कृषि कार्ययोजना
- वर्तमान मौसम ग्रीष्मकालीन मक्के की बुवाई के लिए अनुकूल हैं अतः किसान भाईयों को सलाह हैं कि सिंचित क्षेत्रों में गेहूँ/चना की कटाई के पश्चात नींदा रहित खेत तैयार कर मक्के की बुवाई यथाशीघ्र पूर्ण करें।
- ग्रीष्मकालीन मक्का की बुवाई के समय दीमक प्रभावित क्षेत्रों में खेतों को क्लोरपायरीफास 1.5 प्रतिशत चूर्ण की 25 कि. प्रति हेक्टेयर की दर से उपचारित कर लें।
- मूंगफली एवं सूरजमुखी की फसल फल्ली बनने/दाना भरने की अवस्था में हैं। यह अवस्था पानी के लिए क्रांतिक अवस्था हैं अतः किसान भाईयों को सलाह हैं कि फसलों में निश्चित अंतराल में सिंचाई करें।
- वर्तमान समय में किसान भाई अपने खेतों की मृदा जांच करायें। इस कार्य हेतु विभागीय कृषि अधिकारी एवं जिले के कृषि विज्ञान केन्द्र में सम्पर्क करें।
- मृदा संरचना में सुधार हेतु अकरस जुताई करें।
- लता वाली सब्जियाँ जैसे- गिलकी, लौकी, तरबूज व खरबूज का रोपण सुनिश्चित करें यह उपयुक्त समय हैं।
- टमाटर तथा मिर्च में फलीछेदक का प्रकोप होने पर क्विनालफास 25 ई.सी. का 800 मि.ली. प्रति हेक्टेयर की दर से छिड़काव करें। छिड़काव के पूर्व उपयोग करने लायक फलों को तोड़ लें।
- टमाटर, मिर्च, बैंगन, भिण्डी तथा बरबटी आदि सब्जियों के बीज तैयार करने का उचित समय हैं।
- कद्दूवर्गीय सब्जियों में उर्वरक एवं पौध संरक्षण के उपाय करें।
- गन्ने की शीतकालीन फसल में नत्रजन की शेष मात्रा का छिड़काव करें एवं मिट्टी चढ़ाने का कार्य करें।
- गन्ने की पेड़ी फसल में तनाबोधक का प्रकोप होने पर फोरेट 10 जी दानेदार दवा का 10 किलो प्रति हेक्टेयर की दर से उपयोग करें।
- ग्रीष्मकालीन जुताई करें।
- उद्यानिकी फसल मुख्यतः फल उद्यान (बाग) लगाने के इच्छुक किसान गड्ढ़े (1×1×1 मीटर) तैयार कर उपचार हेतु खुले रखकर धूप दिखायें, साथ ही फल वृक्षों के किस्मों का चयन कर पौध लगाने की व्यवस्था करें।
- भुट्टे हेतु मक्के की अनुशंसित किस्मों की बुवाई करें।
- चना की फसल (मक्का, ज्वार, नेपियर की बुवाई करें)।
- आम, नींबूवर्गीय एवं अन्य फलों में सिंचाई प्रबंधन करें।
- फल पौधों में लू से सुरक्षा के उपाय करें।
- आलू, प्याज, लहसुन आदि सब्जियों की खुदाई एवं भण्डारण करें।
- लाॅन या हरियाली लगाने की व्यवस्था करें।
- शरदकालीन मौसमी पुष्पों के बीज एकत्रित करें।
- रजनीगंधा एवं गेंदे में निंदाई-गुड़ाई, सिंचाई, खाद/उर्वरक का प्रबंधन करें।
पशुपालन कार्ययोजना
- ग्रीष्म हेतु चारा फसलों की बुवाई करें।
- उपरोक्त चारे की सिंचाई व्यवस्था पर विशेष ध्यान देवें अन्यथा पानी की कमी से विषाक्त हो सकता हैं।
- सूखे चारे (हे.) के संग्रहण की व्यवस्था करें।
- ग्रीष्म ऋतु हेतु पशुओं के लिये जल का समुचित पूर्व प्रबंधन करें।
- पशु बाड़े एवं मुर्गियों के गृह की छत पर लगे स्प्रिंकलर अथवा वातावरण अनुकूलन हेतु लगाये गये यंत्रों की जांच करें।
- पशुशालाओं में फूस के पर्दों की व्यवस्था करें।
- पशुशालाओं की छतों पर धूप के प्रभाव को कम करने का प्रयास करें।
- कृषि कार्य हेतु उपयोग में आने वाले पशुओं की सुबह 10 बजे से पहले तथा शाम 5 बजे के बाद कार्य लेवें।
0 Comments