर 3-4 घंटे डुबोकर रोपा लगाएं।
  • शीघ्र पकने वाली प्रजातियों की रोपाई यदि न हुई हो तो शीघ्र पूरी कर लें, परन्तु इस समय रोपाई के लिए 40 दिन पुरानी पौध का प्रयोग करें तथा 15×10 सेंमी की दूरी पर, प्रति स्थान 3-4 पौध लगायें।
  • धान की रोपाई के 25-30 दिन बाद, अधिक उपज वाली प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 30 किग्रा नाइट्रोजन (65 किग्रा यूरिया) तथा सुगन्धित प्रजातियों में प्रति हेक्टेयर 15 किग्रा नाइट्रोजन (33 किग्रा यूरिया) की टाप ड्रेसिंग कर दें।
  • नाइट्रोजन की इतनी ही मात्रा की दूसरी व अन्तिम टाप ड्रेसिंग रोपाई के 50-55 दिन बाद करनी चाहिए।
  • टॉप ड्रेसिंग के समय खेत मे जरवानी छिपछिपा पानी रखे।
  • खैरा रोग की रोकथाम के लिए प्रतिहेक्टेयर 5 किग्रा. जिंक सल्फेट तथा 2.5 किग्रा. चूना या 20 किग्रा. यूरिया को 1000 ली. पानी में घोलकर छिड़काव करें।
  • मूंग, तिल, मक्का एवं ज्वार (चारे हेतु) आदि के बीजों की उपचारित कर कतारों में बुवाई करें।
  • खेत में हरी काई का प्रकोप दिख रहा हो तो पानी को निकाल देवें। खेत में जिस जगह से पानी अंदर जाता हैं वहां कॉपरसल्फेट (नीला थोथा) को पोटली में बांध कर रखें।
  • औषधीय फसल अश्वगंधा की बुवाई करें।
  • गन्ना फसल पर पायरिल्ला कीट के प्रकोप होने पर मिथाइल डेमेटोन 25 ई.सी. दवा का 700 मि.ली./हे. की दर से छिड़काव करें।
  • आम एवं बेर में उपरोपण, कलिकायन तथा शीर्ष कार्य करें।
  • अमरूद, नींबू एवं अन्य वृक्षों में गूटी बाँधें तथा पिछले माह बाँधी गई गूटी कलमों को मातृ पौधों से अलग कर क्यारियों में रोपण करें।
  • केले में वाटर सकर्स की पहचान कर निकलने का कार्य करते रहें एवं जिन पौधों में फूल/फल आया हो तुरंत बांस लगाकर सहारा प्रदान करें।
  • वर्षा ऋतु की सब्जियों में उर्वरक का प्रबंधन करें।
  • शीतकालीन सब्जियों विशेषकर अगेती गोभीवर्गीय सब्जियों के बीज बोने की तैयारी करें।
  • सब्जियों में पौध संरक्षण कार्य करें।
  • शिमला मिर्च की नर्सरी तैयार करें।
  • सब्जियों में पर्णदाग रोग दिखने पर ताम्रयुक्त दवा (3 ग्राम) या क्लोरोथेलोनिल (2 ग्राम) दवा को प्रति लीटर की दर से घोल बनाकर छिड़काव करें।
  • खरीफ प्याज की खेत में रोपाई करें।
  • इस माह अदरक के विभिन्न उत्पाद तैयार करें।
  • नींबूवर्गीय पौधों पर कैंकर रोग प्रकट होने पर प्रति जैविक स्ट्रेप्टोसायक्लिन (500 मि.ग्रा./लीटर) $ ताम्रयुक्त दवा (3 ग्राम/लीटर) का सेण्डोविट आर्द्रक (3 मि.ली./लीटर) के साथ मिलाकर सूखे दिनों में दोपहर के बाद छिड़काव करें।
  • गुलाब में बोर्डो मिश्रण का छिड़काव करें।
  • सामान्य काट-छाँट करें।
  • गुलदाऊदी एवं चाइना एस्टर के लिये भूमि की तैयारी करें।