श्रीमति गुंजन झा, विषय वस्तु विशेषज्ञ (उद्यानिकी)
डॉ. बी.एस. राजपूत, वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख
कृषि विज्ञान केंद्र, राजनांदगांव
इंदिरा गांधी कृषि विश्वविद्यालय रायपुर

राजनांदगांव जिले के आदिवासी अंचल अंबागढ़ चौकी में कृषि विज्ञान केंद्र के द्वारा डी.बी.टी. बायोटेक - किसान हब की स्थापना की गई है जो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद- राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, बरौंडा रायपुर के डॉ. पी.के. घोष (निदेशक सह कुलपति), डॉ. पी. मुवेंथन पलानीसामी (प्रमुख अन्वेषक) भा.कृ.अनु.प.- राष्ट्रीय जैविक स्ट्रेस प्रबंधन संस्थान, रायपुर के मार्गदर्शन एवम डॉ. एस. के. पाटिल (कुलपति, इ.गा.कृ.वि.वि. रायपुर), डॉ. एस.सी. मुखर्जी, निदेशक विस्तार सेवाये, इ.गा.कृ. वि.वि. रायपुर के संरक्षण मे इस योजना का संचालन कृषि विज्ञान केंद्र, राजनांदगांव के डॉ. बी. एस. राजपूत वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख व इस योजना की नोडल अधिकारी श्रीमती गुंजन झा (विषय वस्तु विशेषज्ञ - उद्यानिकी)के द्वारा किया जा रहा है।

बायोटेक- किसान हब परियोजनांतर्गत राजनांदगांव जिले के अंबागढ़ चौकी विकासखंड के पांच गांव (सोनसायटोला, भड़सेना, मांगाटोला, सेम्हरबांधा, कौडूटोला ) से 50 किसानो का चयन किया गया है।

यह योजना मुख्य रूप से चार मॉडल पर आधारित है :-
  • फसल (अनाज, दलहन) आधारित मॉडल
  • प्राकृतिक संसाधन प्रबंधन
  • उद्यानिकी आधारित मॉडल
  • पशुपालन आधारित मॉडल

इस परियोजना का मुख्य उद्देश्य :-
  • किसानों के लिए उन्नत खेती के स्थायी मॉडल की स्थापना करना ।
  • कृषि, वन और मिट्टी-जल से संबंधित गतिविधियों में विभिन्न विषयों के साथ अनुसंधान एवं विकास और क्षेत्रीय संस्थानों के साथ संबंध विकसित करना ।
  • कृषको एवं वैज्ञानिकों के मध्य सामंजस्य स्थापित करना।
  • मिट्टी और फसल प्रबंधन के लिए पर्यावरण के अनुकूल जैव उर्वरकों और जैव कीटनाशकों को बढ़ावा देना।
  • जैव आदानों, मृदा स्वास्थ्य प्रबंधन और जल गुणवत्ता पर किसानों को ज्ञान और कौशल प्रदान करना।
  • ग्रामीण आजीविका में सुधार के लिए ग्रामीण बायोटेक-उद्यमों को बढ़ावा देना।
  • पहले स्थानीय किसान की समस्या को समझकर उपलब्ध विज्ञान और तकनीक को खेत से जोड़ना और उन समस्याओं का समाधान प्रदान करना ।
  • इस कार्यक्रम का उद्देश्य भारतीय संदर्भ में वैज्ञानिक हस्तक्षेप और सर्वोत्तम कृषि पद्धतियों को विकसित करने के माध्यम से बेहतर कृषि उत्पादकता के लिए छोटे और सीमांत किसानों विशेष रूप से महिला किसान को प्रोत्साहित करना है ।

इस परियोजना का सफलतापूर्वक दुसरा वर्ष प्रारभ है इसके तहत प्रथम वर्ष मे किसानों को खरीफ की मुख्य फसल धान की प्रजाति जिंको राइस एम. एस. एवं एम.टी.यू. 1010 का वितरण किया गया था किसानों के प्रक्षेत्र में लगाई जाने वाली जिंको राइस में प्रचुर मात्रा में जिंक (26-28 पी.पी.एम.) पाया जाता है जबकि सामान्य किस्म में 15 पीपीएम तक ही जिंक पाया जाता है। जिंक मानव शरीर के प्रतिरोधक क्षमता बढ़ाता है जिससे मानव शरीर अनेक प्रकार के संक्रमण से बच सकता है। यह किस्म 125 से 130 दिन में पक जाती है तथा प्रति हेक्टेयर 50 से 55 क्विंटल उपज देती है। साथ ही बीज उपचार हेतु हितग्राहियो को जैव उर्वरक एजोस्पिरिलम, पीएसबी कल्चर एवं ट्राइकोडरमा का उपयोग बीज उपचार के लिये कराया गया था एवं धान के खेत में खाली मेडो को उपयोग में लाने के लिये दलहन फसल अरहर की उन्नत किस्म राजीव लोचन की बुवाई की जानकारी एवम बीज किसानो को उपलब्ध कराया गया था।


