जब आकाश के झरनों से झर-झर रस बरसता है, तब खेत-खलियानों में जीवन का मेला सजता हैं। जग-जीवन व फूल-बहारे, जल के जादू से है ये सारे। इन वाक्यों से जल के महत्व का पता चलता है, हमारी संस्कृति जल को देवता मानती है, नदियों की पूजा की जाती है। इतिहास साक्षी है कि सभी महान सभ्यता नदियों के किनारे ही फले-फूले और आज प्रकृति के अंधाधुन दोहन से जलवायु परिवर्तन जैसी स्थिति निर्मित हो गई, धरती का तापमान सामान्य से अधिक प्रतिवर्ष बढ़ रहा है जिसके फलस्वरुप कही बाढ़ की स्थिति है तो कही सूखा, बे-मौसम बारिश, आंधी एवं तुफान इसके साक्ष्य हैं। भारत देश के पास विश्व के मिठे पानी का सिर्फ 4 प्रतिशत है एवं जनसंख्या का 18 प्रतिशत, देश में उपलब्ध पानी का लगभग 85 प्रतिशत खेती में उपयोग होता हैं। पानी के बिना खेती नहीं की जा सकती या फिर ऐसा कहे कि खेती के बारे में सोचना भी असंभव है।
हमारे देश में खेती के लिए लगभग 60 प्रतिशत किसान वर्षा जल पर निर्भर है एवं जहां सिंचाई की सुविधा है अब वहां भी पानी की किल्लत होती जा रही हैं। इसका कारण जल का अत्यधिक दोहन है। इसके उपाय कुछ इस प्रकार है कि वर्षा जल को एकत्र कर ना सिर्फ भू-जल पर बढ़ रहा दबाव कम किया जा सकता है बल्कि जल स्तर को भी ऊंचा किया जा सकता है। किसान भाई अपने खेतों में फार्म तालाब या चेकडेम बना कर जल संरक्षित कर सकते है, एक विकल्प यह भी है कि सामूहिक रूप से किसान इनका संरक्षण अपने खेतों में कर सकते हैं। खेत तलाब (फार्म पोंड) में बारिश के दौरान पानी जमा हो जाता है और फिर उसका उपयोग सालभर सिंचाई के लिये किया जा सकता हैं। इसके अलावा इस पानी का इस्तेमाल मवेशियों के पीने एवं नहाने के लिए भी किया जाता है। फार्म तालाब या खेत तालाब के तल एवं दीवारों पर सामान्य रूप से प्लासटिक सीट लगाई जाती है अथवा कई किसानों द्वारा सीमेंट एवं पत्थरों से पक्का निर्माण भी किया जाता है, इसका लाभ यह कि जमीन पानी नही सोखती है। इस जमा पानी का वर्ष भर प्रयोग करने हेतु एवंज ल संरक्षण हेतु टपक सिंचाई के उपयोग की अनुशंसा की जाती हैं।
आज के वर्तमान समय में पानी जरूरत हर किसी को है और हर कोई इसके दोहन में लगा है वर्षा जल संरक्षण सिर्फ किसानों की ही जिम्मेदारी नही है बल्कि हम सब का दात्वि है। शहरों में रहने वाले लोग भी वर्षा के समय छत से गिरे पानी को एकत्र कर सकते है एवं भू-जल का स्तर बढ़ा सकते है। आज-कल शहरों में नगर निगम/नगर पालिका के द्वारा नव निर्मित घरों में वर्षा जल संचय को अनिवार्य कर दिया गया जो कि सराहनीय पहल हैं। परन्तु किसानों को जल संरक्षण एवं संचय करने की ज्यादा जरूरत इसलिए है, क्योंकि उसकी रोजी-रोटी ही इस पर निर्भर हैं।
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