इंजी. आँचल जायसवाल, कृषि प्रसंसकरण एवं खाद्य अभियांत्रिकी
मधु कुमारी पैंकरा , कीट विज्ञान
स्वामी विवेकानन्द कृषि अभियांत्रिकी एवं प्रौद्योगिकी 
महाविद्यालय एवं अनुसन्धान केंद्र, रायपुर

नीम (Azadirachta) मेलियासी परिवार से संबंधित भारत में पाए जाने वाले सबसे उपयुक्त और मूल्यवान वृक्ष प्रजातियों में से एक है। नीम बहुतायत में पाया जाने वाला वृक्ष है। यह औषधीय गुणों से भरपूर होता है, इसलिए आम जीवन में इसका खूब प्रयोग होता है। इसकी पत्तियों से लेकर इसके बीज तक सब कुछ अत्यंत उपयोगी होते हैं जो कि जैसे त्वचा, पेट, आँखें और विषाणु जनित समस्याओं में इसका प्रयोग अद्भुत होता है।

इसके विविध उपयोगों के कारण, वैदिक काल से ही भारतीय किसानों द्वारा इसकी खेती की जाती रही है और यह अब भारतीय संस्कृति का हिस्सा बन गई है। यह लंबे समय से एक औषधीय पौधे के रूप में उपयोग किया जाता रहा है और ग्रामीण क्षेत्रों की लगभग सभी आवश्यकताओं जैसे लकड़ी, चारा, तेल, उर्वरक, कीट विकर्षक या सर्वव्यापी ’दातुन’ प्रदान करता है। भारत में एक कहावत प्रचलित है कि जिस धरती पर नीम के पेड़ होते हैं, वहाँ मृत्यु और बीमारी कैसे हो सकती है। लेकिन, अब अन्य देश भी इसके गुणों के प्रति जागरूक हो रहे हैं। नीम हमारे लिए अति विशिष्ट व पूजनीय वृक्ष है।

वृक्ष का विवरण
यह बड़े आकार का सदाबहार वृक्ष होता है, इसकी ऊंचाई 12 से 18 मीटर तक होती है, तने का घेरा 1.8 से 2.4 मीटर तक होता है, इसका तना सीधा होता है, शाखाएं लंबी और फैली हुई होती हैं और वे एक बड़े मुकुट जैसा आकार धारण कर लेती हैं, जिसकी चौड़ाई एक से दूसरे सिरे तक 20 मीटर तक होती है और सामान्यत: यह देश के अधिकांश भागों में पाया जाता है। इसकी छाल खाकी अथवा गहरे ललाई लिए हुए भूरे रंग की होती है, जिस पर जगह-जगह पर बहुत से गूमड़ उभरे हुए होते हैं। छाल से गोंद निकलता है, जिसे ईस्ट इंडिया गम कहा जाता है। टहनियां एकान्तर और 20-30 से. मी. लंबी होती हैं, पत्तियां 8-19 से. मी. लंबी, एकान्तर या आमने-सामने, अण्डाकार, चमकदार और भोथरे रूप में दांतेदार होती हैं।

मिट्टी
नीम, मृण्मय, लवणयुक्त और क्षारीय मिट्टियों सहित, लगभग सभी प्रकार की मिट्टियों में उगता है, किन्तु यह काली कपास मिट्टी में अच्छी तरह उगता है। साथ ही, जिन शुष्क पथरीली लवणयुक्त मिट्टियों में जलरहित उप-मृदा हो अथवा जिन स्थानों में सतह के समीप एक कड़ी चूनेदार या चिकनी मिट्टी की परत हो, वहां यह अधिकांश अन्य वृक्षों की तुलना में, बेहतर तरीके से उगता है। इसमें कैल्शियम का प्रभाव समाप्त करने का एक अनूठा गुण होता है, जिससे मिट्टी की अम्लता समाप्त हो जाती है। नीम अम्लीय मिट्टी पर भी अच्छी तरह उगता है। ऐसा कहा जाता है कि नीम की गिरी हुई पत्तियां, जो कुछ क्षारीय होती हैं, मिट्टी की अम्लता समाप्त करने की दृष्टि से अच्छी होती हैं।

घरेलू उपयोग
नीम के वृक्ष की ठंण्डी छाया गर्मी से राहत देती है तो पत्ते फल-फूल, छाल का उपयोग घरेलू रोगों में किया जाता है, नीम के औषधीय गुणों को घरेलू नुस्खों में उपयोग कर स्वस्थ व निरोगी बना जा सकता है। इसका स्वाद तो कड़वा होता है, लेकिन इसके फ़ायदे तो अनेक और बहुत प्रभावशाली हैं और उनमें से कुछ निम्नलिखित हैं :--
  • नीम के अर्क का उपयोग कीटनाशकों, कीटनाशकों और कवकनाशी के रूप में किया जाता है।
  • नीम के तेल में जीवाणुरोधी, एंटीवायरल गुण होते हैं और त्वचा और दंत समस्याओं में उपयोग किया जाता है।
  • नीम के उत्पादों का उपयोग मलेरिया, बुखार, दर्द और गर्भनिरोधक के रूप में भी किया जा रहा है।
  • सौंदर्य प्रसाधन, स्नेहक और उर्वरकों में भी नीम का उपयोग किया जा रहा है।
  • नीम मलेरिया फैलाने वाले मच्छरों को दूर रखने में अत्यन्त सहायक है। जिस वातावरण में नीम के पेड़ रहते हैं, वहाँ मलेरिया नहीं फैलता है। नीम के पत्ते जलाकर रात को धुआं करने से मच्छर नष्ट हो जाते हैं और विषम ज्वर (मलेरिया) से बचाव होता है।
  • नीम की पत्तियों के रस को आंखों में डालने से आंख आने की बीमारी (कंजेक्टिवाइटिस) समाप्त हो जाती है।
  • गर्मियों में लू लग जाने पर नीम के बारीक पंचांग (फूल, फल, पत्तियां, छाल एवं जड) चूर्ण को पानी मे मिलाकर पीने से लू का प्रभाव शांत हो जाता है।
  • नीम के पत्ते कीढ़े मारते हैं, इसलिये पत्तों को अनाज, कपड़ों में रखते हैं।
  • नीम की जड़ को पानी में उबालकर पीने से बुखार दूर हो जाता है।
  • विदेशों में नीम को एक ऐसे पेड़ के रूप में पेश किया जा रहा है, जो मधुमेह से लेकर एड्स, कैंसर और न जाने किस-किस तरह की बीमारियों का इलाज कर सकता है।
  • नीम की छाल का उपयोग गांवों में रस्सी बनाने के लिए किया जाता है।
  • नीम के तेल का उपयोग साबुन निर्माण में किया जाता है।
  • नीम की लकड़ी का उपयोग घरों के निर्माण, जैसे कि पोस्ट, बीम, दरवाजा/खिड़की फ्रेम, फर्नीचर और कृषि उपकरणों के रूप में के लिए किया जाता है ।