सुरभि जैन, विषय वस्तु विशेषज्ञ
कृषि मौसम विज्ञान विभाग
कृषि विज्ञान केंद्र राजनांदगांव (छ.ग.)

कृषि कार्ययोजना
  • दलहनी एवं तिलहनी फसलों की कटाई का कार्य शीघ्र सम्पन्न करें। अधिक देरी होने से दाना झड़ने की संभावना बढ़ जाती हैं। भंडारण हेतु दलहनी फसल के बीजों में 8-10ः नमी हों, इस हेतु बीजों को धूप में अच्छी तरह सुखाएं।
  • सरसों की अंतिम अवस्था एवं कटाई के बाद फलियों को पेन्टेड बग हानि पहुंचाता हैं। इससे बचाव हेतु खड़ी फसल में मेलाथियान 50 ई.सी. का उपयोग करें।
  • जो फसल पककर तैयार होती हैं, उन्हें कटाई कर साफ खलिहान में गहाई करें तथा अच्छी तरह सुखाकर भण्डारण करें।
  • भण्डारण के समय दानों में नमी 9-10% से ज्यादा न रहें।
  • फसल काटने के बाद यदि खेत में नमी हो तो खाली खेत को मिट्टी पलटने वाले हल से जुताई करें।
  • ग्रीष्मकालीन मूंग की बुवाई करें।
  • ग्रीष्मकालीन धान में कन्सावस्था में तनाछेदक का प्रकोप होता हैं। इससे बचाव हेतु फेरोमेन प्रपंच का उपयोग करें।
  • ग्रीष्मकालीन धान में पर्णच्छद अंगमारी (शीथ ब्लाइट) रोग के लक्षण दिखते ही हेक्साकोनाजोल (1 मि.ली./ली. पानी) का छिड़काव करें। दूसरा छिड़काव 12-15 दिन के बाद करना चाहिए।
  • गर्मी की सब्जियों की रोपाई एवं पत्तेदार सब्जियों की बुवाई करें।
  • पिछले माह रोपण की गई सब्जियों में गुड़ाई पश्चात् हल्की सिंचाई कर तुरंत नत्रजन उर्वरक प्रदाय करें।
  • कद्दुवर्गीय सब्जियों में लाल कीड़े का प्रकोप दिखने पर अनुशंसित दवा का छिड़काव करें।
  • कद्दुवर्गीय सब्जी, भिण्डी एवं बरबटी आदि में पौध संरक्षण के उपाय करें। यदि बोना शेष रह गया हो तो 15 मार्च तक बुवाई करें।
  • शोभायमान वृक्ष, लताएं तथा पौधों की कलम तैयार करें।
  • हरी पत्ते वाली सब्जियों जैसे मेथी, पालक को सुखाकर रख सकते हैं और गर्मी उपयोग हेतु नींबू का शर्बत, अचार बनाकर भी रख सकते हैं।
  • फलबेधक मक्खी से बचाव हेतु विष प्रपंच का उपयोग करें। इस हेतु मेलाथियान 50 ई.सी. 50 मि.ली. गुड़ (आधा किलो) एवं यीस्ट हाइड्रोलाइसेट को पानी मिलाकर मिट्टी के बर्तनों में बगीचे में अनेक स्थानों पर लटका दें।
  • वर्तमान में आम की फसल फूल आने/फल बनने की अवस्था में हैं। इस अवस्था में आम का फुदका कीट का प्रकोप देखा जाता हैं। अतः किसान भाइयों को सलाह दी जाती हैं कि आम के बगीचों की साफ-सफाई रखें।
  • आम में सिंचाई एवं पोषण प्रबंधन का कार्य करें।
  • इस माह में आलू की पैदावार भरपूर मात्रा में होती हैं। महिलायें आसानी से आलू चिप्स, पापड़, आलू साबूदाना मिश्रित पापड़ आसानी से बनाकर वर्ष भर के लिये रख सकती हैं।
  • शीतकालीन मौसमी पुष्पों के बीज एकत्रित करें। संतरा से स्क्दैश, केला, पपीता, सेब तथा जैम, आँवला, सेब तथा पपीता का मुरब्बा एवं फल-सब्जी सुखाने का कार्य करें।
  • केला एवं पपीता के पौध में सप्ताह में एक बार पानी अवश्य देवें।
  • बसंतकालीन गन्ने की बुवाई शीघ्र करें।

पशुपालन कार्ययोजना
  • गौ-पशुओं, भेड़-बकरियों एवं सूकर इत्यादि को खुरा-चपका का टीका लगवायें।
  • बकरियों में गलघोंटू रोग का टीकाकरण करवायें।
  • भेड़-बकरियों के लिये चना भूसा, अरहर भूसा इत्यादि का संग्रहण करें।
  • ग्रीष्म ऋतु में हरा चारा प्राप्त करने हेतु एम.पी. चरी, हाइब्रिड नेपियर (मल्टी कट) आदि बहुवर्षीय चारे की फसल को लगाने के लिए खेत तैयार करें एवं बुवाई करें।
  • पशुशालाओं में पशुओं को ठंड से बचाने के लिये लगायें गये पर्दे उतारकर रखें।
  • हरा चारा सुखाकर ही तैयार करें।
  • गर्मी के मौसम में प्रति पशु प्रतिदिन 50-60 ग्राम नमक अवश्य खिलायें।