    उद्यानिकी आधारित माड्ल के अंतर्गत आठ चयनित किसानों को टपक सिंचाई एवं मल्चिंग के माध्यम से सब्जी उत्पादन कराया गया जिसमें टमाटर की उन्नत किस्म अर्का रक्षक, खीरे की उन्नत किस्में कृष एवं लौकी की उन्नत किस्में कीर्ति का प्रदर्शन किसानो के प्रक्षेत्र मे कराया गया है एवं सब्जी की संरक्षित खेती हेतु इंसेक्ट प्रूफ नेट हाउस का निर्माण कराया गया है जिससे वातावरण के विपरित परिस्थितियो मे भी सब्जी का उत्पादन किया जा सके। इसके साथ-साथ ही बहुवषीय फसल के रूप मे मुनगा (किस्म- पी.के.एम.-1) एवम कुंदरु (किस्म- इंदिरा सलेक्शन- 35) ‌की उन्नत किस्म के पौधे भी किसानो को प्रक्षेत्र प्रदर्शन हेतु वितरित किये गये है।


    पशुपालन आधारित माड्ल के तहत बकरी पालन को प्रोत्साहित करने के लिए आठ चयनित किसानो को बकरी की उन्नत नस्ल सिरोही (5+1) का वितरण किया गया। इस परियोजना अंतर्गत चयनित ग्रामों में निरंतर कृषि वैज्ञानिक द्वारा नैदानिक भ्रमण कर कृषकों को खेती में होने वाली समस्या का निराकरण किया जा रहा है। परियोजना के अंतर्गत कृषकों को धान की बुवाई से लेकर कटाई एवं भंडारण की तकनीकी जानकारी से अवगत कराया जा रहा है। साथ ही चयनित ग्रामों के किसानों को एकीकृत कृषि प्रणाली जैसे- फसलोत्पादन के साथ बागवानी, बकरी पालन हेतु प्रशिक्षित किया जा रहा है। किसानों को प्रभावी ढंग से किसानी कार्य करने के लिए समय- समय पर प्रशिक्षण एवं तकनीकी जानकारी भी प्रदान की जा रही है साथ ही किसानों को होने वाली समस्याओं के निराकरण हेतु उचित उपाय, नैदानिक भ्रमण एवं प्रशिक्षण के माध्यम से किया जा रहा है।


    परियोजना अंतर्गत इस वर्ष किसानों को धान की प्रजाति इंदिरा महेश्वरी (तनाछेदक, टूग्रो वायरस, भूरा माहू, पत्तियों में झुलसा रोग हेतु प्रतिरोधी) व यह किस्म 130-135 दिन की अवधि वाली है एवं डी.आर.आर. धान - 42 जो सूखाग्रस्त क्षेत्र के लिए प्रतिरोधी है, यह किस्म 120 दिन की अवधि वाली है का वितरण किया गया है। जिसे सीडड्रिल मशीन के द्वारा कतार बोनी करने अथवा कतारबध्द तरीके से रोपाई कर लगाए जाने हेतु प्रशिक्षण प्रदान किया गया एवम इस परियोजना के तहत किसानो को सीड कम फर्टिड्रिल भी प्रदान किया गया।

डीबीटी बायोटेक - किसान ह्ब परियोजना अंतर्गत सीड कम फर्टिड्रिल का वितरण

    इस परियोजना के प्रारम्भ मे 50 मे से केवल 09 किसानो के द्वार ही रोपा एवम कतार बोनी की जाती थी व दो किसान के द्वारा ही टपक सिंचाई प्रणाली के द्वारा सब्जी उत्पादन किया जा रहा था किन्तु वर्तमान मे 46 किसानो के द्वारा रोपा एवम कतार बोनी एवम 10 किसानो की द्वारा टपक सिंचाई प्रणाली से सब्जियो का व्यापारिक रूप से उत्पादन किया जा रहा है। डीबीटी बायोटेक - किसान ह्ब परियोजना के द्वारा 2022 तक प्रधानमंत्री द्वारा संचालित किसानों की आय दुगुनी करने की योजना सार्थक होते नजर आ रही है इस योजना से किसानों में नई तकनीकों को अपनाकर अपनी आय को दोगुना करने की रुझान दिखाई देने लगा है।