साधना साहा (आनुवंशिकी और पादप प्रजनन विभाग)
अमृता गिरी (आनुवंशिकी और पादप प्रजनन विभाग)
संजीव गुर्जर (कृषि सांख्यिकी विभाग)
डॉ. जय किशन भगत (कीट विज्ञान विभाग)
बीज
बीज का तात्पर्य पौधों के उन सभी भागो (जैसे- जड़, तना, कन्द, शाखा व फल आदि) से है, जिसका उपयोग हम रोपण या फसल उत्पादन के उद्देश्य से प्रयोग में लाते है तथा जिसमें अपने समान ही सन्तान (पौधा) उत्पन्न करने क्षमता हो बीज (Seed) कहलाता हैं।
बीज गुणवत्ता
उन्नत किस्म के बीज की अंकुरण क्षमता, बीज ओज, बीज स्वास्थ, बीज नमी, भौतिक शुध्दता व आनुवंशिक शुध्दता को सम्मिलित रुप से बीज गुणवत्ता कहते हैं ।
महत्व
फसल उत्पादन एवं एक अच्छी उपज प्राप्त करने के लिए कृषि मे अन्य सभी कारकों की तुलना में बीजो का विशेष महत्व है। कृषि उत्पादन का मूल आधार बीज ही हैं। चाहे कितने भी अच्छी भूमि की किस्में हो, चाहे कितनी ही उन्नत सस्य क्रियाएं जैसे- खाद व उर्वरक प्रबंध, सिंचाई प्रबंधन हो या चाहे कितनी भी अच्छी फसल प्रबंधन की क्रिया क्यों न की जाए ये सभी क्रियाएँ एक अच्छे बीज के अभाव में बोना ही साबित होते हैं। कृषि मे एक अच्छे एवं उन्नति किस्म के बीजो के प्रयोग मात्र से ही कृषक अपनी फसल उत्पादन में लगभग 15-20 % तक का वृद्धि कर सकता है।
बीज गुणवत्ता के आधार पर बीज दो प्रकार की होती हैं, जिनके आधार पर बीजों का चयन करना चाहिए-
1. उन्नत बीज
के निम्न गुण होते हैं- * अधिक उपज * अच्छी गुणवत्ता * कृषि कार्यों मे सुविधा * संवेदंशीलता * अधिक अनुकुलता * विपरीत दशाओ के
प्रतिरोधिता * सही व समकालिक
परिपक्वता |
2. उत्तम बीज के निम्न गुण होते हैं- * अधिक भौतिक शुध्दता * उचित नमी * अधिक अनुवंशिक शुध्दता * समरुपता – बीज रंग, रुप व आकार * अधिक जैविकता – न्युनतम
99% * अच्छा बीज स्वास्थ्य |
बीज भंडारण के दौरान निम्न बातों का ध्यान रखें-
1. गोदाम, जहां बीज को रखना हो, स्वच्छ रहे, नियंत्रित रोशनदान हो, ऊँचा प्लिंथ हो, जिसमें नमी न आ सके तथा चिड़ियों के आक्रमण से भी सुरक्षित रहें।
2. बीज रखने से पूर्व गोदाम को 1:300 के अनुपात में 3 लीटर प्रति 100 वर्गमीटर की दर से मालाथियान (50 ई.सी.) को छिड़ककर रोगाणुओं से मुक्त कर लें।
3. बीज रखने के लिए अगर पुराने कपड़े के थैलों का प्रयोग करें तो उन्हें एल्युमिनियम फ़ॉस्फाइट से धूमित कर लें।
4. बीज को 30’ 20’ के मानक आकार के टैंक पर रखें, जिससे उन पर गैस प्रूफ पोलीथिन के आवरण रखना तथा धूमित करना आसान हो।
5. बीज रखने के पूर्णत: संतुष्ट हो लें कि बीज में अधिक नमी, जीवाणु और रोगाणु नहीं है।
6. एक निश्चित समय पर बीज की देख-रेख अवश्य करें और निम्नलिखित तरीको का पालन करें।
(क) मालाथियान का 1:300 के अनुपात में घोल तैयार कर 3 लीटर प्रति 1000 वर्गफीट के दर से हर तीन सप्ताह बाद छिड़काव करें।
(ख) मालाथियान के साथ ही सुमिथियान का घोल भी 1:900 के अनुपात में तैयार कर 2-3 बाद छिड़काव करना लाभदायक है।
(ग) डी.डी.बी.पी. या नुवान या वापोना का 0.25 प्रतिशत घोल तैयार कर 1 लीटर प्रति 200 घनमीटर की दर से इस भांति छिड़काव करें कि गोदाम के सारे वातावरण में दवा की गंध भर जाये।
(घ) धूमीकरण: वायु की कमी वाली स्थिति या गैस प्रूफ आवरण में धूमी करण करना हो तो ऐलुमिनियम फ़ॉस्फाइट की एक टिकिया (वजन तीन ग्राम) प्रति टन बीज की दर से व्यवहार करें। वायु का दबाव अधिक होने पर दो टिकिया का व्यवहार किया जा सकता है। धूमीकरण 60 दिनों के अंतर पर अधिक से अधिक तीन बार किया जाये। धूमीकरण के 4 दिनों के बाद ही गोदाम खोलना चाहिए और कम से कम 6 घंटे तक खिड़की – दरवाजा खुला रखकर हवा लगा लें। धूमीकरण के पहले रोगरोधी दवाओं का छिड़काव भी उपयुक्त रीति से आवश्यक है।
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